Election 2019: झालावाड़-बारां में वसुंधरा के बेटे दुष्यंत लगाएंगे जीत का चौका
राजस्थान में चुनाव सरगर्मी तेज हो गई है। सबसे हाईप्रोफाइल सीट झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र है यह वसुंधरा राजे का राजनीतक कार्य क्षेत्र है और वर्तमान में उनके के पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस मिशन-25 की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 25 सीटें जीतने वाली भाजपा के सामने अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है।
राजस्थान का हाड़ौती क्षेत्र (कोटा संभाग) शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) जनसंघ और बाद में भाजपा का गढ़ रहा है। लेकिन यहां की सबसे हाईप्रोफाइल सीट झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र है, क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का राजनीतक कार्य क्षेत्र है और वर्तमान में उनके के पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद है। इसी तरह हाड़ौती का एक अन्य संसदीय क्षेत्र कोटा भी इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कोटा सीट से साल,2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे इज्येराज सिंह विधानसभा चुनाव में भाजपा में शामिल हो गए। अब यहां कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा लोकसभा चुनाव में उतारने लायक नजर नहीं आ रहा है। कोटा से भाजपा के वर्तमान सांसद ओम बिड़ला को फिर से टिकट मिलना तय माना जा रहा है।
झालावाड़-बांरा संसदीय क्षेत्र का संक्षिप्त परिचय
आजादी के बाद यह सीट सिर्फ झालावाड़ थी, लेकिन 2008 के परिसीमन में झालावाड़ जिले की 4 और बारां जिले की 4 विधानसभा सीटों को मिलाकर झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र का गठन किया गया। यहां अब तक हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 8 बार जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस ने 4 बार, भारतीय जनसंघ ने 2 बार, भारतीय लोकदल ने 1 बार और जनता पार्टी ने 1 बार इस सीट पर कब्जा जमाया। 1989 से 1999 तक लगातार 5 बार वसुंधरा राजे यहां से सांसद बनी। वहीं राज्य की राजनीति में राजे की एंट्री के बाद 2004 से 2014 तब लगातार वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह यहां से सांसद है। जातिगत आधार पर देखा जाए तो झालावाड़-बारां सीट पर गुर्जरों का खासा प्रभाव है, इसके बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, जैन और मुस्लिम समुदायों का वोट निर्णायक माना जाता है।
कोटा संसदीय सीट का संक्षिप्त विवरण
आजादी के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस महज चार बार इस सीट पर चुनाव जीती है। इस सीट से 1952 के चुनाव में रामराज्य परिषद के चंद्रसेन जीते ,1957 में कांग्रेस के ओंकार लाल विजयी रहे थे। इसके बाद 1962,1967,1971 में जनसंघ के कब्जे में यह सीट रही। 1980 में जनता पार्टी और 1984 में कांग्रेस के शांति धारीवाल,1989,1991 और 1996 में भाजपा के दाऊदयाल जोशी चुनाव जीते थे। इसके बाद 1998 में कांग्रेस के रामनारायण मीणा निर्वाचित हुए थे। 1999 में फिर यह सीट भाजपा के खाते में चली गई,यहां से रघुवीर सिंह कौशल चुनाव जीते,2004 में भी वे ही जीते। साल 2009 में कांग्रेस के इज्यराज सिंह निर्वाचित हुए और फिर पिछले लोकसभा ुचनाव में भाजपा के ओमबिड़ला चुनाव जीते।