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Rachi, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: सहाय-सेठ के मुकाबले में राम की एंट्री; हाल-ए-रांची

Lok Sabha Election 2019. भाजपा के संजय सेठ और महागठबंधन के सुबोधकांत के बीच कहीं हार-जीत की कड़ी न बन जाएं निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रामटहल चौधरी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 10:32 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 03:38 PM (IST)
Rachi, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: सहाय-सेठ के मुकाबले में राम की एंट्री; हाल-ए-रांची
Rachi, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: सहाय-सेठ के मुकाबले में राम की एंट्री; हाल-ए-रांची

रांची, [विनोद श्रीवास्तव]। Lok Sabha Election 2019 - रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुके वर्तमान सांसद रामटहल चौधरी का निर्दलीय चुनाव लडऩा रांची सीट को काफी रोचक बना दिया है। भाजपा ने चौधरी की जगह इस बार संजय सेठ को मैदान में उतारा है। सेठ ने झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष पद से हाल ही में इस्तीफा दिया है। प्रदेश भाजपा में विभिन्न पदों पर रहे सेठ का चेहरा भाजपा के लिए भले ही पुराना हो, परंतु मतदाताओं के बीच उनकी पहचान चौधरी से कहीं कम है।

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इधर, महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय मैदान में हैं। सुबोधकांत ने भी तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। ऐसे में प्रथम दृष्ट्या रांची में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन रही है। अब जबकि इस सीट के लिए छह मई को मतदान होना है, मतदाताओं को अपना बनाने में प्रत्याशियों ने एड़ी चोटी एक कर दी है। अलबत्ता ऊंट किस करवट बदलेगा, यह मतदाताओं का मूड और वक्त तय करेगा।

बहरहाल चुनाव मैदान में खड़े तीनों ही उम्मीदवार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं। जीत के तीनों के ही अपने-अपने दावे और गणित है। इससे इतर चुनावी रणनीतिकारों के चश्मे से देखें तो निर्णायक लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के  बीच ही है। निर्दल प्रत्याशी के रूप जंग-ए-मैदान में खड़े सांसद रामटहल चौधरी की पहचान अधिकतर मतदाताओं के बीच आज भी भाजपाई के तौर पर है, जबकि निर्दल प्रत्याशी के रूप में वे फुटबॉल छाप से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

ऐसे में इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उनके समर्थकों का बड़ा वर्ग भाजपा को समर्थन कर बैठे। ऐसे में यह कहना कि इस चुनाव में रामटहल जीत-हार के बीच की कड़ी बन जाए तो गलत नहीं होगा। कहा जाता है कि निर्वाचन क्षेत्र में तकरीबन चार लाख कुर्मी वोटर है, जिसके सहारे चौधरी की चुनावी नैया पार लगती रहती है। इससे अलग अगर  2014 के चुनाव परिणाम को देखें तो आजसू प्रमुख सुदेश कुमार महतो ने एक लाख 42 हजार वोटों की सेंधमारी की थी, जिनमें कुर्मी वोटर बहुतायत थें। इस बार सुदेश एनडीए के घटक के तौर पर भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार में लगे हैं। यह कहीं न कहीं चौधरी को ही डैमेज करेगा।

जहां तक संजय सेठ की बात है। कैडर वोट उनकी सबसे बड़ी मजबूती है। रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर भाजपा का कब्जा है, जहां के विधायक अपने प्रत्याशी की जीत के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। इधर, पिछले दिनों हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो ने भी संजय सेठ के पक्ष में माहौल तैयार किया है। जहां तक सुबोधकांत सहाय की बात है, मुस्लिम और ईसाई वोटर उनकी ताकत रहे हैं। चुनाव मैदान में इन दोनों ही वर्ग के एक भी प्रत्याशी नहीं हैं। ऐसे में अगर मतों का ध्रुवीकरण हुआ तो सुबोधकांत सहाय की स्थिति मजबूत हो सकती है।

