फ्लैश बैक : यहां डीएम हार गए और उनका चालक जीत गया चुनाव
बस्ती लोकसभा सीट से 1957 में फैजाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी केके नैय्यर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में नैय्यर के चालक कैप्टन रामगरीब भी मैदान में थे जिन्हें विजय मिली थी।
बस्ती, नवनिधि पांडेय। बस्ती लोकसभा सीट पर 1957 में रोचक मुकाबला हुआ था। केके नैय्यर आइसीएस (फैजाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी) बस्ती लोकसभा सीट से वर्ष 1957 में चुनाव लड़े थे। साथ में उनके चालक कैप्टन राम गरीब भी भाग्य आजमाए थे। मालिक और चालक दोनों स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार थे। नैय्यर का सामना कांग्रेस के केडी मालवीय से और रामगरीब का मुकाबला कांग्रेस के शिवनरायन से था। नैय्यर यह चुनाव हार गए, लेकिन उनके सारथी रामगरीब को जीत मिल गई।
कमिश्नर बार के वरिष्ठ अधिवक्ता ओमप्रकाश नाथ मिश्र के संस्मरण में अभी भी यह चुनाव सबसे रोचक है। वह बताते है कि नैय्यर अयोध्या राम जन्मभूमि का ताला खुलवाने के बाद पहली बार चर्चा में आए। उनका झुकाव राजनीति की तरफ बढ़ा तो सबसे पहले अयोध्या से सटे बस्ती को अपना कर्मक्षेत्र बनाया। वर्ष 1957 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ने बस्ती आए। तब लोकसभा के यहां दो सदस्य हुआ करते थे। एक सामान्य और दूसरी सुरक्षित। सामान्य सीट से नैय्यर स्वतंत्र उम्मीदवार बने और उनके वाहन चालक सेना से रिटायर कैप्टन रामगरीब सुरक्षित सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार बने। दोनों ने एक साथ प्रचार किया।
नैय्यर यह चुनाव कांग्रेस के केडी मालवीय से हार गए। वहीं उनके चालक रामगरीब कांग्रेस के ही उम्मीदवार शिवनरायन से चुनाव जीत गए। मिश्र के अनुसार यह चुनाव परिणाम आने के बाद काफी दिनों तक चर्चा का विषय बना रहा। दूसरी तरफ शिवनरायन का समीकरण बिगड़ गया। शिवनारायन की एक अच्छे शिक्षक के रूप में पहचान थी। रामगरीब ने उन्हें यह चुनाव हरा दिया। बाद में नैय्यर बस्ती जनपद के ही रुधौली विधानसभा के उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए थे। यह सीट खेसहरा विधानसभा में तब्दील हो गई थी। 2007 में फिर रुधौली विधानसभा सीट नए सिरे से सृजित हुई।
शेर चुनाव चिह्न् पर लड़े थे नैय्यर और रामगरीब
नैय्यर और उनके सारथी रामगरीब ने 1957 के लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाया। ओम प्रकाश मिश्र के अनुसार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दोनों लोगों को चुनाव चिह्न् शेर आवंटित हुआ था। सारथी चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए, जबकि दोनों लोग एक साथ प्रचार किए थे। नैय्यर साहब के ही खर्च में रामगरीब का भी चुनाव निपट गया था। रामगरीब को नैय्यर बहुत मानते थे। चालक के साथ-साथ रामगरीब उनके अच्छे सिपहसालार भी थे। बाद में नैय्यर कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव जीते थे। उनकी पत्नी शकुंतला बहराइच से सांसद बनीं थीं।
मिले थे इतने वोट
वर्ष 1957
सामान्य सीट
कांग्रेस प्रत्याशी- केडी मालवीय - 241186 निर्वाचित
स्वतंत्र उम्मीदवार- केके नैय्यर- 183890 पराजित
सुरक्षित सीट
स्वतंत्र उम्मीदवार- कैप्टन रामगरीब- 184549 निर्वाचित
कांग्रेस उम्मीदवार- शिवनरायन- 172573 पराजित