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सर्वेश के सामने गठबंधन और पार्टी की अंतर्कलह से पार पाने की चुनौती

इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सर्वेश कुमार सिंह के लिए राह आसान नहीं होगी। पार्टी के अंदरखाने विरोध के साथ-साथ गठबंधन प्रत्याशी और कांग्रेस से भी सीधा मुकाबला होना तय है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 12:32 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 01:17 PM (IST)
सर्वेश के सामने गठबंधन और पार्टी की अंतर्कलह से पार पाने की चुनौती
सर्वेश के सामने गठबंधन और पार्टी की अंतर्कलह से पार पाने की चुनौती

मुरादाबाद(प्रेमपाल सिंह)। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सर्वेश कुमार सिंह के लिए राह आसान नहीं होगी। पार्टी के अंदरखाने विरोध के साथ-साथ गठबंधन प्रत्याशी और कांग्रेस से भी सीधा मुकाबला होना तय है। हालांकि अभी तक गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। नाम घोषित होने के बाद मुकाबले की राह और जुदा हो सकती है। अभी तक की स्थिति में भाजपा खुद को संगठित और एकजुट होने का दावा कर रही है।

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लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी सर्वेश कुमार सिंह ने कुल 4.85 लाख मत हासिल किए थे। इस बार केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं व अन्य कार्यो को लेकर वह मैदान में हैं। पिछली बार की बात करें तो सपा से प्रत्याशी रहे डॉ. एसटी हसन को कुल 3,97,720 मत मिले थे, वहीं बसपा के प्रत्याशी हाजी मुहम्मद याकूब को 1,60,945 मत मिले थे। कांग्रेस की नूर बानो को 19,732 मत हासिल किए थे।

कांग्रेस अक्रामक तरीके से है मैदान

इस बार सपा और बसपा का गठबंधन है। लोकसभा चुनाव से पहले तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाकर कांग्रेस आक्रामक ढंग से मैदान में है। उत्तर प्रदेश को फतह करने के लिए रणनीति में भी बदलाव किया है। मध्यप्रदेश में रणनीतिकार रहे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिम क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है। इसके अलावा कांग्रेस ने प्रियंका वाड्रा को भी मैदान में उतारा है। यह तो आने वाले नतीजे बताएंगे कि रणनीति कितनी कारगर रही। बहरहाल कांग्रेस ने मुरादाबाद सीट से मुस्लिम प्रत्याशी इमरान प्रतापगढ़ी पर दांव खेला है। उधर, सपा-बसपा गठबंधन ने अभी तक प्रत्याशी तय नहीं किया है। हालांकि इनमें सबसे मजबूत दावेदारी डॉ. एसटी हसन की है, जिन्होंने पिछली बार भाजपा प्रत्याशी सर्वेश कुमार सिंह को कड़ी टक्कर दी थी। इतना जरूर है कि गठबंधन मजबूती से मैदान में टिका रहा तो भाजपा के लिए मुश्किलें बढऩा तय माना जा रहा है।

पार्टी के लोग ही बिगाड़ सकते हैं खेल

भाजपा प्रत्याशी सर्वेश के तेवर का इतिहास गवाह है। मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र की बढ़ापुर विधानसभा सीट से अपने बेटे सुशांत को विधायक बनाकर उन्होंने अपनी जिद को साबित किया था। प्रदेश के पंचायती राज राज्यमंत्री से उनकी अदावत किसी से छिपी नहीं है। भले ही सार्वजनिक रूप से दोनों आपस में एकजुटता का दावा करते हों। देहात विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 50 फीसद से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी और भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम शर्मा को हार मिली थी। कांठ में गन्ने के मुद्दे को लेकर किसानों की नाराजगी जग जाहिर है। अगवानपुर शुगर मिल ने तो अब तक किसानों का बकाया तक नहीं दिया है। इससे माना जा रहा है कि किसानों में नाराजगी बरकरार है।

कितने मतदाता देंगे साथ यह भविष्य की गर्त में

कांठ के वर्तमान विधायक राजेश कुमार चुन्नू खुद सबके सामने नहीं सुनने की बात कर चुके हैं। ऐसे में कितने मतदाता साथ होंगे यह तो भविष्य के गर्त में हैं। सर्वेश का पैतृक घर ठाकुरद्वारा में है। उसमें ठाकुर राजपाल सिंह का विरोध सब जानते हैं। उनको विधानसभा चुनाव में मिली हार सब जानते हैं। राजपाल खुद भी दावेदारी कर रहे थे। वहीं बढ़ापुर में भी मुस्लिम मतदाता बहुतायत की संख्या में हैं। हालांकि वहां से उनका बेटा सुशांत सिंह खुद विधायक है। तो इसलिए मतदाता कितने साथ होंगे ये नतीजे ही बताएंगे। बहरहाल यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि क्या कुछ होगा।

पांच साल तक की सेवा

मैंने मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र के लोगों की पांच साल तक सेवा की है। किसी को अपने दर से निराश नहीं भेजा। जितना विकास मैंने कराया, उतना किसी ने नहीं कराया। अब जनता के पास अपने किए कार्यो के बदले वोट मांगने जाऊंगा। पार्टी में विरोध की बात पार्टी जानें, मुझे खुद पर और अपने काम पर पूरा भरोसा है, जनता मुझे ही आशीर्वाद देगी।

-सर्वेश कुमार सिंह, सांसद एवं भाजपा प्रत्याशी 


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