अमित शाह ने कहा- सीआरपीएफ नहीं होती तो कोलकाता में मेरा बचना मुश्किल था
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति से मांग की कि कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोडशो पर हमले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट तलब की जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही चुनावी हिंसा के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य सरकार पर तीखा आरोप लगाया है। मंगलवार के रोडशो में हुई हिंसा के लिए तृणमूल कांग्रेस को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए शाह ने कहा, 'यदि सीआरपीएफ नहीं होती तो मेरा बचकर निकलना मुश्किल था।'
पूरी तैयारी से किया हमला
अमित शाह ने मंगलवार को कोलकाता में रोडशो के दौरान हुए हमलों की तस्वीरें भी जारी कीं। इनमें से एक तस्वीर में सीआरपीएफ का जवान प्लास्टिक शील्ड से अमित शाह को पत्थर से बचाता दिख रहा है और ठीक सामने आग के शोले उठते दिख रहे हैं।
पूरी वारदात बयान करते हुए शाह ने बताया कि सात किलोमीटर लंबे रोडशो में तीन बार हमले की कोशिश की गई। तीसरी बार तो पूरी तैयारी के साथ हमला किया गया था जिनमें पत्थरबाजी के साथ-साथ बोतलों में मिट्टी का तेल और पेट्रोल भरने के बाद उनमें आग लगाकर भी फेंका गया। उन्होंने बताया कि सुबह से ही विश्वविद्यालय परिसर की ओर से रोडशो पर हमले की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन इसे रोकने के लिए स्थानीय पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया।
ममता बनर्जी का आरोप नकारा
रोडशो के दौरान हिंसा और आगजनी के पीछे भाजपा कार्यकर्ताओं का हाथ होने के ममता बनर्जी के आरोपों को शाह ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सिर्फ पश्चिम बंगाल की 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं जबकि भाजपा पूरे देश में चुनाव लड़ रही है।
हिंसा सिर्फ पश्चिम बंगाल में पहले चरण के मतदान से ही लगातार हो रही है। जाहिर है हिंसा के लिए असली जिम्मेदार ममता बनर्जी हैं जो हार की आशंका से बौखला गई हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को पूरी घटना की जांच कोलकाता हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की ओर गठित एसआइटी से कराने की चुनौती दी।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा नहीं रोक पाने के लिए अमित शाह ने चुनाव आयोग को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि यहां पहले चरण से ही जमकर चुनावी ¨हसा हो रही है। हर चरण के बाद भाजपा ने मतदाताओं को रोके जाने, मतदान केंद्र के भीतर मनमाने तरीके से मतदान कराने की शिकायत प्रमाण सहित की, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में आयोग पूरी तरह से मूकदर्शक बना रहा। पूरे देश में चुनाव से पहले हिस्ट्रीशीटरों को हिरासत में ले लिया गया, लेकिन पश्चिम बंगाल में एक भी हिस्ट्रीशीटर को हिरासत में नहीं लिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग का यह दोहरा मापदंड क्यों? शाह ने कहा कि यदि इसी तरह से चुनाव कराना है तो आयोग की विश्वसनीयता के बारे में सोचना पड़ेगा।
सहानुभूति बटोरने के लिए तृणमूल ने तोड़ी विद्यासागर की प्रतिमा
अमित शाह ने भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़े जाने के ममता बनर्जी के आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिमा कॉलेज के भीतर कमरे में है। उन्होंने तस्वीर जारी कर दिखाया कि किस तरह रोडशो के तत्काल बाद भी परिसर का गेट बंद है। कॉलेज प्रशासन पर तृणमूल का कब्जा है। जब परिसर और प्रतिमा वाले कमरे का ताला नहीं टूटा तो उन्हें किसने खोला।
उन्होने आरोप लगाया कि चुनावी मैदान में बुरी तरह परास्त होने की आशंका के मद्देनजर ममता बनर्जी अब विद्यासागर की प्रतिमा खुद ही तोड़कर सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो पाएंगी।
अमित शाह ने चुनौती देते हुए कहा, 'दीदी आप भले ही मेरे से बड़ी हों, लेकिन चुनाव कराने का मेरा अनुभव आपसे ज्यादा है। आपके दिन समाप्त हो गए हैं, 23 मई का इंतजार करें।' अपने खिलाफ दर्ज कराई गई एफआइआर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि चुनावी ¨हसा में हमारे 60 से अधिक कार्यकर्ता जान गंवा चुके हैं, हम एफआइआर की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।
उपराष्ट्रपति से मिला भाजपा प्रतिनिधिमंडल
भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति से मांग की कि कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोडशो पर हमले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट तलब की जाए।
प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, मुख्तार अब्बास नकवी, विजय गोयल और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा शामिल थे। मुलाकात के बाद जावड़ेकर ने कहा कि राज्यसभा सदस्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सदन और उसके सभापति की होती है।
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