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लोकसभा चुनाव 2019: देवभूमि में सियासी समर को तैयार भाजपा की फौज

उत्तराखंड में भाजपा ने चुनावी बिसात पर सभी गोटियां फिट कर दी हैं। किस कार्यकर्ता को कब क्या करना है। यह उन्हें बता दिया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:34 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:34 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019: देवभूमि में सियासी समर को तैयार भाजपा की फौज
लोकसभा चुनाव 2019: देवभूमि में सियासी समर को तैयार भाजपा की फौज

देहरादून, केदार दत्त। लोकसभा की पांच सीटों वाले उत्तराखंड में भाजपा ने चुनावी बिसात पर सभी गोटियां फिट कर दी हैं। किस कार्यकर्ता को कब क्या करना है, यह उन्हें बता दिया गया है। सियासी समर के लिए सांगठनिक स्तर पर बूथ से लेकर संसदीय क्षेत्र के लिए अलग-अलग ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया गया है। इसके तहत विभिन्न मोर्चों के लिए करीब पांच लाख कार्यकर्ताओं की फौज तैयार है, जो प्रांतीय नेतृत्व से झंडी मिलते ही चुनाव प्रचार में जुट जाएगी। यह न केवल योजना है, बल्कि इसमें मॉनीटरिंग भी साथ-साथ जुड़ी है। यानी ग्रास रूट पर कब किसने क्या काम किया, इसकी पल-पल की खबर प्रांतीय नेतृत्व के पास रहेगी। पार्टी ने 'बूथ जीता-चुनाव जीता' के साथ अपने इस चुनावी प्रबंधन को तैयार किया है। इसमें भी सबसे अहम किरदार पन्ना प्रमुख होंगे, जिनकी तादाद करीब साढ़े तीन लाख के आसपास है।

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उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए खासा महत्वपूर्ण है। 2014 के चुनाव में भाजपा ने यहां की पांचों सीटों पर कब्जा जमाया था और इस मर्तबा उसके सामने ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। ऐसे में पार्टी किसी भी प्रकार का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। यही कारण भी है कि उसने चुनाव प्रबंधन के लिए करीब दो माह पहले से ही धरातल पर तैयारियां शुरू कर दी थीं।

राष्ट्रीय नेतृत्व से मिले 'बूथ जीता-चुनाव जीता' के मूलमंत्र पर चलते हुए चुनाव के लिए प्रबंधन किया गया है। इसके तहत पार्टी की सबसे निचली और सबसे अहम इकाई है बूथ। इस लिहाज से भाजपा ने राज्य के 11235 बूथों के लिए बनी बूथ कमेटियों को सक्रिय कर दिया है। इन कमेटियों में सदस्यों की संख्या है 123585। बूथ कमेटियों के सदस्यों में हर बूथ की वोटर लिस्ट के हर पन्ने के लिए एक-एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी गई है, जिन्हें पन्ना प्रमुख के नाम से जाना जाता है। प्रदेशभर में साढ़े तीन लाख के करीब पन्ना प्रमुखों की तैनाती की गई है और इन्हीं के कंधों पर सबसे अधिक भार है। हर पन्ना प्रमुख अपने पन्ने के मतदाताओं की न सिर्फ चिंता करेगा, बल्कि उन्हें मतदान के दिन बूथ तक लाने को प्रेरित भी करेगा।

बूथ कमेटियों व पन्ना प्रमुखों के बाद शक्ति केंद्रों पर भी बड़ी जिम्मेदारी है। छह बूथों पर एक शक्ति केंद्र है। इनकी कुल संख्या है 1860 और प्रत्येक में छह-छह सदस्य हैं। इस लिहाज से यह संख्या बैठती है 11160। इन पर बूथ कमेटियों व पन्ना प्रमुखों को लगातार बूस्टअप का जिम्मा है। इसके बाद पार्टी की कुल 228 मंडल इकाइयों के 10260, जिला इकाइयों के 630, 70 विधानसभा क्षेत्र के 1120 और पांच लोकसभा क्षेत्र इकाइयों के 100 पदाधिकारी व सदस्य भी चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। मंडल व जिला इकाइयों में 45-45 और विस कमेटी में 16 और लोस कमेटी में 20 पदाधिकारी व सदस्य होते हैं।

पार्टी सूत्रों के अनुसार बूथ से लेकर लोस क्षेत्र कमेटियों के कार्यों की मॉनीटरिंग भी की जा रही है। वे कब और क्या कार्य कर रही हैं, इसका पल-पल का ब्योरा प्रांतीय नेतृत्व के पास पहुंचेगा, ऐसी व्यवस्था की गई है। बताया गया कि प्रत्याशियों के नाम का एलान होने पर प्रांतीय नेतृत्व से निर्देश मिलते ही बूथ स्तर तक की सभी इकाइयों के कार्यकर्ता तुरंत मिशन में जुट जाएंगे।

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