Lok Sabha Election2019: वादों से काम नहीं चलेगा, अब हक लेना ही पड़ेगा
इलेक्शन ट्रैवल्स आगरा से फतेहाबाद में मतदाताओं ने जागरण से साझा किए विचार। राजनीतिक दलों की वादों की पोटली पर नहीं विश्वास छले गए मतदाता अब सवालों की बौछार को तैयार।
आगरा, विनीत मिश्र। चुनावी रण में नेता दो- दो हाथ को उतरे राजनीतिक दलों से लेकर नेताओं तक के पास मतदाताओं के लिए वादों की लंबी फेहरिस्त है। वादे पहले भी हुए थे, वादों पर अमल कर मतदाताओं ने वोट भी दिया, लेकिन वादे करने से पहले ही जनप्रतिनिधि भूल गए। अब चुनाव आए तो फिर सियासतदां वादों की पोटली लेकर मतदाताओं के सामने है, हर बार छले गए मतदाताओं को इस बार वादों से परहेज है। कहते हैं हम सब जानते हैं, वादे पूरे करने के समय कोई मुड़कर नहीं देखता। मतदाताओं के सियासी मूड को भांपने के लिए 'जागरण ने आगरा से फतेहाबाद तक रोडवेज बस से सफर किया। करीब 35 किमी के सफर में मतदाताओं से चर्चा का निचोड़ था कि अब वादों से काम नहीं चलेगा, हक लेना ही पड़ेगा।
सुबह के दस बज रहे थे। बिजलीघर बस स्टैंड पर बाह जाने वाली रोडवेज बस में पैर रखे। कंडक्टर की सीट पर करीब अस्सी साल के एक बुजुर्ग बैठे थे। दस मिनट के सफर के बाद फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर चुनावी चर्चा छिड़ी तो ककफुरी गांव के ये बुजुर्ग भंवर सिंह बोल पड़े- हमारे क्षेत्र में ज्यादातर मौड़ा(लड़के) फौज में हैं। पाकिस्तान को सबक सिखाने से मौड़ा खुश हैं और मोदी की जय-जयकार है। अब गांव में वोट को लेकर जो बाकी तय करेंगे, हम भी वहीं मुहर लगाएंगे। ठीक पीछे की सीट पर बैठे बमरौली कटारा के शिवकुमार से रहा नहीं गया। बोले, इस बार लड़ाई आसान नहीं है। मोदी से मुकाबले के लिए मायावती और अखिलेश मिले हैं, अब समझ में आएगा। भंवर सिंह ने शिवकुमार को जवाब दिया कि तुम सपाई हो, इसलिए ऐसा कह रहे हो, लेकिन हकीकत तो कुछ और ही है। शिवकुमार भी ये बताने पर अड़े रहे कि हम सही कह रहे। इसी बहस के बीच बमरौली कटारा आ गया, बस से उतरते-उतरते शिवकुमार बुजुर्ग की तरफ देख मुस्कराए और उनसे बोले, चचा हम सही कह रहें, देख लेना। शिवकुमार के जाने के बाद तो चर्चा और बढ़ चली। कछपुरा गांव में रहने वाले दीनानाथ सिंह की पीड़ा जुबां पर आ गई। बोले, हर चुनाव में देखते हैं, जो नेता वादे करते हैं, कोई पूरा नहीं करता। उनके बगलगीर संतोष ने हां में हां मिलाई, जीतने के बाद तो गांव झांकने भी नहीं आते। बाह कस्बा में रहने वाले महेश सिंह से रहा नहीं गया। बोले, सरकार कोई कुछ नहीं करती, हमें अब खुद जागना होगा। हकीकत देखनी है तो बीहड़ के पिछड़े गांवों में देखो, नेता जाते ही नहीं। डौकी के रामरतन कठेरिया ने हां में हां मिलाई। बोले, हमारे पास तो आज तक कोई वोट मांगने ही नहीं आया। वाजिदपुर के त्रिभुवन ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की बात छेड़ी तो सबने एक स्वर से केंद्र सरकार की तारीफ शुरू कर दी, लेकिन फिर मड़ायना के रामसुमेर और बाह के धीरू ने चर्चा का रुख मोड़ दिया। बोले, भाई कांग्रेस का घोषणा पत्र भी देख लो, 72 हजार रुपये हर साल मिलेंगे। फतेहाबाद के शिरोमणि शर्मा और रामधारी सिंह बोल पड़े, सबने कुछ न कुछ दिया है, लेकिन अब वादों से काम नहीं चलेगा, हमें हमारा हक लेना ही पड़ेगा। जो नेता वोट मांगने आए, उससे साफ कहना है वादे नहीं हक चाहिए। फतेहाबाद आ गया, हम भी बस से उतरे, लेकिन सियासी चखचख जारी रही।