Lok Sabha Election 2019: नक्सली इलाकों पर बादशाहत को हेमंत और सुदेश आमने-सामने
पीरटांड़ प्रखंड के हरलाडीह हटिया मैदान में चुनावी सभा में हेमंत सोरेन ने कहा कि आजसू कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। राजनीति के नाम पर दुकानदारी करती है।
By Edited By: Published: Sun, 05 May 2019 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 12:16 PM (IST)
गिरिडीह, जेएनएन। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के नक्सल प्रभावित इलाके झामुमो के गढ़ हैं। यहां पार्टी का प्रभुत्व बचाने को रविवार को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मोर्चा संभाल लिया। वे हेलीकॉप्टर से पीरटांड़ के घोर नक्सल प्रभावित हरलाडीह एवं धनबाद जिले के पूर्वी टुंडी के बड़बाद पहुंचे। कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया। हेमंत ने भाजपा के साथ-साथ आजसू पर निशाना साधा।
इधर आजसू प्रमुख सुदेश महतो भी टुंडी के नक्सल प्रभावित झिनाकी और राजगंज पहुंचे। उन्होंने झामुमो की बादशाहत को चुनौती दी। बूथ कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में सुदेश ने नक्सल क्षेत्रों में झामुमो का वर्चस्व तोड़ने के लिए टिप्स दिए। झामुमो एवं आजसू की जोर आजमाइश से नक्सल क्षेत्रों का भी चुनावी पारा चढ़ गया है। राजनीति के नाम पर आजसू करती दुकानदारी : पीरटांड़ प्रखंड के हरलाडीह हटिया मैदान में चुनावी सभा में हेमंत सोरेन ने कहा कि आजसू कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। राजनीति के नाम पर दुकानदारी करती है। एक-दो सीट जीतकर वह भाजपा की गोद में बैठती है। भाजपा-आजसू पैसे के बल पर चुनाव जीतना चाहते हैं। पैसे से विधायक खरीदकर सरकार बनाने का खेल भाजपा खेलती है। संथाली भाषा में संबोधन कर हेमंत ने आदिवासियों से खुद को जोड़ने की सटीक कोशिश की।
सोरेन परिवार ने 40 साल से किया राजनीतिक शोषण : आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने पलटवार करते हुए कहा है कि सोरेन परिवार ने इस इलाके के लोगों का 40 साल से राजनीतिक शोषण किया गया है। आज राजनीतिक फिजां बदल चुकी है। यह इलाका झामुमो का नहीं बल्कि झारखंडी विधारधारा का है। आजसू झारखंडी विचारधारा को नेतृत्व देती है। सोरेन परिवार ने झारखंडी विचारधारा को गिरवी रख दिया। जनता किसके साथ है यह झामुमो को 23 मई को मतदान के बाद पता चलेगा।
इन इलाकों में माओवादियों व झामुमो का वर्चस्व : गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के जंगलों एवं पहाड़ों से घिरे इलाकों में माओवादियों एवं झामुमो का वर्चस्व रहा है। आम दिनों में माओवादियों व चुनाव के समय में झामुमो का सिक्का चलता है। चुनावों में अब तक कोई भी राजनीतिक पार्टी झामुमो की बादशाहत को चुनौती नहीं दे सकी है। इस चुनाव में आजसू यहां झामुमो की बादशाहत को चुनौती देने की कोशिश कर रही है।
इधर आजसू प्रमुख सुदेश महतो भी टुंडी के नक्सल प्रभावित झिनाकी और राजगंज पहुंचे। उन्होंने झामुमो की बादशाहत को चुनौती दी। बूथ कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में सुदेश ने नक्सल क्षेत्रों में झामुमो का वर्चस्व तोड़ने के लिए टिप्स दिए। झामुमो एवं आजसू की जोर आजमाइश से नक्सल क्षेत्रों का भी चुनावी पारा चढ़ गया है। राजनीति के नाम पर आजसू करती दुकानदारी : पीरटांड़ प्रखंड के हरलाडीह हटिया मैदान में चुनावी सभा में हेमंत सोरेन ने कहा कि आजसू कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। राजनीति के नाम पर दुकानदारी करती है। एक-दो सीट जीतकर वह भाजपा की गोद में बैठती है। भाजपा-आजसू पैसे के बल पर चुनाव जीतना चाहते हैं। पैसे से विधायक खरीदकर सरकार बनाने का खेल भाजपा खेलती है। संथाली भाषा में संबोधन कर हेमंत ने आदिवासियों से खुद को जोड़ने की सटीक कोशिश की।
सोरेन परिवार ने 40 साल से किया राजनीतिक शोषण : आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने पलटवार करते हुए कहा है कि सोरेन परिवार ने इस इलाके के लोगों का 40 साल से राजनीतिक शोषण किया गया है। आज राजनीतिक फिजां बदल चुकी है। यह इलाका झामुमो का नहीं बल्कि झारखंडी विधारधारा का है। आजसू झारखंडी विचारधारा को नेतृत्व देती है। सोरेन परिवार ने झारखंडी विचारधारा को गिरवी रख दिया। जनता किसके साथ है यह झामुमो को 23 मई को मतदान के बाद पता चलेगा।
इन इलाकों में माओवादियों व झामुमो का वर्चस्व : गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के जंगलों एवं पहाड़ों से घिरे इलाकों में माओवादियों एवं झामुमो का वर्चस्व रहा है। आम दिनों में माओवादियों व चुनाव के समय में झामुमो का सिक्का चलता है। चुनावों में अब तक कोई भी राजनीतिक पार्टी झामुमो की बादशाहत को चुनौती नहीं दे सकी है। इस चुनाव में आजसू यहां झामुमो की बादशाहत को चुनौती देने की कोशिश कर रही है।
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