जहां तक निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की बात है, वे स्वयं भी जनता के प्रति प्रत्याशियों के समर्पण को टटोल रहे हैं। बुढ़मू प्रखंड के हरिन लेटवा गांव के निवासी जीतराम गंझू कहते हैं, आजादी के सात दशक और झारखंड गठन के 18 साल बाद भी हम ग्रामीण डाड़ी (गड्ढे में जमा पानी) का पानी पीने को विवश हैं। चुनाव के वक्त जन प्रतिनिधि बड़ी-बड़ी बात कर जाते हैं। फिर भूल जाते हैं।

ऐसे में हम ग्रामीण सोच समझकर ही मतदान करेंगे। विकास ही इसका आधार होगा। सोनाहातू प्रखंड के इंदिरा कालोनी और इसके आसपास के छह गांवों में रहने वाला लगभग डेढ़ सौ परिवार आज भी पत्थर तोड़कर गुजर-बसर करता है। जन प्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश इनमें भी है। वे कहते हैं वोट तो जरूर देंगे, लेकिन किसे, अभी तय नहीं किया है।

कब, कौन रहे विजेता

  • 1989   सुबोधकांत सहाय (जनता दल)
  • 1991  रामटहल चौधरी (भाजपा)
  • 1996  रामटहल चौधरी (भाजपा)
  • 1998  रामटहल चौधरी (भाजपा)
  • 1999  रामटहल चौधरी (भाजपा)
  • 2004 सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)
  • 2009 सुबोधकांत सहाय (भाजपा)
  • 2014 रामटहल चौधरी (भाजपा)

सुबोधकांत सहाय की मजबूती

  • शिक्षित, अनुभवी और सक्रिय राजनेता
  • रांची में सेक्युलर राजनीति का सबसे प्रमुख चेहरा
  • मुस्लिम, ईसाई और आदिवासी वोटरों की नाराजगी को भुनाने का मौका

कमजोरी

  • जातीय वोटों का अपेक्षाकृत सीमित आधार
  • कम्युनिकेशन के मॉडर्न टूल्स का बेहतर इस्तेमाल नहीं
  • अपेक्षाकृत कमजोर केंद्रीय नेतृत्व व प्रदेश स्तर पर कांग्रेस की सांगठनिक कमजोरियां

संजय सेठ की मजबूती

  • पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक पर भाजपा की सांगठनिक मजबूती।
  • कम्युनिकेशन के मॉडर्न टूल्स का बेहतर इस्तेमाल। बेहतर बूथ मैनेजमेंट।
  • फंड, फंक्शन और फंक्शनरीज की ताकत।

कमजोरी

  • रांची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए नया चेहरा।
  • भाजपा में सक्रिय रहे, परंतु मतदाताओं के बीच अपेक्षाकृत कम लोकप्रियता।
  • कैडर वोट को समेटना चुनौती। रामटहल कर सकते हैं सेंधमारी।

रामटहल चौधरी की मजबूती

  • रांची संसदीय क्षेत्र का पांच बड़ा प्रतिनिधित्व करने से गांव-गिरांव में अच्छी पहचान।
  • कुर्मी वोटरों का बड़ा आधार।
  • भाजपा में रहकर भी सरकार के गलत निर्णयों के खिलाफ समर्थकों के साथ करते रहे आवाज बुलंद।

कमजोरी

  •  सांसद के रूप में नन परफार्मर।
  •  निजी कम्युनिकेशन सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर।

रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर एक नजर

  • विधानसभा : इचागढ़, सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया और कांके।
  • सिल्ली को छोड़ शेष विधानसभाओं पर है भाजपा का कब्जा।
  • कुल 19,10,955 मतदाता (998392 पुरुष और 912510 महिला) करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला।
  • 38710 नए मतदाता। 53 थर्ड जेंडर।
  • चुनाव मैदान में डटे हैं 20 प्रत्याशी। छह मई को होगा मतदान।

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