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LokSabha Election 2019: खुद को संगठन से ऊपर समझना भाजपा सांसद रवींद्र पांडेय को भारी पड़ा

दबे सुर में कई भाजपाई मान रहे हैं कि पांडेय ने संगठन की कभी परवाह नहीं की। गोमिया उपचुनाव में प्रदेश के बड़े नेता जब गली-गली घूम रहे थे तब सांसद तटस्थ थे।

By mritunjayEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 11:42 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 11:42 AM (IST)
LokSabha Election 2019: खुद को संगठन से ऊपर समझना भाजपा सांसद रवींद्र पांडेय को भारी पड़ा
LokSabha Election 2019: खुद को संगठन से ऊपर समझना भाजपा सांसद रवींद्र पांडेय को भारी पड़ा

बोकारो, जेएनएन। पांच बार भाजपा के टिकट पर गिरिडीह से सांसद रहे रविन्द्र कुमार पांडेय को संगठन के प्रति उपेक्षात्मक रवैया महंगा पड़ गया। आलाकमान ने उनका पत्ता काट दिया। इस बार उनको टिकट न देकर आजसू को गठबंधन के तहत गिरिडीह सीट दे दी। 

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वर्ष 2018 फुसरो नगर पर्षद के चुनाव में इसकी पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई थी। उस चुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़ रहे जगरनाथ राम चुनाव हार गए थे। उन्होंने व जिला संगठन ने तब प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत कर हार का ठीकरा सांसद पर फोड़ा था। दबे सुर में कई भाजपाई मान रहे हैं कि पांडेय ने संगठन की कभी परवाह नहीं की। गोमिया उपचुनाव में प्रदेश के बड़े नेता जब गली-गली घूम रहे थे, तब सांसद तटस्थ थे। भाजपा के प्रत्याशी माधव लाल ङ्क्षसह यहां तीसरे नंबर पर चले गए। नतीजा संगठन के स्तर पर सांसद की गतिविधियों की एंटी रिपोर्टिंग शुरू हो गई। दूसरे जिलों से प्रचार करने आए लोगों ने सारी कहानी प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचाई। दूसरी ओर बेरमो विधायक योगेश्वर महतो बाटुल, डुमरी के पूर्व विधायक लालचंद महतो तथा बाघमारा के विधायक ढुलू महतो ने भी सांसद के रवैये एवं उनकी कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। 

जनवरी  में मिल था आजसू को  ग्रीन सिग्नल  : पार्टी सूत्रों की मानें तो गिरिडीह संसदीय सीट आजसू के खाते में जाने का निर्णय जनवरी में ही हो गया था। तब आजसू सुप्रीमो सुदेश  महतो की मुलाकात भाजपा के बड़े नेताओं से दिल्ली में हुई थी। तभी केंद्रीय नेतृत्व ने आजसू को ग्रीन सिग्नल दे दिया था। इस निर्णय की जड़ में गोमिया उपचुनाव का परिणाम ही रहा था। आजसू के नेताओं ने भाजपा नेतृत्व के समक्ष पूरा आंकड़ा रखा। बताया कि लोकसभा की छह विधानसभा सीटों में से टुंडी से आजसू पार्टी का विधायक है। गोमिया विधानसभा में पार्टी झामुमो से मात्र एक हजार वोटों से हारी थी। शेष चार विधानसभा सीटों में गिरिडीह को छोड़कर सभी स्थान पर सांसद गत चुनाव में पीछे रहे हैं। नतीजा पार्टी ने बड़ा निर्णय लिया। आजसू को सीट देकर उत्तरी छोटानागपुर में महतो वोट पर भी प्रभाव डालने की सटीक चाल चली है।


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