लोकसभा चुनाव 2019 : अभी सिर्फ आयोग का डंडा, सुस्त है प्रचार का फंडा
संतकबीर नगर लोकसभा में अभी तक किसी तरह का प्रचार नहीं हो रहा है। प्रचार चल भी रहा है तो निहायत सुस्त गति से हो रहा है।
By Edited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 12:25 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 08:35 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। लोकसभा चुनाव का शंखनाद होने के बाद भी अभी तक संतकबीर नगर की सीट पर प्रचार का दौर आरंभ नहीं हुआ है। यहां पुलिस और प्रशासनिक तंत्र द्वारा आदर्श आचार संहिता का पालन करवाने के लिए बरती जा रही सक्रियता चुनावी समय का आभास करा रही है। चुनाव के तिथियों की घोषणा होने के बाद ही तत्काल सरकारी अमला होर्डिंग और बैनर, पोस्टर आदि हटवाने के लिए युद्ध स्तर पर सड़क पर उतरा तो चुनाव की चर्चा को गति मिली।
आमतौर पर संभावितों द्वारा पहले से ही मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए अभियान चलाया जाता था यह इस बार अभी तक सामने नहीं आ सका है। बूथों की जांच करने के साथ ही मतदाताओं को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों के आयोजन का दौर तेजी से चलने के साथ ही चार पहिया गाड़ियों की जांच करने और वीडियो बनाने का कार्यक्रम चरम पर है। खास बात है कि जिन दलों से उम्मीदवार तय भी कर दिए गए हैं, उनके द्वारा भी अभी तक जनसंपर्क अभियान का आरंभ नहीं किया जा सका है।
भाजपा में तो अभी तक टिकट को लेकर कई प्रबल दावेदारों के बीच मामला फंसा हुआ है जो कुछ दिन बाद ही सामने आ सका है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग चुनाव को लेकर चर्चा जरूर कर रहे हैं परंतु अपने बीच किसी नेता के नहीं पहुंचने की बात भी कह रहे हैं। अब यह राजनैतिक दलों द्वारा किसी रणनीति के तहत किया जा रहा है या अंदरखाने बदलाव और दूसरों की पैंतरेबाजी को भांपने के लिए हो रहा है यह तय नहीं है परंतु एक बात साफ है कि अभी तक निर्वाचन आयोग चुस्त और प्रचार करने वाले सुस्त नजर आ रहे हैं।
आमतौर पर संभावितों द्वारा पहले से ही मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए अभियान चलाया जाता था यह इस बार अभी तक सामने नहीं आ सका है। बूथों की जांच करने के साथ ही मतदाताओं को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों के आयोजन का दौर तेजी से चलने के साथ ही चार पहिया गाड़ियों की जांच करने और वीडियो बनाने का कार्यक्रम चरम पर है। खास बात है कि जिन दलों से उम्मीदवार तय भी कर दिए गए हैं, उनके द्वारा भी अभी तक जनसंपर्क अभियान का आरंभ नहीं किया जा सका है।
भाजपा में तो अभी तक टिकट को लेकर कई प्रबल दावेदारों के बीच मामला फंसा हुआ है जो कुछ दिन बाद ही सामने आ सका है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग चुनाव को लेकर चर्चा जरूर कर रहे हैं परंतु अपने बीच किसी नेता के नहीं पहुंचने की बात भी कह रहे हैं। अब यह राजनैतिक दलों द्वारा किसी रणनीति के तहत किया जा रहा है या अंदरखाने बदलाव और दूसरों की पैंतरेबाजी को भांपने के लिए हो रहा है यह तय नहीं है परंतु एक बात साफ है कि अभी तक निर्वाचन आयोग चुस्त और प्रचार करने वाले सुस्त नजर आ रहे हैं।
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