Lok Sabha Elections 2019: कड़ी कार्रवाई के लिए दोबारा चुनाव आयोग पहुंची भाजपा
भाजपा ने आयोग से राज्य में बची हुई सीटों पर मतदान के दौरान हर बूथ पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती और आपराधिक एवं अराजक तत्वों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की मांग की है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की कारवाई के बाद भी भाजपा और तृणमूल में तनाव कम नहीं हो रहा है। सियासी संग्राम में दोनों दलों के तेवर एक दूसरे के प्रति आक्रमक बने हुए हैं। भाजपा ने कोलकाता में मंगलवार को हुई चुनावी हिंसा को लेकर चुनाव आयोग की कार्रवाई को 'बड़े गुनाह की छोटी सजा' कहा है।
गुरुवार को पार्टी ने आयोग से ममता बनर्जी की शिकायत की है। भाजपा ने आयोग से राज्य में बची हुई सीटों पर मतदान के दौरान हर बूथ पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती और आपराधिक एवं अराजक तत्वों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की मांग की है।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, प्रकाश जावड़ेकर, विजय गोयल, भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख अनिल बलूनी सहित कुछ अन्य नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने आयोग को एक ज्ञापन भी सौंपा है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करने के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कार्रवाई करने की मांग की गई है। भाजपा ने इसे सामाजिक मर्यादा और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया है।
आयोग से मुलाकात के बाद नकवी ने कहा कि आयोग ने बंगाल में हिंसा के मद्देनजर जो निर्णय लिया है, वह 'आदतन गुनाहगार के बड़े गुनाह की छोटी सजा' है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और कानून व्यवस्था को आघात पहुंचाने वाले अराजक तत्वों को प्रदेश सरकार का संरक्षण मिला हुआ है, ऐसी स्थिति में आयोग को राज्य में बची हुई सीटों पर चुनाव के लिए अपराधियों एवं अराजक तत्वों की तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
भाजपा ने मांग की है कि प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ गुंडा एवं अपशब्दों का प्रयोग करने पर आयोग संज्ञान ले और मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करे। भाजपा नेता ने कहा कि राज्य में हर चरण में जिस तरह से हिंसा और अराजकता को तृणमूल कांग्रेस द्वारा प्रोत्साहन दिया गया है, उससे स्पष्ट है कि तृणमूल कांग्रेस हार की हताशा में हाहाकार कर रही है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि उन्हें अपेक्षा थी कि अन्य दल इस अराजकता एवं हिंसा की निंदा करेंगे क्योंकि लोकतंत्र के संदर्भ में यह सामान्य शिष्टाचार है। लेकिन ऐसा न होना दुखद है।
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