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Lok Sabha Election 2019: रघुवर दास के बोल- 'जिस नेता को आया अहंकार, समझो उसका सर्वनाश'

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में एक बार भी रवींद्र राय का नाम नहीं लिया लेकिन चुनावी टिप्स देने के बहाने इशारों ही इशारों में उनपर जमकर हमला भी बोला।

By mritunjayEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 05:50 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: रघुवर दास के बोल- 'जिस नेता को आया अहंकार, समझो उसका सर्वनाश'
Lok Sabha Election 2019: रघुवर दास के बोल- 'जिस नेता को आया अहंकार, समझो उसका सर्वनाश'

गिरिडीह, दिलीप सिन्हा। यह पचंबा बगेडिय़ा धर्मशाला है। दोपहर के करीब तीन बज रहे हैं। थोड़ी ही देर में यहां मुख्यमंत्री रघुवर दास पहुंचने वाले हैं। कोडरमा लोकसभा भाजपा केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री यहां कार्यकर्ताओं संग विशेष बैठक करेंगे। पूरे कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का जुटान हो चुका है। सभी के जुबान पर एक ही बात है कि सांसद डॉ. रवींद्र कुमार राय इस कार्यक्रम में भाग लेंगे या नहीं। उनके भाई के इस्तीफे एवं मुख्यमंत्री कार्यालय में कमीशन संबंधी लगाए गए आरोपों की कार्यकर्ताओं में चर्चा चल रही है।

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बोड़ो हवाई अड्डा पर मुख्यमंत्री रघुवर दास उतर चुके हैं। करीब सवा तीन बजे मुख्यमंत्री का काफिला कार्यक्रम स्थल पर पहुंचता है। मोदी एवं रघुवर जिंदाबाद के नारे से कार्यक्रम स्थल गूंज उठता है। मुख्यमंत्री कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद सीधे कार्यकर्ताओं संग बैठक में शाामिल हो जाते हैं। एक-एक मंडल अध्यक्ष से परिचय होता है। तब तक बैठक में शामिल होने प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी पहुंचती हैं। उनके साथ गांडेय के विधायक प्रो. जयप्रकाश वर्मा भी हैं। बैठक स्थल पर जो बैनर लगा है, उसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास के अलावा सांसद डॉ. रवींद्र कुमार राय की भी तस्वीर लगी है। राय बैठक में नहीं पहुंचते हैं। उनके चंद समर्थक पहुंचते भी हैं तो कटे-कटे रहते हैं।

सुनाई अपनी राजनीति की कहानीः मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में एक बार भी रवींद्र राय का नाम नहीं लिया, लेकिन चुनावी टिप्स देने के बहाने इशारों ही इशारों में उनपर जमकर हमला भी बोला। उन्होंने इसकी शुरुआत अपनी चुनावी सफर से की। कहा कि नेता को अहंकार आ जाता है, लेकिन जिस नेता को अहंकार आया समझो उसका सर्वनाश हो गया। मुख्यमंत्री अपनी बात को अपना उदाहरण देकर आगे बढ़ाते हैं। बताते हैं कि दीनानाथ पांडेय जमशेदपुर पूर्वी के लगातार तीन बार से विधायक थे। काफी लोकप्रिय थे। झोला में ही मुहर रखते थे। जब जिसे जहां जरूरत होती थी, हस्ताक्षर कर मुहर लगा देते थे। भाजपा ने उनका एवं बोकारो से समरेश सिंह का टिकट काट दिया। पांडेय जी को अहंकार आ गया कि जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा की पहचान उनसे है। बगावत कर चुनाव लड़ गए। पार्टी ने मुझे प्रत्याशी बनाया। मैं जमशेदपुर पूर्वी भाजपा का महामंत्री था। साथ ही टिस्को में मजदूर था। शुभ चिंतकों ने चुनाव लडऩे में आर्थिक सहयोग किया। घर-घर जाकर वोट मांगना शुरू किया। जमशेदपुर का कोई भी अखबार चुनाव में मेरा समाचार नहीं छाप रहा था। मैं संपादकों से मिला और कहा कि भाजपा की हालत इतनी भी खराब नहीं है कि सिंगल कॉलम भी खबर नहीं छापी जाए। इस पर मुझे कहा गया कि भाजपा के सभी वोट पांडेय जी ले जा रहे हैं। दो और प्रत्याशियों में एक अगड़ा था और दूसरा पिछड़ा। संपादकजी ने कहा कि अगड़ों का वोट अगड़ा प्रत्याशी और पिछड़ों का वोट पिछड़ा प्रत्याशी ले जाएगा। इस पर मैंने कहा कि क्या मैं झुनझुना बजाऊंगा।

काैन आ रहा और काैन जा रहा, इसकी चिंता कार्यकर्ता न करेंः घर-घर जाकर दस्तक देता रहा और मैं 1101 वोट से चुनाव जीत गया। चुनाव परिणाम आते ही मैं चार अखबारों का दफ्तर मिठाई लेकर गया और चारों के संपादक को भेंट किया। जो भी यह समझता है कि पार्टी उससे है, गलत है। पार्टी उससे नहीं बल्कि वह पार्टी से है। इस कारण कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, इसकी चिंता कार्यकर्ता न करें। रघुवर जब अपनी कहानी सुना रहे थे तो उसका राजनीतिक मतलब समझ कार्यकर्ता भी खूब जोश में नारे लगा रहे थे। शाम करीब पांच बजे अपना संबोधन कर मुख्यमंत्री एक बंद कमरे में पार्टी के विधायकों के साथ गोपनीय वार्ता करते हैं। वार्ता से निकलकर मुख्यमंत्री सीधे अपनी कार में बैठते हैं और हवाई अड्डा के लिए निकल जाते हैं। काफी कोशिश के बावजूद मुख्यमंत्री ने मीडिया से कोई बात नहीं की।

मुख्यमंत्री से बातचीत नहीं होने पर मीडिया के लोगों ने गिरिडीह के विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी को घेर लिया। उनसे बंद कमरे में हुई बातचीत के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की। विधायक ने जो बातें बताई उससे यही पता चला कि बंद कमरे में भी रवींद्र राय प्रकरण पर ही बात चली। शाहाबादी ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि रवींद्र राय के भाई के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करना चाहिए। 


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