लोकसभा चुनाव: तमिलनाडु में डीएमके से गठबंधन, पडुचेरी सहित कांग्रेस को मिलीं दस सीटें
लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की गांठ मजबूत करने की कसरत तेज करते हुए कांग्रेस ने तमिलनाडु में द्रमुक के साथ सीटों का बंटवारा फाइनल कर लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की गांठ मजबूत करने की कसरत तेज करते हुए कांग्रेस ने तमिलनाडु में द्रमुक के साथ सीटों का बंटवारा फाइनल कर लिया है। दोनों पार्टियों के बीच बनी सहमति के अनुसार कांग्रेस तमिलनाडु की 9 और पुड्डूचेरी की एक मात्र लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी। जबकि कुछ अन्य छोटे सहयोगी दलों के साथ द्रमुक के खाते में 30 सीट जाएगी।
कांग्रेस नेतृत्व ने बिहार में भी महागठबंधन के दलों के बीच सीटों का बंटवारा जल्द होने के साफ संकेत दिए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव की शीघ्र प्रस्तावित मुलाकात में बिहार की सीटों पर अंतिम फैसला हो जाएगा।
राहुल गांधी के साथ द्रमुक नेत्री कनीमोरी की मंगलवार को हुई बैठक में कांग्रेस और द्रमुक के सीटों पर सैद्धांतिक सहमति बन गई। द्रमुक प्रमुख स्टालिन के निर्देश पर कांग्रेस से सीटों की संख्या पर सीधे वार्ता के लिए कनीमोरी ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का ऐलान करते हुए कहा कि तमिलनाडु की 40 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 9 सीटें दी गई हैं। वहीं, पुडुचेरी में भी कांग्रेस को एक सीट दी गई है।
इस बैठक में कांग्रेस तमिलनाडु की 9 लोकसभा के साथ पुड्डूचेरी की एक सीट पर चुनाव लड़ने के द्रमुक के प्रस्ताव पर राजी हो गई। यह भी तय हुआ कि कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन में शामिल होने वाले राज्य की कुछ दूसरी छोटी पार्टियों को सीट द्रमुक अपने कोटे की सीटों से देगी।
इसी बैठक में दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व ने तय किया कि गठबंधन के सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान चेन्नई में कांग्रेस व द्रमुक के प्रदेश नेताओं से औपचारिक चर्चा के बाद किया जाएगा। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और तमिलनाडु के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक सूबे के नेताओं से चर्चा के बाद गठबंधन का औपचारिक ऐलान करने के लिए बुधवार को चेन्नई पहुंच गए हैं।
गठबंधन को भाजपा की घेरेबंदी के लिए अहम मान रही कांग्रेस गठबंधन के मोर्चे पर भी भाजपा की तेज चाल को देखते हुए अपने पुराने साथियों के साथ सीट बंटवारे पर देरी नहीं करना चाहती।
द्रमुक को कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद सहयोगी दलों में गिना जाता है। स्टालिन ही विपक्षी खेमे के पहले नेता हैं जिन्होंने राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का पूरा समर्थन करने का ऐलान किया था।
तमिलनाडु में कांग्रेस को सीट बंटवारे में भले ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी हो मगर बिहार में इसको लेकर राजद के साथ अंदरूनी रस्साकशी काफी है। कांग्रेस 12 लोकसभा सीटों से कम पर राजी नहीं है। साथ ही पप्पू यादव व शरद यादव के लिए भी एक-एक सीट चाह रही। राजद को मुकेश सहनी की पार्टी के लिए भी एक सीट छोड़नी होगी।
जबकि उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा चार सीट की अपनी मांग से पीछे नहीं हट रही। राजद पर माकपा और भाकपा की एक-एक सीट छोड़ने का भी सियासी दबाव है। सीट बंटवारे की इस रस्साकशी को देखते हुए ही राहुल गांधी और तेजस्वी की मुलाकात पर महागठबंधन के सभी नेताओं की निगाह है।