Lok Sabha Elections 2019: गुजरात की इन सीटों पर कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे के प्रत्याशियों की घोषणा के इंतजार में
Lok Sabha Elections 2019. गुजरात में गांधीनगर की तरह ही अहमदाबाद पूर्व व पश्चिम संसदीय क्षेत्र भी भाजपा का गढ़ माने जाते हैं।
अहमदाबाद, जेएनएन। निकोल, अमराईवाडी, सीटीएम, बापूनगर, ठक्करबापा नगर, अमराईवाडी आदि कुछ विधानसभा क्षेत्र हैं, जो पाटीदार बहुल हैं और अहमदाबाद पूर्व संसदीय क्षेत्र में आते हैं। अहमदाबाद पश्चिम सीट आरक्षित होने के कारण भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने प्रतयाशी घोषित कर दिए, लेकिन इस सामान्य सीट की रणनीति में दोनों दल फंसे हुए हैं। भाजपा पाटीदार वोट बैंक को ध्यान में रखकर इस सीट पर अपनी नई सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही है, ताकि अन्य समुदाय के व्यक्ति को टिकट देकर भी पाटीदारों को साधा जा सके।
गांधीनगर की तरह ही अहमदाबाद पूर्व व पश्चिम संसदीय क्षेत्र भी भाजपा का गढ़ माने जाते हैं। अहमदाबाद पूर्व से अभिनेता परेश रावल 2014 में सांसद चुने गए थे, उनसे पहले इस सीट से लंबे समय तक हरिन पाठक प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। रावल ने खुद यह लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है, इसलिए भाजपा नए प्रत्याशी की तलाश कर रही है। भाजपा की ओर से दावेदारी में सबसे ऊपर नाम है टीवी कलाकार मनोज वाजपेयी का। इसके अलावा किसी पाटीदार को भी मैदान में उतारा जा सकता है। चूंकि इस संसदीय क्षेत्र की आधी से अधिक विधानसभाएं पाटीदार बहुल हैं।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते वैसे भी सरकार व भाजपा को लेकर पाटीदारों में नाराजगी है, इसलिए पार्टी व आलाकमान ब्राह्मण प्रत्याशी के पक्ष में होने के बावजूद घोषणा करने से पहले जमीनी हालात से वाकिफ होना चाहते हैं। अहमदाबाद पूर्व में जहां मुस्लिम बहुल जूहापूरा, सरखेज रोजा, तीन दरवाजा, लाल दरवाजा आदि इलाके आते हैं, इसलिए भी भाजपा इस सीट को लेकर पूरी तरह सतर्क है। भाजपा की ओर से मनोज जोशी, जबकि कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रवक्ता हिमांश पटेल व कांग्रेस आईटी हेड के प्रमुख रोहन गुप्ता का नाम सबसे आगे चल रहा है।
अहमदाबाद पश्चिम से वर्ष 2009 में डाॅ किरीट सोलंकी ने पहली बार जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के शैलेश परमार को उन्होंने 91 हजार 127 मतों से हराया था, लेकिन दूसरी बार 2014 में उन्होंने कांग्रेस के ही ईश्वर मकवाणा को तीन लाख 20 हजार 311 मतों से पराजित किया था। इस बार उनके खिलाफ कांग्रेस ने राजू परमार को मौका दिया है। परमार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। लोकसभा का यह चुनाव उनका पहला चुनाव होगा।
पाटीदार आंदोलन के बावजूद भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत रखी, लेकिन छह विधानसभा सीट कांग्रेस ने अपनी झोली में डालकर भाजपा को तगड़ा झटका दिया था। भाजपा इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसीलिए अहमदाबाद पूर्व को लेकर अंतिम समय तक कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे के प्रत्याशियों की घोषणा के इंतजार में है।