Rampur Lok Sabha Election 2019: क्या ‘बदजुबान-ए-आजम’ पर 'पर्दा' डाल पाएंगी भाजपा की जया
Lok Sabha Election 2019 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था जो इतिहास में पहली बार हुआ था। ऐसे में रामपुरी की चुनावी जंग और दिलचस्प हो गई है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के तीसरे चरण के लिए मंगलवार को मतदान हो रहा है। तीसरे चरण में 15 राज्यों की 117 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की राजनीतिक किस्मत ईवीएम में कैद होगी। तीसरा चरण सबसे बड़ा होने के कारण भाजपा समेत अन्य पार्टियों के लिए काफी महत्वपूर्ण पड़ाव है। इन 117 सीटों में से अभी 62 सीट पर भाजपा का कब्जा है। हालांकि, तीसरे चरण में सबकी निगाहें यूपी की रामपुर लोकसभा सीट पर होगी, जहां जुबानी जंग ने मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ दी और चुनाव आयोग को कड़ा फैसला लेना पड़ा।
रामपुर लोकसभा सीट पर कुल 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा के टिकट पर मशहूर अभिनेत्री से राजनेता बनीं जयाप्रदा हैं। सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन की तरफ से सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस की तरफ से संजय कपूर और एमडीपी के टिकट से अरसद वारसी मैदान में हैं। यहां चार निर्दलियों ने भी उम्मीदवार ठोंकी है। हालांकि, मुख्य मुकाबला भाजपा की जयाप्रदा और सपा के आजम खान के बीच है।
उत्तर प्रदेश में कई लोकसभा सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी की संख्या ज्यादा होने की वजह से उनकी भूमिका अहम है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट इन्हीं मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में आती है। रामपुर में मुस्लित मतदाताओं की संख्या 50 फीसद से ज्यादा है। शायद यही वजह है कि यहां से लोकसभा के लिए पर्चा दाखिल करने वाले 11 उम्मीदवारों में से 08 मुस्लिम समुदाय के ही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से भाजपा के नेपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में युपी से एक इतिहास बना था। 2014, इतिहास का पहला ऐसा लोकसभा चुनाव था, जिसमें यूपी से एक भी मुस्लिम सांसद लोकसभा नहीं पहुंचा था।
रामपुर में बदजुबानी की जंग
रामपुर लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें इसलिए भी टिकी हुई हैं, क्योंकि यहां पर बदजुबानी की जंग चल रही है। इस जंग में फिलहाल सपा नेता आजम खान सबसे आगे दिख रहे हैं। विवादित बयानों और टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहने वाले आजम खान ने अपनी प्रमुख प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा को लेकर इतना आपत्तिजनक बयान दिया कि चुनाव आयोग से लेकर महिला आयोग तक ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया। चुनाव आयोग ने तो आजम खान की बदजुबानी और जयाप्रदा पर किए गए उनके अश्लील बयानों को लेकर दूसरे चरण से ठीक पहले आजम पर 72 घंटे तक चुनाव प्रचार न करने का प्रतिबंध लगा दिया था। इसी मामले में, रामपुर के शाहबाद थाने सहित अलग-अलग जगहों पर आजम खान के खिलाफ 10 केस दर्ज हो चुके हैं। राजनीतिक हलकों के अलावा बॉलिवुड और अन्य क्षेत्रों से भी आजम खान के बयान को लेकर घोर आपत्ति जताई जा चुकी है। बावजूद आजम गलती या माफी मांगना तो दूर, ये मानने को भी तैयार नहीं हैं कि उन्होंने कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की है। आजम खान, रामपुर से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
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आजम के बाद उनके बेटे के विवादित बोल
’जैसा बाप, वैसा बेटा’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए आजम खान के बाद अब उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने जयाप्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। अब्दुल्ला आजम खान, रामपुर के स्वार से विधायक हैं। उन्होंने रविवार को एक चुनावी रैली में भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा को अनारकली कहा था। वह रामपुर के पान दरीबा में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। अब्दुल्ला ने जिस वक्त मंच से ये आपत्तिजनक टिप्पणी की, उनके पिता आजम खान भी मंच पर मौजूद थे। अब्दुल्ला ने कहा, ‘हमें अली भी चाहिए और बजरंग बली भी, लेकिन हमें अनारकली नहीं चाहिए।’ मालूम हो कि अली और बजरंग बली जैसे भड़काऊ बयानों को लेकर चुनाव आयोग ने दूसरे चरण से ठीक पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती और भाजपा नेता मेनका गांधी के चुनाव प्रचार पर भी दो-तीन दिनों के लिए रोक लगा दी थी।
आजम से बदला लेने का सही मौका
जयाप्रदा पहले भी रामपुर से सपा के टिकट पर सांसद रह चुकी हैं। जयाप्रदा के सपा में आने के बाद उन्हें रामपुर से सांसद बनवाने में आजम खान की अहम भूमिका रही है। हालांकि, बहुत जल्द ही दोनों के बीच तल्खी बढ़ गई। जयाप्रदा के सपा में रहते हुए भी आजम खान कई बार उनके खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी कर चुके हैं। जयाप्रदा ने इन टिप्पणियों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से आपत्ति भी जताई, लेकिन आजम खान पर लगाम नहीं लग सकी। जया के भाजपा में आने के बाद दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग और तेज हो चुकी है। ऐसे में जयाप्रदा के लिए तीसरे चरण के मतदान के दौरान आजम खान से राजनीतिक रूप से बदला लेने का सही मौका है। रामपुर आजम खान का गढ़ है, ऐसे में उन्हें यहां से हराना जयाप्रदा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
कांग्रेस प्रत्याशी को नवाब खानदान का समर्थन
रामपुर में नवाब खानदान का राजनीति में अच्छा प्रभाव है। रामपुर सीट पर पहले लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो नवाब खानदान के लोग ही यहां से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। नवाब खानदान के लोग यहां से नौ बार सांसद रह चुके हैं। ये पहला लोकसभा चुनाव है, जिसमें नवाब खानदान सीधे तौर पर चुनाव मैदान में नहीं है। हालांकि, उनकी तरफ से कांग्रेस प्रत्याशी संजय कपूर को समर्थन दिया गया है। संजय कपूर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। वह दो बार यहां से विधायक भी रह चुके हैं। संजय कपूर की वजह से रामपुर की सियाशी जंग और दिलचस्प हो चुकी है।