Lok Sabha Election 2019: आंखों से नहीं आता पानी, मेहमान को चटपट बनाते चाय
प्रधानमंत्री आवास के तहत बना हुए मकान और कहीं बन रहीं भवन की दीवारों का भी दीदार हो रहा था। कोई आयुष्मान भारत योजना का कार्ड मिलने से गदगद है। किसी को गैस चूल्हा मिलने की खुशी।
गिरिडीह, प्रभात कुमार सिन्हा। पहले लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने के क्रम में आंखों से आंसू बहते थे, अब माचिस की एक तीली जलाकर कभी भी गैस चूल्हा जला लेते हैं। मेहमान और पहुना के लिए कड़क चाय बनाने में तनिक परेशानी नहीं होती है। जब इच्छा होती है चाय से लेकर खाना तक बनाते हैं। दरअसल यह उद्गार बेंगाबाद के बड़कीटांड़ पंचायत क्षेत्र की महिलाओं के हैं। दरअसल शुक्रवार को हम इस इलाके में केंद्रीय योजनाओं की पड़ताल को आए हैं।
सुबह के करीब 9:31 बजे हैं। हम बड़कीटांड़ आ गए हैं। गांव में चकाचक शौचालय दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास के तहत बना हुए मकान और कहीं बन रहीं भवन की दीवारों का भी दीदार हो रहा था। कोई आयुष्मान भारत योजना का कार्ड मिलने से गदगद है। किसी को गैस चूल्हा मिलने की खुशी। बातचीत शुरू हुई तो बड़कीटांड़ गांव के भवेश यादव बोले। इस सरकार ने अच्छा काम किया है। पहले इलाज के लिए सूदखोरों से कर्ज लेना पड़ता था।
आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को इलाज के लिए सौगात दे दी है। हमारा और कई ग्रामीणों का कार्ड बन गया है। यहां से हम घाघरा गांव आए। कुछ महिलाएं बैठीं हैं। हम भी वहां रुक गए। तो प्रेमलता देवी बोली भइया सरकार ने गैस चूल्हा प्रदान कर लकड़ी के चूल्हे से राहत दिला दी। पहले खाना बनाने में धुआं से आंखों में आंसू आ जाते थे, अब माचिस की एक तीली जलाकर चूल्हा जलाते हैं। मिनटों में काम हो जाता है। जो मर्जी चाहें बना लीजिए। धुआं भी नहीं लगता है। तभी पास बैठी शकुंतला देवी बोलीं सरकार ने हम गरीब महिलाओं का ख्याल रखने का काम किया है। पहले पहुना आने पर चूल्हा जलाने में समय बीत जाता था लेकिन अब पहुना के आते ही झट से गैस जला लेती हैं। उनके लिए चाय व नास्ता बनाने में सहूलियत होती है। तब तक निशा बोलीं सरकार ने घर-घर शौचालय बनवा दिया। अब खुले में शौच से मुक्ति मिल गई। यहां सभी शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। इस सरकार ने महिलाओं को सम्मान देने का काम किया है। तब तक शांति देवी बोल पड़ीं मकान मिल गया है। अब राहत मिली है। पहले कच्चे घर की छप्पर से बरसात में पानी रिसता था।
गैस का कनेक्शन भी मिला है। इस बीच वहां से गुजर रहे काली पंडित को देखा। वे हाथ में आयुष्मान भारत का कार्ड लिए हैं। बोले सरकार ने निश्शुल्क इलाज के लिए यह कार्ड दिया है। पहले बीमार पडऩे पर इलाज के लिए सेठ के पास जाकर कर्ज लेना पड़ता था, अब उससे निजात मिली है।
125 आवासों के लिए मिली स्वीकृति, 48 लाभुकों का बन गया आवास : इसके बाद हम वहां से निकल पड़े। रास्ते में मुखिया चंद्रावती देवी का घर है। हम वहां रुक लिए। वे बोलीं पूरे पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 125 लाभुकों के मकान की स्वीकृति मिली है। 48 का आवास निर्माण पूर्ण हो चुका है। इसके अलावे पंचायत में 730 शौचालय का निर्माण कराया है। 418 लाभुकों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन व 1170 लाभुकों को आयुष्मान भारत के तहत हेल्थ कार्ड मिला है।
बासोकुरहा गांव पहुंचने से पहले लड़खड़ा गईं योजनाएं : हम बासोकुरहा गांव पहुंचे। गांव चकाचक शौचालय बने दिख रहे हैं। पर, उनका उपयोग नहीं हो रहा है। 500 की आबादी के इस गांव में पानी का संकट है। तीन चापाकल हैं पर सूख गए हैं। एक कुएं पर गांव की जिंदगी जैसे तैसे चल रही है। गावं के बहादुर भोक्ता मिल गए। बोले इस गांव में सुविधा के नाम कुछ भी नहीं है। न प्रधानमंत्री आवास योजना न आयुष्मान भारत योजना किसी को मिली। वहां आई बुंदिया देवी बोलीं कई साल पहले इंदिरा आवास मिला। वह भी आधा अधूरा। कुछ लोगों को यहां गैस चूल्हा मिला है। इलाज के लिए कार्ड बनाने की बात सुने थे, हमारा तो नहीं बना। शौचालय बना पर पानी ही नहीं है। गांव के विश्वनाथ भोक्ता, मुखनी देवी, शनिचर भोक्ता, गोरी देवी भी यहां पहुंच गईं। बोलीं ब्लॉक तक की दौड़ लगाई पर योजनाओं का लाभ हमें नहीं मिल सका।
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