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Election 2019: बीटीपी को नहीं चाहिए बांसवाड़ा में रेल और पावर प्लांट

Election 2019 बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट के गठन के बाद पहली बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। इससे पहले यहां सीधा मुकाबला होता आया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 04:32 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 04:32 PM (IST)
Election 2019:  बीटीपी को नहीं चाहिए बांसवाड़ा में रेल और पावर प्लांट
Election 2019: बीटीपी को नहीं चाहिए बांसवाड़ा में रेल और पावर प्लांट

उदयपुर, सुभाष शर्मा। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) का भाजपा और कांग्रेस से जुदा विचार हैं। उसे बांसवाड़ा जिले में ना तो रेल चाहिए और ना ही पावर प्लांट। बीटीपी का मानना है कि रेल आने पर बाहरी लोग यहां आकर लूट शुरू कर देंगे। यहां का आम आदमी झोपड़ी में निश्चिंत बैठा हुआ है, उसे कहीं जाने की जरूरत नहीं, जो उन्हें रेल चाहिए। इसी तरह बांसवाड़ा में बनाए जा रहे पावर प्लांट को बीटीपी ने क्षेत्र के लिए विनाशकारी बताया है।

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बीटीपी नेताओं का कहना है कि जब अमेरिका जैसे विकसित देश में परमाणु बिजलीघर को बैन कर दिया गया है तो हमारे क्षेत्र में इसकी जरूरत नहीं। हमारे पूर्वजों का सपना है कि भील प्रदेश की स्थापना। हमारा मानना है कि

आदिवासियों का एक अलग राज्य होना चाहिए। हम अलग से प्रदेश तो नहीं बना सकते लेकिन हम जीतकर संसद में जाकर भील प्रदेश की मांग अवश्य रखेंगे। भारतीय ट्राइबल पार्टी से बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी कांतिलाल रोत ने अपने क्षेत्र के मुद्दों की बात करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में रेल लाने की जरूरत क्या है? डूंगरपुर और रतलाम में रेल है। 

यदि बांसवाड़ा को डूंगरपुर और रतलाल से जोड़ा गया तो यहां के लोग वहां जाएंगे और वहां के यहां आएंगे। वे लोग इस इलाके को लूटेंगे। वह यहां के आम आदमी के लिए नहीं, बल्कि खनिज निकालने के लिए रेल लाने की बात कर रहे हैं। आम आदमी के लिए रेल लानी होती तो कई दशक पहले रेल आ जाती। अभी हाईवे का काम चल रहा है और दो जगह टोल टैक्स लगाकर रुपए लूटने की तैयारी कर ली है। इससे आम लोग और आदिवासी को क्या फायदा? उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को एक ही थैली के चट्टा-बट्टा बताया। कोई मोदी को गाली दे रहा है तो कोई राहुल को।

बांसवाड़ा में आदिवासियों का किया जा रहा धर्मांतरण बीटीपी प्रत्याशी कांतिलाल का कहना है कि बांसवाड़ा में उनकी पार्टी कमजोर नहीं। वहां आदिवासियों का सबसे अधिक धर्मांतरण किया जा रहा है। आदिवासियों को वहां कुछ लोग गुमराह कर चुके हैं। इसके चलते आदिवासी वहां अपना अस्तित्व खो चुके हैं। बीटीपी नेताओं ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले क्षेत्र की महिलाएं अवैध मदिरा निर्माण को लेकर लाठियां लेकर निकल रही है लेकिन भाजपा और कांग्रेस की दोनों सरकारों का उनसे कोई सरोकार नहीं। उनका मानना है कि यह क्षेत्र शराब विहिन होनी चाहिए। 

होगा त्रिकोणीय मुकाबला

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट के गठन के बाद पहली बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। इससे पहले यहां सीधा मुकाबला होता आया है। विधानसभा चुनाव से पहले गठित बीटीपी ने डूंगरपुर जिले में दो विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर अपना ताकत का अहसास भाजपा और कांग्रेस को करा दिया। लोकसभा की आठ में तीन सीटों पर कांग्रेस, दो-दो पर भाजपा और बीटीपी और एक विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी थी। 


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