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Jharkhand Lok Sabha Election 2019: संताल में कमजोर कड़ी पर भाजपा का विशेष जोर

Jharkhand Lok Sabha Election 2019.प्रधानमंत्री की रैली से बने माहौल से भाजपा उत्साहित लेकिन महागठबंधन की एकजुटता बड़ी चुनौती। प्रबंधकों को सौंपी गई बूथ की जिम्मेदारी ।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 06:22 AM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 06:22 AM (IST)
Jharkhand Lok Sabha Election 2019: संताल में कमजोर कड़ी पर भाजपा का विशेष जोर
Jharkhand Lok Sabha Election 2019: संताल में कमजोर कड़ी पर भाजपा का विशेष जोर

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Lok Sabha Election 2019 - संताल परगना में चुनाव के अंतिम दौर में भाजपा कमजोर कडिय़ों को दुरुस्त करने में जुट गई है। तीनों संसदीय क्षेत्र गोड्डा, दुमका और राजमहल के ऐसे विधानसभा क्षेत्र जहां भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा था वहां ज्यादा ताकत झोंकी गई है। इन क्षेत्रों के बूथ मैनेजमेंट पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। पार्टी ने अपने शीर्ष रणनीतिकारों को इस कार्य की जवाबदेही सौंपी है। 

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पिछले लोकसभा चुनाव में संताल परगना के अंतर्गत आने वाली तीनों सीटों के 18 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा सात पर आगे थी। भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी झामुमो ने भी सात विधानसभाओं में लीड ली थी। दो विधानसभा में कांग्रेस और दो पर झाविमो आगे थी। विधानसभा स्तर पर बराबरी का मुकाबला होने के बावजूद झामुमो के खाते में दो सीटें (दुमका व राजमहल) गईं थी जबकि भाजपा के खाते में एक (गोड्डा)।

इस बार ऐसे विधानसभा क्षेत्र जहां भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा था पार्टी ने खासा ताकत झोंकी है। पार्टी को उम्मीद है कि उसकी पूर्व से यहां की गई तैयारी का चुनाव में सार्थक परिणाम मिलेगा। भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश दावा करते हैं कि संताल में गांव हो या शहर हर जगह भाजपा की लहर है। देवघर में हुई प्रधानमंत्री की रैली में उमड़ी भीड़ ने झामुमो नेताओं की नींद उड़ा दी है।

बकौल दीपक प्रकाश संताल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपार समर्थन मिल रहा है। पिछले पांच सालों में संताल में विकास के अनेक कार्य हुए हैं। विकास की किरण घर-घर तक पहुंची है। भाजपा के दावे अपनी जगह हैं लेकिन इस बार संताल परगना में महागठबंधन की एकजुटता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। पिछले चुनाव में महागठबंधन बिखरा हुआ था।

दुमका से झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के खिलाफ खुद चुनाव में उतरे थे। उन्हें डेढ़ लाख से अधिक वोट मिले थे। इस बार वे शिबू सोरेन के साथ हैं। गोड्डा में कांग्रेस प्रत्याशी न होने भी भाजपा की चुनौती बढ़ी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के फुरकान अंसारी को तीन लाख से अधिक वोट मिले थे। इस बार भाजपा के निशिकांत दुबे का सीधा मुकाबला झाविमो के प्रदीप यादव से है।

प्रदीप यादव को पिछली बार यहां करीब दो लाख वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस के वोटों को यदि वे अपने खेमे में लाने में सफल हो गए तो भाजपा के लिए मुश्किल पेश आ सकती है। राजमहल मेंं भी भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू का सीधा मुकाबला झामुमो के विजय हांसदा से है। यहां भी झाविमो ने इस बार प्रत्याशी नहीं दिया था। पिछले चुनाव में झाविमो के अनिल मुर्मू को 97 हजार से अधिक वोट मिले थे।
 

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