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LokSabha Election 2019: भूमाफिया, अफसरशाही और सियासतदान की सांठगांठ

प्रदेश में अवैध कॉलोनियों का मुद्दा जनप्रतिनिधियों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। यही वजह है कि अभी तक अवैध कॉलोनियों का काला कारोबार खुलेआम भूमाफिया सांठगांठ के कर रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 05:56 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 05:59 PM (IST)
LokSabha Election 2019: भूमाफिया, अफसरशाही और सियासतदान की सांठगांठ
LokSabha Election 2019: भूमाफिया, अफसरशाही और सियासतदान की सांठगांठ

पानीपत, जेएनएन। अवैध कॉलोनी यानि शहर की सुंदरता और सुविधाओं पर बड़ा दाग। यहां लोगों को लालच और रुपये की बचत के चक्कर में नारकीय जीवन जीने को विवश होना पड़ता है। भूमाफिया, अफसरशाही और सियासतदान की सांठगांठ में लोग इस तरह उलझ जाते हैं कि लंबे समय तक सुविधाओं के लिए संघर्ष की राह पर डटे रहते हैं।

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सरकार वोट की राजनीति में इन्हें समय-समय पर वैध करने का लॉलीपॉप थमा देती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता। तस्वीर एकदम उलट।  बिजली, पानी, शिक्षा और न ही स्वास्थ्य का ख्याल। सभी पार्टियां चुनाव के दौरान इन्हें मुद्दा तो बनाती हैं, लेकिन मतदान के बाद इसे बिसार देती हैं। लोगों को उनके हाल पर छोड़ देती हैं। प्रस्तुत है जीटी बेल्ट के लोकसभा क्षेत्रों की जागरण टीम की विशेष रिपोर्ट-

सिटी सिटी में 105 से ज्यादा कॉलोनियां अवैध
सीएम सिटी करनाल में 105 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों के बाशिंदे सुविधाओं को तरस रहे हैं। पिछले साल सरकार ने 23 कॉलोनियों को नियमित किया था, लेकिन सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराईं। नगर निगम क्षेत्र में 66 अवैध कॉलोनियां हैं। सरकार ने सितंबर 2016 में विकास शुल्क देने पर इन्हें नियमित करने का एलान किया था। इसके बाद निगम ने सर्वे कराया और 50 कॉलोनियों की लिस्ट शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय को भेजी थी।

नहीं मिल रहीं मूलभूत सविधाएं
निदेशालय ने 24 कॉलोनियों को वैध करने की सिफारिश भेज दी थी। बाद में यह कॉलोनियां नियमित हो गई। आज भी हालात ये हैं कि यहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रहीं। सड़कों के नाम पर यहां कीचड़ से सनी गलियां हैं। सीवरेज के बिना जीवन नरक बन चुका है। पानीपत में सरकार ने शहर की 79 में से 78 कॉलोनी वैध कर दीं, लेकिन एक साल बाद आज भी कॉलोनियों में मूलभूत सुविधा नहीं मिल पाई हैं। यहां नहीं अवैध कॉलोनी धड़ल्ले से पनप रही हैं। शहर में चारों तरफ हर महीने एक दो नई कॉलोनी कट रही है। जिला नगर योजनाकार विभाग और नगर निगम एक दूसरे का एरिया बताकर कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई नहीं करते।

धरातल पर नहीं पूरी हुई योजना
पिछली सरकारों ने इन कॉलोनियों को वैध करने का प्रयास किया, लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाई। मौजूदा सरकार ने पानीपत की 30 कॉलोनी एक बार और 48 कॉलोनी दूसरी बार वैध की। नगर निगम ने कॉलोनियों में पानी और सीवर की सुविधा देने के लिए अमरुत योजना के तहत काम करने का फैसला लिया। निदेशालय स्तर पर एक कंपनी को इसके सर्वे का जिम्मा दिया गया। नगर निगम ने सीवर और पेयजल पाइप लाइन पर काम किया, लेकिन अब तक दोनों में से एक भी काम की धरातल पर तस्वीर नहीं दिखने लगी है।

