LokSabha Election 2019: संताल परगना में नप गई कांग्रेस की जमीन
दुमका और राजमहल पहले से ही झामुमो के खाते में है और अब गोड्डा सीट भी झाविमो के खाते में चले जाने के बाद इस इलाके में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन को ही क्षेत्रीय दलों ने नाप दिया है।
देवघर, राजीव। अबकी लोकसभा चुनाव में संताल परगना के तीनों सीट पर राष्ट्रीय दल कांग्रेस क्षेत्रीय दलों की पिछलग्गू होगी। महागठबंधन के आसरे भाजपा की राह को रोकने के फिराक में अब तक कांग्रेस के लिए मुफीद संताल परगना के दुमका, गोड्डा और राजमहल सीट पर क्षेत्रीय दल झामुमो और झाविमो के प्रत्याशी ताल ठोकेंगे।
दुमका और राजमहल सीट तो पहले से ही झामुमो के खाते में है और अब गोड्डा सीट भी झाविमो के खाते में चले जाने के बाद इस इलाके में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन को ही क्षेत्रीय दलों ने नाप दिया है। बहरहाल, कांग्रेसी आलाकमान के इस फैसले से सदमे में हैं और इनमें जबरदस्त उबाल है। वैसे अगर संताल परगना के तीनों लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर फेरें तो लंबे दौर तक कांग्रेस का ही इस इलाके में दबदबा था। 1980 के दशक तक दुमका एवं राजमहल पर दबदबा रहा है ।यह कांग्रेस की पुख्ता जमीन का ही नतीजा था कि एक वक्त राजमहल से सांसद रहे स्व.थामस हांसदा को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर तक सौंपी गई थी और यह गठबंधन का खामियाजा है कि उनके ही पुत्र विजय हांसदा 2014 के लोकसभा चुनाव में झामुमो की टिकट पर जीत दर्ज कर सबसे कम उम्र के सांसद के तौर पर संसद पहुंचे थे। इधर गोड्डा लोकसभा सीट पर तो कांग्रेस की नींव इस कदर पुख्ता रही है कि अब तक हुए चुनावों में सर्वाधिक दफा कांग्रेसी प्रत्याशी ही जीत कर संसद पहुंचते रहे हैं।
कांग्रेसी नेता भागवत झा आजाद ने वर्ष 1952में यहां से चुनाव जीतने की शुरुआत की और इसके बीच के कालखंड में कई कांग्रेसी यहां से जीत हासिल करते रहे।वर्ष 2004में यहां से फुरकान अंसारी कांग्रेस के सांसद चुने गए और इसके बाद 2009 एवं 2014 में फुरकान अंसारी भाजपा के निशिकांत दुबे से चुनाव में हार गए। अब 2019 में गोड्डा संसदीय सीट महागठबंधन के तहत क्षेत्रीय दल झाविमो के खाते में चला गया है।
गोड्डा में अब तक हुए चुनाव के परिणाम में कांग्रेस की स्थिति
वर्ष विजेता प्रत्याशी पार्टी
1952 - भागवत झा आजाद - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1957 - एससी चौधरी - झारखंड पार्टी
1962 - प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1967 - प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1971 - जगदीश नारायण मंडल - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1977- शमीउद्दीन अंसारी - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1980- शमीउद्दीन अंसारी - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1985-सलाउद्दीन अंसारी - इंडियन नेशनल कांग्रेस
1989- जर्नादन यादव - भारतीय जनता पार्टी
1991-सूरज मंडल - झारखंड मुक्ति मोर्चा
1996 - जगदंबी प्रसाद यादव - भारतीय जनता पार्टी
1998- जगदंबी प्रसाद यादव - भारतीय जनता पार्टी
1999- जगदंबी प्रसाद यादव - भारतीय जनता पार्टी
2003- प्रदीप यादव - भारतीय जनता पार्टी
2004 - फुरकान अंसारी - इंडियन नेशनल कांग्रेस
2009 - निशिकांत दुबे - भारतीय जनता पार्टी
2014 - निशिकांत दुबे - भारतीय जनता पार्टी
कमजोर प्रदेश नेतृत्व की वजह से गोड्डा सीट झाविमो को मिला है। प्रदेश अध्यक्ष डा.अजय कुमार की वजह से ही संताल परगना में कांग्रेस पार्टी की जमीन छीन गई है। यह अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भी धोखा है। भाजपा ने तो अल्पसंख्यक को पहले से ही अछूत बना रखा है और अब कांग्रेस व झामुमो जैसी पार्टियों ने भी अल्पसंख्यक हितों को दरकिनार कर दिया है।
-फुरकान अंसारी, पूर्व कांग्रेसी सांसद, गोड्डा
संताल परगना में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह कांग्रेस के लिए आत्मघाती कदम है। आलाकमान को पुर्नविचार करना चाहिए। संताल परगना
में हमेशा से कांग्रेस की स्थिति मजबूत रही है।
-केएन झा, पूर्व मंत्री व कांग्रेसी नेता
महागठबंधन का निर्णय आलाकमान है। आलाकमान के निर्णय का पालन करने की लाचारी है लेकिन ऐसे निर्णय से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है। कांग्रेसी यहां चुनाव की तैयारी में जोरशोर से जुटे थे लेकिन ऐन मौके पर कांग्रेस का टिकट कट जाना दुखद है।
-अजय कुमार, दुमका कांग्रेस विधानसभा प्रभारी
आलाकमान के निर्णय से कांग्रेसी सदमे में हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेसी कार्यकर्ता बूथ स्तर पर जोरदार तैयारी कर रहे थे। शक्ति एप से लेकर बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन के माध्यम से संगठन को तैयार किया जा रहा था। खास तौर सरैयहाट और जरमुंडी के कार्यकर्ता काफी जोरदार तैयारी में जुटे थे। निर्णय पर पुर्नविचार किया जाना चाहिए।
-श्यामल किशोर सिंह, कांग्रेस जिला अध्यक्ष, दुमका
भाजपा को रोकने के लिए महागठबंधन किया गया है। एक-एक सीट पर जीत के लिए काफी सोच-समझ कर निर्णय लिया गया है। गोड्डा सीट पर झाविमो को स्वाभाविक दावा बन रहा था इसलिए यह सीट झाविमो को मिला है। भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए सभी घटक दलों को व्यापक सोच के साथ एकजुट होकर
चुनाव लड़ने की दरकार है।
-अशोक वर्मा, केंद्रीय प्रवक्ता, झाविमो