Move to Jagran APP

क्‍या भोपाल में 35 साल से जीत की बाट जोह रही कांग्रेस का सूखा खत्‍म कर पाएंगे दिग्विजय?

एक दशक तक मप्र के मुख्यमंत्री और दो बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते दिग्विजय को प्रदेश के मुद्दों की गहरी समझ भी है और पकड़ भी। नेताओं के मिजाज की स्केनिंग वे बखूबी कर लेते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 09:35 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 09:35 AM (IST)
क्‍या भोपाल में 35 साल से जीत की बाट जोह रही कांग्रेस का सूखा खत्‍म कर पाएंगे दिग्विजय?
क्‍या भोपाल में 35 साल से जीत की बाट जोह रही कांग्रेस का सूखा खत्‍म कर पाएंगे दिग्विजय?

ऋषि पाण्डे, भोपाल। 35 साल। जी हां...पूरे 35 साल हो गए हैं, भोपाल से किसी कांग्रेस उम्मीदवार को लोकसभा चुनाव में विजयी हुए। इस चुनाव में कांग्रेस के नजरिए से दिग्विजय सिंह संभावना की किरण के रूप में हैं, लेकिन तीन दशकों का सूखा मिटाकर वे कांग्रेस के लिए लगभग बंजर हो चुकी भोपाल संसदीय सीट की जमीन पर वोटों की फसल लहलहा पाते हैं या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।

loksabha election banner

एक दशक तक मप्र के मुख्यमंत्री और दो बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते दिग्विजय को प्रदेश के मुद्दों की गहरी समझ भी है और पकड़ भी। नेताओं के मिजाज की स्केनिंग वे बखूबी कर लेते हैं। विवाद उन्हें ताकत देते हैं। खासतौर पर आरएसएस, हिंदुत्व और भाजपा को लेकर उनके आग उगलते ट्वीट्स को लेकर सोशल मीडिया पर जितनी तोहमत उन्होंने झेली, शायद ही किसी दूसरे नेता ने झेली हो।

ये भी पढ़ें - ओडिशा में केंद्रपारा है नाक की लड़ाई, भाजपा को उम्मीदवार बैजयंत जय पांडा से हैं बड़ी आशाएं

उन्हें भोपाल से चुनाव लड़ाने का फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ ने काफी सोच विचार कर लिया था। मप्र के तमाम नेताओं पर नजरें दौड़ाएं तो दिग्विजय और ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा ऐसा कोई तीसरा नेता नजर नहीं आता, जिसकी पूरे प्रदेश में समान रूप से पकड़ हो। सिंह को भोपाल से चुनाव लड़ाने की वजह उनकी सर्वस्वीकार्य छवि रही है। पार्टी जानती थी कि राष्ट्रीय स्तर के कद को देखते हुए कोई कांग्रेसी नेता या गुट उनका विरोध नहीं करेंगे, भितरघात जैसे खतरों से उन्हें दो-चार नहीं होना पड़ेगा, लेकिन पार्टी को यह आभास नहीं था कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारकर भाजपा भोपाल के चुनावी समर की दिशा ही मोड़ देगी।

भाजपा की सोच यह थी कि प्रज्ञा को सामने देखते ही दिग्विजय सिंह अपना संतुलन खो देंगे और कुछ न कुछ ऐसा बोल जाएंगे, जिससे वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए और फायदा भाजपा ले भागे। पर चतुर सुजान दिग्विजय भाजपा के इस मंसूबे को ताड़ गए। उन्होंने साध्वी के मैदान में आते ही विवाद वाले विषयों के लिए चुप्पी साध ली। कार्यकर्ताओं को भी कह दिया कि भगवा आतंकवादर्, हिंदुत्व जैसे विषयों को न छुएं।

ये भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2019: Kirti Jha की काट में PN ने Sanjay Jha को किया सामने, बनाया Election agent

अब साध्वी नपे-तुले शब्दों में कर रहीं बात: दिग्विजय भाजपा के दांव में नहीं आए, अलबत्ता साध्वी खुद चूक कर बैठीं। मुंबई आतंकवादी हमले में शहीद हुए महाराष्ट्र एटीएस के अफसर हेमंत करकरे के बारे में दिए उनके बयान ने पूरे देश में भूचाल ला दिया। भाजपा को जब लगा कि वह बेवजह कठघरे में आ रही है, जिसका खामियाजा महाराष्ट्र समेत दूसरी सीटों पर भी भुगतना पड़ सकता है, तब उसने साध्वी के बयान से पल्ला झाड़ लिया। बाद में साध्वी की काउंसलिंग की गई। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने उन्हें ट्रेनिंग दी कि उन्हें क्या-क्या बोलना है और किस-किस बात पर चुप रहना है। अब साध्वी मीडिया से नपे-तुले शब्दों में बात कर रही हैं। भाषण देते समय भी तोल-मोल करबोल रही हैं। इससे उलट दिग्विजय इस चुनाव को विकास के मुद्दे पर लड़ना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने भोपाल के लिए एक विजन डाक्यूमेंट जारी किया है। भाजपा विजन डाक्यूमेंट पर दिग्विजय की खिल्ली उड़ाने से पीछे नहीं हट रही है। पिछले 15 साल से प्रदेश में जिस एक मुद्दे को भाजपा ने जिंदा रखा है, वह है दिग्विजय शासन के दस साल। भाजपा ने तो विकास को लेकर उनका नामकरण मिस्टर बंटाधार कर रखा है।

बदल रही राजनीतिक फिजा

जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक फिजा बदल रही है। भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इस चुनाव पर हिंदुत्व का रंग उड़ेल रही हैं। इसकी झलक मंगलवार को उनके नामांकन फॉर्म जमा कराने के लिए निकली रैली में भी देखने को मिली। पूरी रैली भगवा रंग से सराबोर दिखी। भगवा ध्वज और भगवा साफा पहने लोगों का हुजूम एक संकेत दे रहा था कि भोपाल का चुनाव किस दिशा में जा रहा है।

चुनाव की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.