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मोदी लहर में कांग्रेस के दिग्‍गज नेता का कद फिर हो गया कम, जानिए अ‍ाखिर क्‍या रही वजह

नैनीताल सीट पर जहाँ भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को मैदान पर उतारा तो कांग्रेस ने पूर्व सीएम व प्रदेश के बड़े चेहरे हरीश रावत पर दांव खेला।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 11:13 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 12:28 PM (IST)
मोदी लहर में कांग्रेस के दिग्‍गज नेता का कद फिर हो गया कम, जानिए अ‍ाखिर क्‍या रही वजह
मोदी लहर में कांग्रेस के दिग्‍गज नेता का कद फिर हो गया कम, जानिए अ‍ाखिर क्‍या रही वजह

हल्द्वानी, जेएनएन। पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को सियासत का चतुर खिलाड़ी माना जाता है, लेकिन जमीनी राजनीति में माहिर माने जाने वाले हरदा मोदी लहर के सामने एक बार फिर नतमस्तक हो गए। इस चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद वह राउंड दर राउंड पिछड़ते चले गए। इस चुनाव को रावत के राजनीतिक भविष्य के लिए अहम माना जा रहा था। मोदी मैजिक में जिस तरह उनकी पराजय हुई। इससे उन्हें अपना राजनीतिक वजूद बड़ा करने के लिए अब अतिरिक्त संघर्ष करना पड़ेगा। उनके हार की 10 वजहें। 

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वजह एक : जमीनी संगठन का अभाव : कांग्रेस में जमीनी संगठन का अभाव नजर आया। चुनाव हो गए हैं, लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी तक गठित नहीं हो सकी थी। बूथ मैनेजमेंट भी बेहद कमजोर था। यह भी एक बड़ा कारण रहा कि हरीश रावत अपने कद के अनुरूप वोट हासिल करने में असमर्थ रहे।

वजह दो : स्टार प्रचारक की कमी : हरीश रावत ने पूरा चुनाव अपने दम पर लड़ा। रणनीति से लेकर चुनावी जनसभाओं का पूरा खाका उन्होंने व नजदीकियों ने तैयार किया, जबकि भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में देश के बड़े चेहरे प्रचार को पहुंचे। इसके बावजूद कांग्रेस ने किसी बड़े नेता को लोकसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं भेजा।

वजह तीन : देरी से टिकट मिलना : विपक्षी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस टिकट वितरण में भाजपा से पिछड़ गई, जिस वजह से रावत को प्रचार के लिए समय कम मिला। भट्ट का प्रचार कांग्रेस की तुलना में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ता गया। समय कम होने से बेहतर मैनेजमेंट नहीं हो सका।

वजह चार : हरदा के लिए एकजुट नहीं : बड़े नेता होने के साथ हरीश रावत के विरोधी भी कम नहीं थे। चुनाव में पार्टी के भीतर एकजुटता की कमी दिखी। अंदरखाने बड़े नेताओं ने हरीश रावत का समर्थन ही नहीं किया। टिकट वितरण से पहले हुई बयानबाजी का कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया। 

वजह पांच : माहौल बरकरार नहीं रख सके : अंतिम समय में टिकट झटकने वाले हरदा ने एक बार माहौल अपने पक्ष में कर लिया था, जिससे भाजपा भी सकते में आ गई थी। मगर भाजपा ने नई रणनीति तैयार कर खुद को आगे बढ़ाया और हरीश शुरुआती माहौल को बरकरार रखने में कामयाब नहीं हो सके।

वजह छह : मुकाबला हरीश-अजय नहीं हो सका: कांग्रेस ने रावत पर दांव खेलने के बाद मुकाबले को हरीश बनाम अजय करने की कोशिश की। रावत को इसका फायदा भी मिलता, लेकिन भाजपा लड़ाई को मोदी बनाम अन्य में ले आई। इस वजह से विधानसभा चुनाव की तरह हरदा को करारी हार का सामना करना पड़ा। 

वजह सात : एंटी इनकमबेंसी का माहौल नहीं बना: केंद्र व राज्य में भाजपा सरकार होने की वजह से कांग्रेस ने एंटी इनकमबेंसी का माहौल तैयार करने की पूरी कोशिश की। रावत ने पुरानी योजनाओं व बंद बड़े प्रोजेक्ट का मुद्दा उछाला लेकिन सफलता नहीं मिली। 

वजह आठ : विधानसभा क्षेत्रों के दिग्गजों का प्रदर्शन बुरा: नैनीताल लोकसभा सीट में 14 विधानसभा सीट आती है, लेकिन क्षेत्रों के दिग्गजों का प्रदर्शन भी बुरा ही रहा। सिर्फ हल्द्वानी में अजय भट्ट की लीड का अंतर सबसे कम रहा।

वजह नौ : तराई से नहीं मिला समर्थन: लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा वोटर ऊधमसिंह नगर जनपद में है। दोनों प्रत्याशियों ने वहां पूरा फोकस किया। हरदा ने वहां पर अधिक रोड शो तक किए, भीड़ भी जुटाई, मगर इस भीड़ को वोटों में तब्दील नहीं कर सके।

वजह दस : विस चुनाव की कसक लोकसभा में बढ़ी : विधानसभा चुनाव में रावत को दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, तब मोदी लहर को वजह माना गया। लेकिन लोकसभा चुनाव में वोटों के अंतर ने यह कसक और बढ़ा दी। जीत के साथ हरदा प्रदेश व संगठन की राजनीति में खुद को सबसे आगे खड़ा कर सकते थे, पर ऐसा नहीं हुआ।

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