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LokSabha Elections 2019 : चार आंदोलन, एक मौत- फ‍िर भी यहां पर नहीं बन पाया पुल

संतकबीर नगर में एक पुल के लिए ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह किया भूख हड़ताल की धरना दिया। इन आंदोलनों में एक को अपनी जान भी गंवानी पड़ी लेकिन पुल अभी तक नहीं बना।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 12:30 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 04:48 PM (IST)
LokSabha Elections 2019 : चार आंदोलन, एक मौत- फ‍िर भी यहां पर नहीं बन पाया पुल
LokSabha Elections 2019 : चार आंदोलन, एक मौत- फ‍िर भी यहां पर नहीं बन पाया पुल

संतकबीर नगर, वेदप्रकाश गुप्त। असनहरा पुल। समय-समय पर मीडिया की सुर्खियां बटोरने वाल यह पुल आज तक जमीन पर नहीं उतर सका। ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह किया, भूख हड़ताल की, धरना दिया। उन्हें मिला सिर्फ आश्वासन। यही नहीं इन आंदोलनों में एक को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। हुक्मरानों के वादों-दावों की कलई खोलने वाला यह पुल अब भी बांस के सहारे खड़ा है। इस पुल को इंतजार है अपने पक्के होने का, वादों के पूरा होने का।

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यह है पूरी कहानी

जिले की दक्षिण-पश्चिम सीमा पर बसे ग्राम पंचायत चंगेरा-मंगेरा का राजस्व गांव है असनहरा। यह जिले का अंतिम गांव है। यहां की आबादी लगभग 1000 है। यहां के लोग का बाजार मुंडेरवा (बस्ती) है। अब बाजार जाने के लिए दो रास्ते हैं, पहला रास्ता तकरीबन पांच किमी का है। मुंडरेवा जाने के लिए पक्की सड़क है। जबकि कठिनइया नदी पर बने कच्चे पुल से होकर जाने में एक किमी की दूरी ही तय करनी पड़ती है। जून से फरवरी तक इस गांव का हर कोई बांस के बने पुल के सहारे कठिनइया नदी पार करता है। मार्च में नदी सूख जाती है तब लोग यहां से गुजरते हैं।

यूं किया संघर्ष, मिला आश्वासन

2013 की जनवरी में तीन दिन ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह किया। दूसरी बार 2015 में नौ दिन जल सत्याग्रह हुआ, जो सांसद के आश्वासन पर समाप्त हुआ था। 2018 में पुल के लिए एक अगस्त से 24 सितंबर तक 55 दिन जल सत्याग्रह चला। इस दौरान मंत्री ओमप्रकाश राजभर, अनिल राजभर तथा अन्य राजनैतिक दलों के नेताओं ने पुल बनवाने का आश्वासन दिया था। इसी वर्ष छह मार्च से 13 मार्च तक आंदोलन चला, जिसे आचार संहिता के कारण स्थगित करना पड़ा।

बांस के पुल से गिरकर हो चुकी है मौत

असनहरा के रहने वाले 65 वर्षीय देवीशरण गौड़ रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मी थे। 2018 के जल सत्याग्रह में वह शामिल थे। 24 अगस्त को बांस के पुल से गिरकर वह गंभीर रूप से घायल हो गए। 14 सितंबर को संयुक्त जिला अस्पताल में उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

अखिल भारतीय जल सत्याग्रह संघर्ष मोर्चा के बैनर तले किया संघर्ष

ग्रामीणों ने बाकायदा संगठन बनाकर संघर्ष किया। अखिल भारतीय जल सत्याग्रह संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक शैलेश राजभर, सरोजा राजभर, राम सुमिरन राजभर, सिंटू चौधरी, सुखराम राजभर, संतराम राजभर आदि ने बताया कि सत्याग्रह खत्म होने के बाद राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पैमाइश की थी। पीडब्लूडी तथा एक अन्य सरकारी निर्माण एजेंसी ने सांसद के निर्देश पर पुल का प्राक्कलन तैयार कर शासन को भेजने की बात कही थी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।

जन शिकायत पोर्टल पर दर्ज है शिकायत

जल सत्याग्रह संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक शैलेश राजभर का कहना है कि पीडब्लूडी की ओर से शासन को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें पुल की मांग को औचित्यहीन बताया गया है। उन्होंने इस संबंध में 13 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री के जन शिकायत पोर्टल पर शिकायत भी दर्ज कराई है।

पति शहीद हो गए, पुल नहीं बना

स्व. देवीशरण गौड़ की पत्‍नी फुलवाशा पुल के लिए मेरे पति शहीद हो गए, लेकिन हमें वादों के अलावा कुछ नहीं मिला। जनप्रतिनिधियों ने खूब आश्वासन दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।


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