LokSabha Election 2019: भाजपा की जीत के साथ कायम रही PM मोदी की रैली की परंपरा
बहराइच में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत हुई है। वहीं प्रधानमंत्री की रैलियों का भी बड़ा असर नजर आया।
बहराइच [विजय द्विवेदी]। तमाम आशंकाओं को दरकिनार कर मतदाताओं ने बहराइच में भाजपा की बल्ले-बल्ले कर दी। सियासी समीकरणों के उलटफेर और जाति-धर्म की बंदिशें नतीजों के ऐलान के साथ टूट गई। भाजपा की बड़ी जीत के साथ यहां से जुड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रैलियों की परंपरा भी कायम रहा। जोश से लबरेज नजर आए कार्यकर्ताओं ने लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुए समीकरणों के खेल को अपनी मेहनत से पूरी तरह से धो डाला।
बहराइच में 2014 का रण भी भाजपा ने जीता था, लेकिन उसकी सिटिंग सांसद सावित्री बाई फुले ने ही पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुशी जंग का ऐलान कर दिया। वे सीधे भाजपा नेतृत्व के फैसलों पर सवाल उठाने लगी और खुद विपक्ष का सियासी मोहरा बन गई। जब वे भाजपा नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर रही थी, तभी से कार्यकर्ता सांसद फुले के खिलाफ लामबंद होने लगे थे। पार्टी ने काफी मंथन के बाद अपने पुराने सिपाही बलहा के विधायक अक्षयवर लाल गोंड पर दांव लगाया। बहराइच में प्रधानमंत्री रैलियों का मिथक भी लगातार तीन चुनावों से पार्टी की मजबूती का अहम किरदार निभाता रहा। शहर से तकरीबन तीन किमी दूर फत्तेपुरवा में महाराजा सुहेलदेव विजय संकल्प रैली स्थल पर पीएम मोदी ने हुंकार भरकर देवीपाटन मंडल के मतदाताओं को लुभाते रहे। उसका प्रभाव भी चुनाव पर साफ दिखता रहा।
इस बार के नतीजों पर भी मोदी की रैली का असर काफी रहा। पीएम मोदी ने 2014 से पहले अपने रैलियों की शुरूआत बहराइच सुहेलदेव रैली स्थल से ही किया था। वे 2017 के विधानसभा चुनाव में भी इसी रैली स्थल पर जनता से रूबरू हुए थे। इस रैली के बाद जिले के मटेरा विधानसभा को छोड़कर सभी विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा का कब्जा हो गया था। 2019 की चुनावी रैली भी मोदी ने मंडल की दूसरी लोकसभा सीटों को दरकिनार कर बहराइच में ही की। भाजपा के जिलाध्यक्ष श्यामकरन टेकड़ीवाल नजीर देते हैं।
कहते हैं कि जब-जब मोदी के कदम चुनाव में पड़ते हैं तो नतीजे सारे समीकरणों को तोड़कर भाजपा के ही पाले में ले जाते हैं। इस बार के चुनाव में भी यही नतीजा सामने आया है। चुनाव के दौरान सपा-बसपा गठबंधन की ओर से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा की रैलियों के बाद यहां का सियासी घमासान काफी रोचक हो गया था। गठबंधन प्रत्याशी शब्बीर वाल्मीकि की जमीनी पैठ और उनके पक्ष में समीकरणों के मजबूत होने से भगवा ब्रिगेड की धड़कने बढ़ा रही थी, लेकिन लोगों के जेहन के अंदर तक समा गई प्रधानमंत्री मोदी की लहर, ईवीएम की बत्तियां जलने के साथ सारे समीकरणों को ध्वस्त कर भाजपा को दूसरी बार भी जीत दिला दिया।
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