अंबाला में 25 कालोनियां हुईं वैध
करीब 14 साल बाद अंबाला छावनी और शहर की कुल 25 कॉलोनियों को वैधता मिली। 22 कॉलोनियां ऐसी हैं जिनको वैध करने पर कुछ आपत्तियां लगाई गई हैं। करीब 88 कॉलोनियां ऐसी हैं जो सर्वे में शामिल ही नहीं हो सकी। यहां अभी भी करीब 120 कॉलोनियां अवैध हैं। यमुनानगर में डेढ़ लाख की आबादी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। यमुनानगर-जगाधरी की 69 कॉलोनियों में ये लोग रह रहे हैं। यहां पहले सर्वे के बाद 217 अनधिकृत कॉलोनियों की लिस्ट तैयार हुई। उसके बाद फिर सर्वे हुआ और 105 ऐसी कॉलोनियां सामने आई। नगर निगम ने 69 कॉलोनियों की लिस्ट अधिकृत करने लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग को भेजी, लेकिन इनमें से 42 कॉलोनियां अधिकृत हुई।

हार-जीत में अहम भूमिका निभाएंगे यहां के बाशिंदे
कुरुक्षेत्र में 15 प्रतिशत मतदाता अवैध कॉलोनियों में रहते हैं। कार्रवाई नहीं होने के कारण कई कॉलोनियों में तो 50 तो कई में 80 फीसद तक निर्माण हो चुका है। 10 वर्षों में सैकड़ों अवैध कॉलोनियां विकसित हुई हैं। शहर के खेड़ी मारकंडा रोड, झांसा रोड, अमीन रोड, सलारपुर रोड, पिहोवा रोड व कैथल रोड पर बनी अवैध कॉलोनियों में कई मकान बन रहे हैं। खेड़ी मारकंडा रोड पर बनी कई अवैध कालोनियों में 60 से 80 फीसद तक मकान बन चुके हैं जिला नगर योजनाकार सतीश पूनिया ने बताया कि सरकार के नियमों के अनुसार अवैध कालोनियों पर कार्रवाई की जा रही है। अगर कोई कॉलोनी बनाना चाहता है तो वह डीटीपी की स्कीम के तहत पांच एकड़ में सीएलयू लेकर कॉलोनी काट सकता है। सरकार ने करीब 24 कॉलोनियां नियमित की हैं, लेकिन सभी में सुविधाएं नहीं दी। कैथल में करीब 20 अवैध कॉलोनियां हैं। करीब 15 वार्डों का कुछ न कुछ एरिया अवैध की श्रेणी में आता है। सरकार की ओर से करीब छह महीने पहले शहर की आठ कॉलोनियों को वैध किया गया था। शहर में कुल 60 कॉलोनियों को ही वैध घोषित किया हुआ है।

जींद की 60 हजार आबादी अवैध कॉलोनियों में रहती
शहर में अवैध कॉलोनियां कितनी हैं, इसका नगर परिषद के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। अंदाजा लगाया जाए तो करीब एक तिहाई यानि 60 हजार आबादी अवैध कॉलोनियों में रहती है। जिनमें से 20 हजार से ज्यादा वोटर हैं। यहां गलियां कच्ची पड़ी हैं, पेयजल और सीवर लाइन नहीं हैं। पिछले साल सात कॉलोनियों को वैध किया गया था। इन कॉलोनियों में गली निर्माण के लिए बजट भी जारी हो चुका है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है। पेयजल लाइन नहीं दबाई गई है। नलकूप व सबमर्सिबल के सहारे ही काम चल रहा है। भूमिगत पानी का टीडीएस एक हजार से लेकर दो हजार तक है। इससे पहले साल 2013-14 में एक साथ 60 कॉलोनियों को मंजूरी मिली थी।

  • ये भी जानें
  • 55 फीसद लोग हर शहर में अवैध कॉलोनियों में रहते हैं
  • करनाल में 105 कॉलोनियों के लोग सुविधाओं को तरस रहे
  • पानीपत में 50 कॉलोनियां अभी भी अवैध, वैध 78 कॉलोनियों के लोग मांग रहे मूलभूत सुविधाएं
  • अंबाला में 130 कॉलोनियां अवैध, 25 वैध हुई, लेकिन सुविधाएं नदारद
  • यमुनानगर में 69 कॉलोनियां वैध हुईं लेकिन सुविधाएं नहीं मिली
  • कुरुक्षेत्र में लगभग 300 अवैध कॉलोनियां हैं, इनमें एक लाख से ज्यादा वोटर रहते हैं।
  • कैथल में 25 कॉलोनी अवैध, इनमें शहर के 15 वार्ड शामिल

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