Koderma, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: कोडरमा के महासमर में अहम होगा जातिगत समीकरण
Lok Sabha Election 2019. सोशल इंजीनियरिंग की कोशिशों के बीच कोडरमा में लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर होती दिख रही है।
कोडरमा (सतगावां) से उत्तम नाथ पाठक। Lok Sabha Election 2019 - उम्मीदें कभी खत्म नहीं होतीं। एक पूरी हो तो दूसरी ख्वाहिश जग जाती है, जब तक न पूरी हो तब तक सबसे बड़ी परेशानी वही दिखती है। कोडरमा संसदीय क्षेत्र के सतगावां प्रखंड के सुदूर पहाड़ों के बीच नदी किनारे छोटा सा गांव है मोदीडीह। यहां पिछले पांच साल में विकास ने दस्तक दी है। पहले लोग गले भर पानी में तैरकर एक किमी नदी पार करते थे, लेकिन इन पांच वर्षों में यहां एक किमी लंबा मोदीडीह पुल बन गया जो घोड़सिम्मर धाम समेत पूरे देश से इस क्षेत्र को जोड़ रहा है। सकरी नदी पर बने पुल के शिलान्यास पट पर अन्नपूर्णा देवी का नाम लिखा है।
इस गांव में केंद्रीय योजनाओं का लाभ लोगों को मिला है। लेकिन बिचौलियों और लालफीताशाही के कारण सभी लोगों तक यह सौ फीसद नहीं पहुंच पाया। मुनव्वर खान कहते हैं जब सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सबसे जरूरी राशन कार्ड ही नहीं बना तो कैसे मिले लाभ। कहां-कहां नहीं गए लेकिन किसी ने सुना नहीं। इस बीच गांव के लोगों की भीड़ हमलोगों के पास जमा हो जाती है।
हजारा खातून कहती हैं हमरो राशन कार्ड न बनलो, शौचालय बनलो, लेकिन गैस और घर न मिललो। राशन कार्ड न बना रहल हो, हां ई नदी पर पुल बना देलको, बड़ा काम केरको। गर्दन भर पानी में डूब के पार करे रिहो। सोना देवी कहती है मुझे तो मोदीजी के शासन में पीएम आवास, शौचालय, उज्ज्वला के तहत गैस मिला। सड़क के साथ नाली भी बन जाए तो बात बन जाए।
मो आलिम, टनकू यादव ग्रामीणों के बीच जोर-जोर से बोलते हुए कहते हैं ये पुल बाबूलाल मरांडी की देन है। साथ ही नारेबाजी शुरू कर देते हैं। उसी वक्त बाबूलाल मरांडी जनसंपर्क करते हुए वहां से गुजरते हैं। बाबूलाल के पक्ष में जमकर नारेबाजी शुरू हो जाती है। मुस्लिम, यादव व साव बहुल इस क्षेत्र में कहीं कहीं लोग खुलकर ये भी बता जा रहे हैं कि वे किसे समर्थन कर रहे हैं।
यादव मतदाता दुविधा में दिख रहे हैं। धर्मवीर यादव से पूछा क्या कहते हैं बोले इतने दिन का साथ एक झटके में खत्म करना सही नहीं दिख रहा है। लेकिन बात बिरादरी की है देखते हैं। पास खड़े प्रवीण गरीब सवर्णों को दस फीसद आरक्षण का विरोध करते हुए कहते हैं। इसका भार तो ओबीसी कोटा पर ही पड़ेगा। ये सही नहीं है। मोहन प्रसाद ने प्रवीण की बात के बीच में कहा कि देश बचाने के लिए मोदीजी तो जरूरी है। लेकिन यहां का कह नहीं सकते।
आंकड़ों के अनुसार इस संसदीय क्षेत्र में अनुमानित तीन लाख यादव वोटर हैं, मुस्लिम ढाई से तीन लाख, भूमिहार के साथ अन्य सवर्ण वर्ग ढाई से तीन लाख। भूमिहार व यादव वोट बंट सकते हैं। इनदोनों जाति के मतदाताओं को लुभाने में सभी जुटे हैं। कुशवाहा व कुर्मी वोटर भी बड़ी संख्या में है। इनमें कुशवाहा की संख्या अधिक है। भाजपा इसे अपने पक्ष में करने में जुटी है। वहीं भाजपा से असंतुष्ट समेत मुस्लिम व आदिवासी वोटर को बाबूलाल मरांडी अपने पक्ष में करने में जुटे हैं। राजकुमार यादव भी इसमें उम्मीद तलाश रहे हैं। आंकड़े इस बात को चीख-चीखकर बता रहे हैं कि इस क्षेत्र के परिणाम में जातिगत समीकरण अहम होगा।
सुलझे मुद्दे
- कोडरमा-गिरिडीह व कोडरमा-हजारीबाग रेल लाइन का निर्माण पूरा। इससे बड़ी आबादी को लाभ मिला।
- कोडरमा में इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखी गई है, लंबे समय से इसकी मांग थी, काम अभी शुरू नहीं हुआ है।
- दो केंद्रीय विद्यालय संसदीय क्षेत्र को मिले।
अनसुलझे मुद्दे
- माइका उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास नहीं
- हाइवे की हालत अभी खराब खासकर बरही-रजौली एनएच-33 का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। सिंचाई के क्षेत्र में बड़ी समस्या है। तिलैया व पंचखोरो डैम है लेकिन वहां से नहर निकालकर सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं किया गया।
- एक्सीडेंटल जोन होने के बावजूद अब तक ट्रामा सेंटर नहीं बना।
- बेरोजगारी बड़ी समस्या, माइका उद्योग खत्म होने और कई खदान व क्रशर बंद होने से बड़ी संख्या में रोजगार खत्म, लोगों का रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर पलायन। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी सीवरेज व ड्रेनेज की अब तक कोई व्यवस्था नहीं।
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