Lok Sabha Election 2019 : जिनके पास 272 प्रत्याशी भी नहीं, वह जारी कर रहे घोषणा पत्र...ELECTION TRAVEL
Lok Sabha Election 2019. घोषणा पत्र की याद फिर चुनाव के समय ही आएगी। घोषणा पत्र तो वे दल भी जारी कर रहे हैं जिनके पास 272 प्रत्याशी भी नहीं है।
बहरागोड़ा से टाटा, जय माता दी बस से अवनीश। Lok Sabha Election 2019 जमशेदपुर आने के लिए धालभूमगढ़ चौक पर बस के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ी। बहरागोड़ा से टाटा के लिए जय माता दी थ्री बाइ टू वाल्वो बस आकर रुकी। बहरागोड़ा से आ रही बस पहले ही भरी हुई थी। मैं खाली सीट देख रहा था, तभी कंडक्टर ने बंगाली में पूछा- कोथाई जाबेन (कहां जाइएगा)। ...टाटा जाएंगे। जवाब सुनकर उसने अंगुली से खाली सीट के तरफ इशारा किया। पहले से बैठे दो यात्रियों के बीच में बैठ गया।
करीब 10-12 मिनट रुकने के बाद बस यहां से खुली। अपने मिशन की शुरुआत के लिए पास बैठे यात्री से पूछा- क्या नाम हुआ आपका? बोले- निमाईचंद्र दास। फिर पूछा- क्या करते हैं? बोले- एलआइसी एजेंट हैं। पता चला कि पश्चिम बंगाल के मूल निवासी हैं। अब बहरागोड़ा के होकर रह गए हैं। उन्हें टाटा आना था। फिर मैंने पूछा- एलआइसी के एजेंट, गांव व शहर सभी जगह आते-जाते होंगे।
क्या माहौल है चुनाव का? कहने लगे- सरकार तो भाजपा की ही बननी चाहिए। प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव तो भाजपा ही लड़ रही है। बाकी पार्टियां तो बस मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनाने के लिए लड़ रही हैं। उन्होंने पूछा- ...यह सब आप लिख क्यों नोट कर रहे हैं? मैंने बताया कि दैनिक जागरण से हूं। उन्होंने हंसते हुए कहा- अच्छा सर्वे कर रहे हैं? जवाब में मैंने भी मुस्करा दिया। मैंने दोबारा पूछा- भाजपा व कांग्रेस के घोषणा पत्र के बारे में कुछ बताइए? कहा- देखिए, यह सब वोट लेने का माध्यम है। भाजपा के घोषणा पत्र में सिर्फ राष्ट्रवाद की बात की गई है, रोजगार का कहीं जिक्र नहीं।
फिर से राम-मंदिर बनाने, धारा-370 हटाने की बात कही गई है। पांच साल पूर्ण बहुमत में रहने के बाद क्यों नहीं हुआ यह सब? राहुल बोल रहे हैं कि पांच लाख गरीबों को छह हजार रुपये हर माह देंगे। गरीबों को रोजगार देने की बात कोई नहीं बोल रहा। चुनाव बाद जनता और नेता दोनों अपने घोषणा पत्रों को भूल जाते हैं। इस घोषणा पत्र की याद फिर चुनाव के समय ही आएगी। घोषणा पत्र तो वे दल भी जारी कर रहे हैं जिनके पास 272 प्रत्याशी भी नहीं है।
तभी इयर फोन निकालते हुए विष्णु सरदार ने कहा देश की सुरक्षा अहम मुद्दा तो है ही। याद कीजिए 2009 में कांग्रेस की सरकार थी और आइपीएल चुनाव होना था, सरकार ने सुरक्षा देने से मना कर दिया था। तब टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। इसबार भी चुनाव भी हो रहा है और आइपीएल भी। राष्ट्रवाद तो असल मुद्दा है ही। देश को आतंकवाद, अलगाववाद के साथ विदेशी ताकतों से बचाने के लिए रणनीति तो बनानी ही होगी। गालूडीह पार करते-करते आगे के सीट पर बैठे मनमोहन और बासुदेव बेरा भी चुनावी चर्चा में शामिल हो गए। कहा- उज्ज्वला, शौचालय, आयुष्मान योजना से महिलाओं की पहली पसंद बने हैं मोदी। यह सही है कि रोजगार के लिए अवसर नहीं मिले हैं, इंतजार कीजिए जरूर मिलेंगे। समझाने के भाव में कहा- देश का सम्मान बढ़ा है। महिलाओं, किसानों के हित की बातें की जाती हैं। सरकार सबका हित तो चाह रही, थोड़ा समय दीजिए।
झारखंड में तो महिलाएं बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं, सिर्फ सुरक्षा की बात की जाती है। महिलाओं के हित में कहीं कोई काम नहीं हो रहा है। यकीन नहीं आए तो एक सप्ताह का अखबार देख लीजिए...। बगल की सीट पर बैठी महिला लगभग नाराज होते हुए कही। उनका परिचय ले पाते, तब तक फूलडुंगरी के पास उतर गईं। महिला की बात से लगा कि वह शिक्षिका थीं।
सरकार बनाने में जनता की सोच व वोट अहम रोल निभाता है। पूर्वी सिंहभूम में तो चुनाव अगले महीने है। इस संसदीय क्षेत्र में तो अभी चुनावी सरगर्मी नहीं है। वैसे यहां विद्युत वरण महतो और चंपई सोरेन के बीच लड़ाई होगी। जीत का अंतर कम हो सकता है। यह बात पास बैठे निमाईचंद्र दास ने कही। बस टाटा पहुंचने वाली थी। सभी लोग अपने-अपने सामान देखने लगे तो मैंने भी अपनी डायरी बंद कर ली।