LOk Sabha Election 2019 : आकाश निहार रहीं आखें, कैसे बुझे प्यास, कैसे होगी सिंचाई
Lok sabha Election 2019. बहुसंख्य किसान वर्षा जल पर निर्भर हैं। उनकी आंखें पानी के लिए आकाश को निहारती रहती हैं। इस साल खेत अभी से सूखने लगे हैं।
जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव। चांडिल अनुमंडल अंतर्गत नीमडीह प्रखंड का तिल्ला गांव। तपिश बढ़ने के साथ खेतों की मिट्टी झुरझुराने लगी है। दोपहरी ढलने को है लेकिन गांव की सड़क-पगडंडियां सूनी हैं। दूर खेतों से होकर आती दिखी वृद्ध महिला। कमर नब्बे डिग्री तक झुकी हुईं। रोकने पर ठिठकी। नाम पूछने पर आशा दास बताया। चुनाव के बारे में पूछते ही फट पड़ी, केऊ जीतूक-केऊ हारूक, आमार की होबे। (कोई जीते-कोई हारे, उससे हमारा क्या) पानी की कमी से हर साल खेत सूखने लगते हैं। पहले भी कई बार नेता लोग आए थे। बोले कि सिंचाई की व्यवस्था करेंगे, खेतों को पानी मिलेगा लेकिन इलेक्शन के बाद कोई पूछने नहीं आया।
उम्र के 85 पड़ाव पार कर चुकी आशा दास का दर्द ही इस इलाके का दर्द है। विकास के दावों का सच भी। हर साल पानी की समस्या से लोग जूझते हैं। आज भी बहुसंख्य किसान वर्षा जल पर निर्भर हैं। उनकी आंखें पानी के लिए आकाश को निहारती रहती हैं। इस साल खेत अभी से सूखने लगे हैं। सिंचाई की कौन कहे, पीने के पानी की समस्या है। तिल्ला गांव चांडिल अनुमंडल के बड़े गांवों में एक है। बड़ा गांव होने के कारण दो मतदान केंद्र हैं। करीब दो से ढाई हजार की आबादी के लिए पिछले साल साल ऊपर कुल्ही स्थित सोलर जलमीनार लगाया गया। इससे होकर पाइपलाइन बिछा घर-घर जलापूर्ति की व्यवस्था शुरू की गई।
किल्लत से झगड़े का कारण बन रहे कुएं
इलाके में पेयजल की समस्या से लोग परेशान हैं तो सिंचाई की क्या कहें। पूछने पर कई लोगों ने पानी की किल्लत की हालत यह है कि जिसके पास कुएं हैं यदि मजबूरी में कोई उनके कुएं से पानी भरे तो दस बातें सुननी पड़ती हैं। कई बार यह झगड़े का कारण बनने लगे हैं। ऊपर कुल्ही के तीन चापाकल में एक खराब हो चुका है तो दूसरे से पीने लायक पानी नहीं निकलता। मजबूरन लोगों के निजी कुआं से पानी लाना पड़ता है।
ये कहते ग्रामीण
घर चलाना मुश्किल है। दो बेटे हैं। एक चना-मूढ़ी बेचता है दूसरा हाट-बाजार में कपड़ा। वृद्धावस्था पेंशन मिलती है जिससे किसी तरह काम चल रहा है। सिंचाई की समस्या यहां हर किसान की समस्या है।
-आशा दास, तिल्ला
गांव के लोगों का मुख्य काम खेती-किसानी है जिसके लिए बारिश ही सहारा है। धान यहां ही मुख्य फसल है। कुछ लोग सब्जियां भी उगाते हैं। बारिश नहीं होने पर कुंए के पानी से सिंचाई कर काम चलाते हैं।
-मोती रजक, ऊपर कुल्ही