Lok sabha election 2019: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गठबंधन का काम बिगाड़ने पर तुली कांग्रेस
Lok sabha election 2019 बसपा व सपा ने जब से उसे अछूत घोषित किया है उसके बाद से कांग्रेस ने जो दांव चला है उसका सीधा असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन का काम बिगाड़ने पर तुली हुई है। मुस्लिम मतों में सेंध लगाने के साथ जातीय समीकरण साधकर गठबंधन का खेल खराब करने में कांग्रेस ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। बसपा व सपा ने जब से उसे अछूत घोषित किया है, उसके बाद से कांग्रेस ने जो दांव चला है, उसका सीधा असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश के पहले और दूसरे चरण के चुनाव में सपा और बसपा के प्रत्याशियों के मुकाबले कांग्रेस ने चुन-चुनकर ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है, जो कड़ी चुनौती ही नहीं देंगे, बल्कि उन्हें हरा भी सकते हैं। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। कैराना संसदीय सीट से सपा ने तबस्सुम को उतारा है, जिसके सामने कांग्रेस ने जाट समुदाय के हरेंद्र मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है। तबस्सुम से विभिन्न दलों के मुस्लिम नेताओं की नाराजगी है। वह नेता तो बसपा की थीं। लेकिन 2018 में उन्होंने चुनाव अजित सिंह की पार्टी रालोद के चुनाव चिन्ह हैंडपंप पर लड़ा और अब आम चुनाव में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं। इससे अन्य सभी दलों के मुस्लिम नेता तबस्सुम की 'उम्मीदवारी' से नाराज हैं। इसका खामियाजा सपा प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है।
सहारनपुर संसदीय सीट पर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान को उतारा है तो जवाब में कांग्रेस ने अपने मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी इमरान मसूद को फिर मैदान में उतार दिया है। इससे मुस्लिम मतों में विभाजन होना स्वाभाविक है, जो सिर्फ भाजपा को लाभ पहुंचा सकता है। बिजनौर में बसपा ने मलूक नागर को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन कांग्रेस ने मजबूत मुस्लिम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को उतारकर कड़ी चुनौती दी है। सिद्दीकी को मुस्लिम समुदाय का कद्दावर नेता माना जाता है। बसपा में रहते हुए उन्होंने मुस्लिमों के बीच बहुत लोकप्रिय नेता थे। गौतमबुद्ध नगर में कांग्रेस ने अरविंद सिंह चौहान को टिकट देकर सतवीर नागर के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।
बसपा ने अमरोहा में जद यू से उधार लेकर दानीश अली को उतारा है, जिसके जवाब में पहले कांग्रेस ने राशिद अल्वी को देकर गठबंधन की राह कठिन कर दी थी। लेकिन राजनीतिक गुणा भाग के बाद कांग्रेस ने सोमवार को अपना प्रत्याशी बदलकर सचिन चौधरी को टिकट दे दिया है। अलीगढ़ जैसी अहम सीट से बसपा ने अजीत बालियान को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने मुकाबले बिजेंद्र सिंह को टिकट देकर बसपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।