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देहरादून में राहुल गांधी की रैली में कांग्रेस ने फूंक डाले इतने लाख रुपये

निर्वाचन व्यय की लेखा टीमें राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के खर्च पर पैनी नजर रखने लगी हैं। 16 मार्च को देहरादून में हुई राहुल गांधी की रैली में 4.38 लाख रुपये खर्च किए गए।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 01:33 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 01:33 PM (IST)
देहरादून में राहुल गांधी की रैली में कांग्रेस ने फूंक डाले इतने लाख रुपये

देहरादून, सुमन सेमवाल। निर्वाचन व्यय की लेखा टीमें राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के खर्च पर पैनी नजर रखने लगी हैं। एक-एक खर्च का पूरा ब्योरा जुटाया जा रहा है और टीम ने अपनी पहली रिपोर्ट भी सौंप दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च को देहरादून के परेड ग्राउंड में हुई कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रैली में 14.38 लाख रुपये खर्च किए गए। यह पूरा खर्च कांग्रेस पार्टी के हिसाब में जोड़ा गया है। 

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हालांकि, किसी भी दल के लिए खर्च की सीमा तय नहीं की गई है। जब तक कि पार्टी विशेष के प्रतिनिधि या स्टार प्रचारक किसी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार न करें। टिहरी लोकसभा सीट की लेखा टीम ने भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह, सीपीआइएम प्रत्याशी राजेंद्र पुरोहित व निर्दलीय प्रत्याशी गोपालमणी के नामांकन के दिन किए गए खर्च का ब्योरा जुटाया है। इसमें सर्वाधिक खर्च माला राज्य लक्ष्मी ने किया और दूसरे स्थान पर सीपीआइएम प्रत्याशी का खर्च है। 

हालांकि, यह खर्च चुनाव की कुल खर्च सीमा से अभी बेहद कम है, जबकि इसमें नामांकन रैली से लेकर कार्यकर्ताओं के खान-पान, प्रचार सामग्री, कार्यालय किराया आदि का खर्च शामिल है। कुल मिलाकर आचार संहिता लागू होने से लेकर अब तक पार्टी व प्रत्याशियों के खर्च को मिलाकर 16 लाख 16 हजार 363 रुपये ही खर्च किया है।

प्रत्याशियों का खर्च

दल-----------प्रत्याशी---------------------खर्च

भाजपा----माला राज्य लक्ष्मी शाह---98844

सीपीआइएम---राजेंद्र पुरोहित---------46286

निर्दलीय--------गोपालमणि------------32444

अब प्रत्याशियों के आकलन से होगा मिलान

निर्वाचन व्यय के नोडल अधिकारी/मुख्य कोषाधिकारी नरेंद्र सिंह ने बताया कि मतदान से पहले तीन बार प्रत्याशियों के चुनाव खर्च की जांच की जानी है। इसमें निर्वाचन व्यय की लेखा टीम व प्रत्याशियों के अपने आकलन की जांच की जाएगी और अंतिम रूप से खर्च तय किया जाएगा। हर बार की जांच के बीच तीन दिन का अंतर रखा जाना है।

समय कम होने से कम होगा खर्च

वैसे तो हर प्रत्याशी के लिए चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख रुपये तय की गई है, मगर इस दफा नामांकन से लेकर प्रचार थमने तक के बीच का समय कम होने के चलते बेहद कम खर्च होने की स्थिति बन रही है।

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