चुनाव आयुक्त लवासा की मांग खारिज, चुनाव आयोग में पुरानी व्यवस्था रहेगी कायम
आपत्तियों को लेकर हुई चुनाव आयोग की बैठक में 2-1 के नतीजों से तय हुआ है कि अशोक लवासा ने जो आचार संहिता से जुड़े मसले पर विचारों को सार्वजनिक करने की मांग की थी वह पूरी नहीं होगी।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चुनाव आयोग ने आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। आपत्तियों को लेकर हुई चुनाव आयोग की बैठक में 2-1 के नतीजों से तय हुआ है कि अशोक लवासा ने जो आचार संहिता से जुड़े मसले पर विचारों को सार्वजनिक करने की मांग की थी, वह पूरी नहीं होगी।
आयोग ने साफ किया है कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सभी सदस्यों के बयान दर्ज जरूर किए जाएंगे, लेकिन अल्पमत वाले फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, और मौजूदा व्यवस्था ही कायम रहेगी। चुनाव आयोग ने इसके पीछे तर्क दिया है कि आचार संहिता उल्लंघन का मामला अर्ध न्यायिक प्रक्रिया में शामिल नहीं होता। इसीलिए अल्पमत वाले फैसले को आम नहीं किया जा सकता।
चुनाव आयोग ने लवासा की आपत्तियों और बैठकों में भाग न लेने की घोषणा को देखते हुए मंगलवार को अहम बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के अलावा चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र और अशोक लवासा भी शामिल थे। दरअसल लवासा ने पिछले दिनों मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में फैसला देते समय उनकी असहमतियों को दर्ज नहीं किया जा रहा।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों को निपटाते हुए आयोग ने उन्हें क्लीन चीट दे दी थी। जबकि लवासा ने तकरीबन पांच मामलों में असहमति जताई थी, लेकिन उनकी राय को सार्वजनिक नहीं किया गया था।
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