Lok Sabha Election 2024: नक्सल क्षेत्र में बदली तस्वीर, खौफ घटने से बढ़ेगा मतदान, पढ़ें खास रिपोर्ट
Lok Sabha Election 2024 Chhattisgarh छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर इलाका नक्सलियों का गढ़ रहा है और बीते सालों में यहां चुनाव कराने में कठिन चुनौतियां आती रही हैं। लेकिन सुरक्षा बलों के प्रयास से अब तस्वीर बदलने लगी है और लोगों के बीच नक्सलियों का डर भी कम हो रहा है। पढ़िए नक्सली प्रभावित एक गांव से खास ग्राउंड रिपोर्ट-
अनिमेष पाल, जगदलपुर। विस्मय और आश्चर्य से घूरती दर्जनों आंखें बता रही थीं कि हम उनके लिए वहां किसी बाहरी दुनिया के प्राणी सरीखे थे। गांव में वर्षों पहले तोड़ दिए गए स्कूल के खंडहर के पास दो माह पहले खोली गई राशन दुकान में ग्रामीणों की कतार थी। दुकान की दीवार पर कोयले से लिखी हुई नक्सलियों की चेतावनी बता रही थी कि कभी यह इलाका उनका आधार क्षेत्र रहा होगा।
छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले का पालनार गांव 2005 में हुए सलवा जुडूम आंदोलन के बाद से नक्सल प्रभावित था। इसके बाद से यहां बाहरी लोगों का आना-जाना बंद था। तीन महीने पहले ही सुरक्षा बल ने फारवर्ड आपरेटिंग बेस कैंप खोला है, जिसे हाल ही में सत्ता में आई भाजपा सरकार विकास कैंप की तरह विकसित करने की बात कहती है। सुरक्षा बल के कदम पड़ने के बाद यहां नक्सली बैकफुट पर हैं।
बढ़ रहा ग्रामीणों का भरोसा
नक्सलियों से क्षेत्र को सुरक्षित करने व क्षेत्र के लोगों के मन में बैठे नक्सली भय को समाप्त करने सुरक्षा बल अभी आक्रामक अभियान चला रहे हैं। बीते सप्ताह इस गांव से तीन किलोमीटर दूर कोरचोली के जंगल में सुरक्षा बल ने 13 नक्सलियों को मार गिराया था, जिससे ग्रामीणों के मन में सुरक्षा बल के प्रति भरोसा बढ़ने लगा है।
गांव में 19 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए मतदान दल को सुरक्षित पहुंचाने कैंप के पास ही हेलीपैड का निर्माण चल रहा है। 25 वर्ष बाद होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर ग्रामीण उत्साहित हैं। पालनार के 611 मतदाताओं में से 94 ने पिछले दिनों हुए विस चुनाव में मतदान किया था । 12.56 प्रतिशत मत पड़े थे । लोस चुनाव में मतदान बढ़ने की उम्मीद होगी।
गांव में मिल रहा राशन
पालनार पंचायत में तोड़का, सावनार व कोरचोली गांव आते हैं। यहां खोली गई राशन दुकान पर सावनार से आई बुधरी ताती ने बताया कि पहले वह राशन लेने पहाड़ पार कर 20 किमी दूर गंगालूर जाते थे। यहां सुरक्षा कैंप खोलने के बाद अब गांव में राशन मिल रहा है। गांव तक कच्ची सड़क भी बना दी गई है ।
मुन्नी ने बताया कि पहले गांव में कोई नहीं आता था और कोई भी व्यक्ति नक्सलियों के अनुमति के बिना गांव से बाहर नहीं जा सकता था। नक्सली यहां चुनाव का विरोध करते हैं। शांति ने बताया कि नक्सलियों ने स्कूल ढहा दिए थे। पिछले वर्ष एक झोपड़ी में स्कूल खोला गया है। ग्रामीण अब खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। मतदान पर इसका असर दिखेगा।
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बारूद पर बनाई सड़क, पग-पग पर खतरा
पालनार के लिए सुबह जिला मुख्यालय बीजापुर से निकलने ही वाले थे कि इसी क्षेत्र के पीड़िया में प्रेशर बम विस्फोट में दो जवान के घायल होने की खबर आई। दो माह पहले जब पालनार तक सड़क बनाई जा रही थी, तब सुरक्षा अधिकारी ने बताया था कि वहां 200 से अधिक प्रेशर बम मिले हैं, वहां पग-पग में बारूद बिछा है। तब भी खतरा उठाकर रास्ते में कई सुरक्षा कैंप को पार करते हुए चेरपाल और वहां से अभी-अभी बनाई गई कच्ची सड़क से पालनार पहुंचे।
गांव के पहले सुरक्षा बल के कैंप में ही जवानों ने रोक लिया। बताया गया कि सुरक्षा अभियान चला रहा है, ऐसे में किसी को जाने की अनुमति नहीं है। दो महीने में कोई भी बाहरी व्यक्ति वहां नहीं गया है। हमें इस शर्त पर जाने को कहा गया कि कैंप के आगे सुरक्षा की गारंटी नहीं होगी, पर गांव वापस लौटते हुए चेरपाल तक पग-पग पर सुरक्षा बल के जवान तैनात मिले।
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