LokSabha Election 2019 : झाविमो प्रमुख के दिए जख्मों से उबर नहीं पा रही भाजपा
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से आठ बार रीतलाल प्रसाद वर्मा को उतारने वाली भाजपा ने उनके बाद किसी भी नेता को इस सीट पर दुबारा मौका नहीं दिया।
By SunilEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 05:07 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 05:07 PM (IST)
v style="text-align: justify;">गिरिडीह, दिलीप सिन्हा। कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से आठ बार रीतलाल प्रसाद वर्मा को उतारने वाली भाजपा ने उनके बाद किसी भी नेता को इस सीट पर दुबारा मौका नहीं दिया। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पार्टी छोडऩे के बाद 2014 में यहां पहली बार कमल खिलाने वाले अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कुमार राय को भी दुबारा उतारने का जोखिम भाजपा ने नहीं उठाया। रवींद्र राय को ड्राॅप कर पार्टी ने राजद की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी को मैदान में उतारने का फैसला लिया है। बाबूलाल मरांडी के इस्तीफे के बाद हुए उप चुनाव से लेकर 2019 के इस चुनाव तक भाजपा हर बार प्रत्याशी बदलती रही है। 2006 में बाबूलाल ने कोडरमा से लोकसभा की सदस्यता एवं भाजपा दोनों से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए चुनावों में भाजपा यहां तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी। सिर्फ पिछले लोकसभा चुनाव के मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा इस सीट पर वापसी करने में सफल रही थी। इसे देखते हुए ऐसा लग रहा था कि प्रत्याशी बदलने का रिकाॅर्ड शायद भाजपा इस बार नहीं दुहराएगी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सामाजिक समीकरणों को देखते हुए भाजपा ने इस बार भी प्रत्याशी बदलने का फैसला लिया है।
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया। 77 से 2004 तक यह भाजपा का ऐसा किला था, जिसे विपक्षी दो बार ही मुश्किल से भेद सके थे। जनसंघ से जनता पार्टी में आए रीतलाल प्रसाद वर्मा प्रत्याशी बने थे। रीतलाल विजयी हुए थे। इसके बाद 80 में जनता पार्टी से अलग होकर भाजपा बनी। भाजपा से रीतलाल फिर प्रत्याशी बने और जीत दर्ज की। 77 से 99 तक हुए आठ चुनावों में भाजपा रीतलाल पर ही भरोसा जताती रही। आठ में से पांच बार रीतलाल जीते थे। दो बार कांग्रेस के तिलकधारी प्रसाद सिंह एवं एक बार जनता दल के मुमताज अंसारी जीते थे। रीतलाल के निधन के बाद 2004 के चुनाव में पार्टी ने अपने सबसे दिग्ग्गज नेता बाबूलाल मरांडी को दुमका से हटाकर कोडरमा में उतारा। बाबूलाल उस चुनाव में रिकार्ड वोटों से जीते। इतना ही नहीं पूरे झारखंड से जीतने वाले वे एकलौते भाजपा नेता थे। बाबूलाल ने 2006 में जैसे ही भाजपा से नाता तोड़ा, पार्टी यहां तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गयी। नतीजा हुआ कि हर बार पार्टी यहां प्रयोग करती रही। बाबूलाल के इस्तीफे के बाद हुए उप चुनाव में दिवंगत रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र प्रणव वर्मा को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। बाबूलाल के आगे वे टिक नहीं सके। इसके बाद 2009 के चुनाव में भाजपा ने गांडेय के अपने पूर्व विधायक लक्ष्मण स्वर्णकार को उतारा। वे तीसरे नंबर पर चले गए। 2014 में बाबूलाल का साथ छोड़कर पार्टी में लौटे अपने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कुमार राय को मैदान में उतारा। बाबूलाल से मिले जख्मों से पार्टी को उबारने में राय सफल रहे।
चुनाव हारते ही भाजपा प्रत्याशी थामते रहे बाबूलाल का दामन : बाबूलाल मरांडी से कोडरमा सीट वापस लेने के लिए भाजपा ने 2006 के उप चुनाव में प्रणव वर्मा एवं इसके बाद 2009 के चुनाव में पूर्व विधायक लक्ष्मण स्वर्णकार को मैदान में उतारा था। चुनाव हारने के बाद दोनों नेताओं ने बाबूलाल का ही दामन थाम लिया था। प्रणव वर्मा को बाबूलाल ने पिछले लोकसभा चुनाव में कोडरमा से अपना प्रत्याशी भी बनाया था। वे तीसरे नंबर पर चले गए थे। इधर लक्ष्मण स्वर्णकार झाविमो में शामिल होने के बाद अब बाबूलाल को जीताने के लिए काम कर रहे हैं।
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