Lok Sabha Election 2019: माओवादियों के गढ़ में JMM को AJSU की चुनौती
माओवादियों के गढ़ में विनोद बाबू के समय से लेकर 2014 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव तक कोई भी राजनीतिक पार्टी झामुमो की बादशाहत को चुनौती नहीं दे सकी है।
गिरिडीह, दिलीप सिन्हा। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र झामुमो के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो एवं अध्यक्ष शिबू सोरेन के संघर्ष का गवाह रहा है। बिनोद बाबू ने संघर्ष के बल पर इस सीट पर पहली बार 1991 में झामुमो का परचम लहराया था। इस लोकसभा क्षेत्र का वह हिस्सा जो जंगलों एवं पहाड़ों से घिरा हुआ है, वहां माओवादियों एवं झामुमो दोनों का वर्चस्व रहा है। इन इलाकों में आम दिनों में तो माओवादियों का सिक्का चलता है, तो चुनाव के समय में झामुमो की बादशाहत रहती है। इन क्षेत्रों में ही मिले थोक वोट के बल पर ही झामुमो यहां भाजपा को करारा जवाब देता रहा है। बावजूद आज समय बदल रहा है। आजसू ने यहां झामुमो की बादशाहत को चुनौती दी है।
माओवादियों के गढ़ में विनोद बाबू के समय से लेकर 2014 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव तक कोई भी राजनीतिक पार्टी झामुमो की बादशाहत को चुनौती नहीं दे सकी है। पहली बार यहां आजसू यहां झामुमो के लिए खतरा बनी है। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के झामुमो प्रत्याशी व डुमरी के विधायक जगरनाथ महतो को यहां भाजपा समर्थित आजसू प्रत्याशी व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी कांटे की टक्कर दे रहे हैं। इस इलाके में पिछले लोकसभा चुनाव में जीते भाजपा के रवींद्र कुमार पांडेय भी जाने का साहस कम ही करते थे। यह पहला मौका है जब झामुमो को अपने गढ़ में दबाव झेलना पड़ रहा है। जो झामुमो की सेहत को नुकसान कर सकता है।
गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र का पीरटांड़ प्रखंड, डुमरी विधानसभा क्षेत्र का डुमरी प्रखंड का उत्तरी हिस्सा व निमियाघाट थाना क्षेत्र का चकरबड़ई, टेसाफूली, मोहनपुर, शंकरडीह, डुमरी विधानसभा क्षेत्र के नावाडीह प्रखंड की ऊपर एवं नीचे घाट की नौ पंचायतें, गोमिया विधानसभा क्षेत्र के झुमरा एवं लुगू पहाड़ की 14 पंचायत एवं टुंडी विधानसभा क्षेत्र के पश्चिमी टुंडी, पूर्वी टुंडी के पहाड़ी तट के गांव, तोपचांची एवं राजगंज के पहाड़ी तट के दर्जनों गांव नक्सल प्रभावित है। ये गांव झामुमो को हमेशा चुनाव में मदद करते रहे हैं। यहां से उसे थोक वोट मिलते रहे हैं। यहां का जातीय समीकरण भी झामुमो के पक्ष में रहा है। पूरा इलाका कुर्मी एवं आदिवासी बहुल है। कुर्मी प्रत्याशी होने के कारण कुर्मी समुदाय का समर्थन झामुमो को मिलता रहा है।
आदिवासी समुदाय हर परिस्थिति में झामुमो के साथ रहा है। इस बार जैसे ही भाजपा ने यह सीट आजसू को दी। स्थिति बदल गई। आजसू ने कुर्मी कार्ड खेल यहां से चंद्रप्रकाश चौधरी को प्रत्याशी बनाया। यानी कुर्मी वोटरों को भी विकल्प मिला। झामुमो के आदिवासी वोट बैंक में आजसू की सेंधमारी हो रही है। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो तो प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी के साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कैंप कर झामुमो की जमीन खिसकाने में लगे हुए हैं। पीरटांड़ में झामुमो का सिक्का चलता है, वहां के सुदूर गांवों में भी आजसू पहुंच रही है। हरलाडीह जैसे घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आजसू एवं भाजपा ने संयुक्त रूप से चुनावी सभा की।
झामुमो को उसके गढ़ में आजसू ने घेरा : आजसू के केंद्रीय महासचिव संतोष कुमार महतो कहते हैं कि झामुमो ने यहां के लोगों को ठगने का ही काम किया है। यह बात लोग समझ चुके हैं। यहां आदिवासी, कुर्मी समेत सभी समुदाय का समर्थन आजसू को मिल रहा है। झामुमो इस क्षेत्र को जागीर समझता रहा है। इस बार उसका किला ध्वस्त होगा। दूसरी ओर झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो का दावा है कि विनोद बाबू की धरती में आजसू की दाल नहीं गलने वाली है। दावा जिसका भी जो हो लेकिन यह सही है कि पहली बार झामुमो को उसके गढ़ में आजसू ने घेर लिया है। झामुमो यहां से बड़ी बढ़त नहीं ले सका तो उसके लिए परेशानी होगी।
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