Move to Jagran APP

Lok Sabha Elections 2019: पत्नी से पीड़ित पुरुषों को हक दिलाएंगे दशरथ देवड़ा, किए ये वादे

Dasharath Deora. दशरथ देवड़ा पुरुषों के हक की बात करते हुए मीटू कैंपेन पर रोक व तलाक को आसान करने की बात करते हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 05:23 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 05:23 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019: पत्नी से पीड़ित पुरुषों को हक दिलाएंगे दशरथ देवड़ा, किए ये वादे
Lok Sabha Elections 2019: पत्नी से पीड़ित पुरुषों को हक दिलाएंगे दशरथ देवड़ा, किए ये वादे

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। लोकसभा चुनाव 2019 में नेता मतदाताओं को लुभाने को कई प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अहमदाबाद पूर्व सीट से अखिल भारतीय पत्नी अत्याचार विरोधी संघ के बैनर तले चुनाव लड़ रहे दशरथ देवड़ा एक मात्र ऐसे उम्मीदवार हैं, जो पुरुषों के हक की बात करते हुए मीटू कैंपेन पर रोक व तलाक को आसान करने की बात करते हैं।

loksabha election banner

गुजरात में दुखी पतियों के मसीहा जैसी इमेज रखने वाले दशरथ देवड़ा खुद भुक्तभोगी हैं। दुखी पति वाहिनी का बोर्ड लगी उनकी पुरानी एंबेसडर जब पुलिस थाने या किसी कोर्ट परिसर में खड़ी होती है तो अच्छे-अच्छे अफसरों के पसीने छूट जाते हैं। दुखी पतियों की आवाज बुलंद करने के लिए वे दूसरी बार इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। देवड़ा ने अपने 11 सूत्रीय संकल्प पत्र में पुरुष आयोग के गठन, पति-पत्नी के विवाद को समाज में ही निपटाने, तलाक प्रक्रिया को आसान बनाने,पुरुषों को समान हक व कामकाजी महिलाओं के मी टू अभियान को रोकने जैसे वादे किए हैं। देवड़ा के चुनाव लड़ने की खबर मिलने पर उनके गुरु नाथ संप्रदाय केसंत राकेश नाथ उत्तराखंड से सीधे अहमदाबाद पहुंचे और देवड़ा की मांगों का समर्थन भी किया। राकेशनाथ ने कहा कि पाश्चात संस्कृति ने हमारे समाज को छिन्न-भिन्न कर दिया है। युवक-युवतियों को आजादी मिले लेकिन स्वछंदता नहीं।

करीब तीस साल पहले पत्नी से विवाद होने के चलते जब उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 406,306 और सीआरपीसी एक्टज 125 के तहत मुकदमा चला तो शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से उनका परिवार टूट गया। देवड़ा के मुताबिक, इसी विवाद के दौरान पुलिस प्रताड़ना व समाज में बदनामी के चलते माता-पिता समेत परिवार के छह सदस्य काल के गाल में समा गए। देवड़ा ने दहेज,पत्नी प्रताड़ना व महिला के साथ क्रूरता जैसे कानूनों से तंग आकर इन्हीं के खिलाफ जंग छेड़ दी। वर्ष 1994 में उन्होंने अखिल भारतीय पत्नी अत्याचार विरोधी संघ की स्थापना की और दुखी पतियों की कानूनी मदद करने लगे। अब उनके कार्यालय पर पत्नी व ससुराल वालों से परेशान पतियों की कतार लगी रहती हैं।

दुखी पति से लॉ कमिशन के सदस्य तक

दहेज विरोधी कानून में संशोधन की मांग को लेकर एक बार दशरथ देवड़ा ने गुजरात हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की तो मुख्य न्याायाधीश ने उलटे देवड़ा को फटकार लगाते हुए दो लाख का जुर्माना लगा दिया। देवड़ा कोर्ट की फीस के लिए लोगों से सड़कों पर एक-दो रुपये चंदा मांगने लगे। आखिर कोर्ट को जुर्माना हटाना पड़ा। बाद में उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में खुद दहेज विरोधी कानून में संशोधन की जरूरत बताई। नरेंद्र मोदी सरकार के कानून विभाग ने देवड़ा को लॉ कमिशन का सदस्य भी नियुक्ता किया था।

पत्नी पीड़ित पुरुषों के नेता दशरथ देवड़ा ने किए ये वादे 

-महिला आयेाग की तरह पुरुष आयोग बने

-पति-पत्नी का विवाद कोर्ट में ना घसीटें

-तलाक की प्रक्रयिा को सरल बनाएं

-दीवानी व फौजदारी मुकदमों की एक ही कोर्ट हो

-पत्नी की शिकायत फर्जी हो तो उस पर केस चले

-पुरुष को भी समान हकों का लाभ मिले

-दहेज कानून 498ए, 406,306, सीआरपीसी 125 में सुधार हो

-डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, सेक्सुअल हरासमेंट व मीटू कैंपेन पर रोक लगे।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.