Lok Sabha Election 2019 : बाहरी शख्सियत भी प्रतापगढ़ से पहुंचे सबसे बड़ी पंचायत में
प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से कई नेताओं की सियासी नैया लहर ने पार लगाई थी। कई बाहरी शख्सियत भी प्रतापगढ़ से चुनाव लड़कर लोक सभा तक पहुंच चुके हैं। कई ने वोटरों का हाल नहीं जाना।
प्रयागराज : दूसरे जिलों के सियासी शख्सियत भी प्रतापगढ़ के रास्ते सदन में पहुंचने में कामयाब रहे। हालांकि उनकी नैया लहर में ही पार लगी थी। आजादी के बाद से लेकर अब तक जिले में सियासी दिग्गजों की कमी नहीं रही। चाहे जिस पार्टी की सरकार केंद्र और प्रदेश में रही हो, यहां के जनप्रतिनिधि प्रभावी दखल रखते रहे हैं। बात चाहे पंडित मुनीश्वरदत्त उपाध्याय, राजा दिनेश सिंह, राजा अजीत प्रताप ङ्क्षसह की हो या अब प्रमोद तिवारी, रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, मोती सिंह। वैसे तो अब तक हुए 16 लोकसभा चुनाव में 10 बार यहां कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन लहरों के चुनाव में बाहरी नेता भी जीत का चौका लगाने में कामयाब रहे हैं।
अयोध्या निवासी डॉ. राम विलास वेदांती ने यहां कमल खिलाया था
वर्ष 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी के विरोध की लहर में पड़ोसी जिले प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) निवासी भारतीय लोकदल के प्रत्याशी रूपनाथ सिंह यादव प्रतापगढ़ के सांसद चुनकर सदन में पहुंचने में कामयाब रहे। इसी तरह वर्ष 1998 में राम मंदिर के मुद्दे की लहर चल रही थी। अयोध्या निवासी डॉ. राम विलास वेदांती ने यहां कमल खिलाया था। रही बात पिछले चुनाव की तो लहर में जौनपुर निवासी कुंवर हरिवंश सिंह की नैया पार लगी थी।
2004 में सांसद बने अक्षय प्रताप सिंह
वैसे देखा जाए तो वर्ष 2004 में सपा से निर्वाचित हुए अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपालजी भले ही बेल्हा को अपनी कर्मभूमि मानते हैं, लेकिन वह भी अमेठी जिले के जामो के रहने वाले हैं। यह बात और है कि पिछले दो दशक से वह किसी न किसी सदन के सदस्य हैं। सियासी पारी उन्होंने एमएलसी चुनाव से की थी। वर्ष 2004 में सांसद बनने के बाद उन्होंने एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया था। 2009 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद हुए एमएलसी चुनाव में वह निर्वाचित हो गए थे।
...फिर पलटकर मतदाताओं का हाल नहीं लिया
प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सफलता हासिल करने वाले बाहरी राजनीतिक शख्सियतों की बात चली तो पूर्व विधायक संगम लाल शुक्ल ने कई पुरानी यादें ताजा कर दीं। उसमें सबसे खास यह रही कि वर्ष 1977 में चुने गए प्रतापगढ़ के सांसद रूपनाथ सिंह यादव रहने वाले प्रयागराज के थे। उन्हें प्रतापगढ़ की जनता ने हाथों-हाथ लिया था और अच्छे मतों से विजय हासिल की थी। इसका दुखद पहलू यह रहा कि रूपनाथ ङ्क्षसह जीतने के बाद पलटकर एक बार भी प्रतापगढ़ नहीं आए।