मिशन 2019: सीमांचल में कांग्रेस मजबूत, महागठबंधन की नैया पार लगाएगी पार्टी
बिहार में राजद भले ही मजबूत स्थिति में है लेकिन सीमांचल में हालात अलग हैं। वहां महागठबंधन में कांग्रेस अग्रणी भूमिका निभाने की स्थिति में है। स्थितियों का विश्लेषण करती खबर।
पटना [एसए शाद]। पिछले तीन दशक से बिहार में अधिकांश समय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर निर्भर कांग्रेस की स्थिति राज्य के अन्य भागों में जो भी हो, सीमांचल में भिन्न है। भले ही प्रदेश में महागठबंधन का नेतृत्व राजद के हाथों में हो, मगर सीमांचल में कांग्रेस लीड करने की स्थिति में है। यहां की चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस की दावेदारी है। तारिक अनवर के रूप में कांग्रेस के पास एक बड़ी हैसियत का नेता है, जबकि राजद के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन अब दुनिया में नहीं हैं।
राजद से बेहतर स्थिति में कांग्रेस
कांग्रेस सीमांचल में पिछले कुछ समय से राजद से बेहतर स्थिति में दिखने लगी है। यह स्थिति राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव तारिक अनवर के कांग्रेस में आ जाने और पिछले वर्ष राजद के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद उभरी है। तारिक अनवर कटिहार से सांसद हैं, जबकि तस्लीमुद्दीन अररिया से सांसद थे। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र सरफराज अहमद सांसद बने हैं, मगर वे तस्लीमुद्दीन के निधन से हुई राजनीतिक क्षति को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं।
गत चुनाव में राजग का नहीं खुला था खाता
पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सीमांचल की एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी। हालांकि, अन्य क्षेत्रों में उसे अच्छी कामयाबी मिली थी। कटिहार से राकांपा के तारिक अनवर, किशनगंज से कांग्रेस के मौलाना असरारुल हक, अररिया से राजद के तस्लीमुद्दीन और पूर्णिया से जदयू के संतोष कुशवाहा विजयी हुए थे। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) तब राजग का हिस्सा नहीं था।
सीमांचल की चारों सीटें मुस्लिम बहुल
किशनगंज सीट से सांसद बने असरारुल हक का निधन पिछले वर्ष हो चुका है। इस सीट पर कांग्रेस की दावेदारी है। चर्चा है कि कांग्रेस किशनगंज से जमीयत उलेमा के राष्ट्रीय सचिव मौलाना महमूद मदनी को टिकट दे सकती है। वह 2006 से 2012 के बीच समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। सीमांचल की चारों सीट मुस्लिम बहुल है और किशनगंज में तो मुस्लिम आबादी करीब 70 फीसद है।
राजद के हिस्से में आ सकती केवल अररिया सीट
पूर्णिया से 2009 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते उदय सिंह ने पिछले माह भाजपा की सदस्यता त्याग दी है। वे अभी कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन पूर्णिया से कांग्रेस की टिकट पर इस बार चुनाव लडऩे के प्रयास में हैं। इधर, तारिक अनवर के कांग्रेस में आ जाने से कटिहार सीट पर भी कांग्रेस की दावेदारी है। ऐसे में राजद के हिस्से में सीमांचल में अररिया ही आ सकती है।
मजबूत स्थिति में कांग्रेस
राजद में पूर्व में मो. तस्लीमुद्दीन के अलावा अख्तरुल इमान जैसे तेज तर्रार नेता थे। अख्तरुल इमान ने 2015 विधानसभा चुनाव के समय ही राजद छोड़ ओवैसी की पार्टी मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन ज्वाइन कर ली है। वहीं, कांग्रेस में सीमांचल में मो. जावेद, शकील अहमद खां जैसे नेता अभी सक्रिय हैं।