EVM छेड़छाड़ मामला: बैलेट पेपर छोड़ इवीएम पर राजी हुआ विपक्ष, 50 फीसद पर्ची गिनती की शर्त
इवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर चुनाव आयोग कई बार अपनी सफाई दे चुका है। आज एक बार फिर आयोग विपक्षी दल के नेताओं से मुलाकात करेगा और उनके हर सवाल का जवाब देगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इवीएम की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठा रहे विपक्षी दलों ने समय की कमी को देखते हुए बैलेट पेपर से लोकसभा चुनाव कराने की मांग छोड़ दी है। मगर निष्पक्ष चुनाव के लिए इवीएम की 50 फीसदी पेपर ट्रेल पर्चियों की गिनती की चुनाव आयोग से मांग की है।
कांग्रेस समेत 23 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में जाकर यह साफ कहा है कि इवीएम के वीवीपीएटी मशीनों से लैस हो जाने के बाद 50 फीसद पर्चियों मतगणना में गिनती मुश्किल नहीं है। इन पार्टियों ने यह भी कहा है कि देश के 70 फीसद मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने के नाते वे इवीएम पर पूरे देश की चिंता की नुमाइंदगी करते है। इसीलिए चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की लोकतंत्र के सबसे अहम लक्ष्य के लिए सभी 23 पार्टियों की चिंता को गंभीरता से लेते हुए इवीएम पर जारी आशंकाओं को खत्म करना चाहिए।
विपक्षी दलों के नेताओं के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से सोमवार को मुलाकात कर इवीएम पर अपनी चिंता से रूबरू कराते हुए यह मांग की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की अगुआई में टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू, सपा नेता रामगोपाल यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, राजद के मनोज झा, जदएस के दानिश अली, माकपा के मोहम्मद सलीम, भाकपा के डी राजा और आप के संजय सिंह आदि विपक्षी नेताओं के इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
चुनाव आयोग को इवीएम से जुड़ी चिंताओं और मांगों को लेकर विपक्षी दलों की ओर से एक ज्ञापन भी सौंपा गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू समेत 23 दलों के शीर्ष नेताओं के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन में ही विपक्षी पार्टियों ने देश के 70 फीसदी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने की बात कही है।
इवीएम को फूल-प्रूफ बनाकर ही लोकसभा चुनाव कराने की अपनी मांगें चुनाव आयोग को सौंपने के बाद विपक्षी नेताओं के साथ बाहर निकले गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों से कहा कि ढाई फीसदी पेपर ट्रेल पर्चियों की गिनती का औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि 50 फीसद पेपर ट्रेल पर्ची और इतनी ही इवीएम गिनती के सैंपल से चुनाव की निष्पक्षता कायम रखी जा सकती है।
आजाद ने कहा कि समय की कमी को देखते हुए हम बैलेट पेपर की जगह इवीएम से पारदर्शी तरीके से चुनाव के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने विश्वास दिलाया है कि इसको लेकर उसने एक कमिटी बिठाई है और उसकी रिपोर्ट जल्द प्रकाशित करेंगे। आजाद ने कहा कि तकनीकी रिपोर्ट राजनीतिक पार्टियों के लिए मायने नहीं रखते क्योंकि मैदान में इवीएम की खामियों से बीते तीन चार साल में उन्हें रुबरू होना पड़ा है।
आजाद ने कहा कि कई चुनावों के दौरान आयोग के सामने यह गंभीर शिकायत आयी है कि चाहे हाथ, हाथी, साइकिल या किसी दूसरे चुनाव चिन्ह का बटन दबाए जाने पर भी वोट एक ही पार्टी भाजपा के निशान कमल फूल को जाता है। इसको लेकर कई पोलिंग स्टेशन पर विवाद हुए और चुनाव अधिकारी इस समस्या का समाधान अब तक नहीं निकाल पाए हैं। विपक्षी दलों ने अपने ज्ञापन में भी पांच राज्यों के हाल के चुनाव में इवीएम में गड़बड़ी से लेकर मतगणना केंद्रों के बाहर पकड़े गए गैर इस्तेमाल इवीएम मशीनों के वाकये का भी जिक्र किया गया है।
आजाद ने कहा कि इवीएम में पार्टियों और मतदाताओं का भरोसा बना रहे रखने के लिए हमारी सिफारिशों पर अमल सुनिश्चित करना आयोग की जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों है। विपक्षी दलों के नेताओं की एक फरवरी को हुई बैठक में इवीएम के मुद्दे पर साझा रणनीति के साथ चुनाव आयोग जाने का फैसला लिया गया था। राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू और शरद पवार समेत 22 पार्टियों के शीर्ष नेता इस बैठक में शामिल हुए थे।