Loksabha Election 2019: 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल कर भाजपा ने ध्वस्त की संयुक्त विपक्ष की चुनौती
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष अब भाजपा को 50 फीसदी मतों की राजनीति करने के लिए मजबूर कर रहा है और उन्हें यह चुनौती स्वीकार है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। चुनाव में भाजपा की जीत सिर्फ सीटों को लेकर ही ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि भविष्य में विपक्षी गठबंधन की चुनौतियों को ध्वस्त करने को लेकर भी है। मतगणना के एक दिन पहले तक विपक्षी दल जब गठबंधन के सहारे सरकार बनाने की संभावना तलाशने में जुटे थे, तब उन्हें इस बात जरा भी आशंका नहीं थी कि लगभग आधे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भाजपा व उसके सहयोगी 50 फीसदी से अधिक मत हासिल उन्हें संयुक्त रूप से पराजित करने जा रहे हैं।
भाजपा मुख्यालय में जीत का जश्न मनाने के लिए जुटे पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने साफ किया कि विपक्ष संयुक्त रूप से चुनौती की स्थिति में भी नहीं बचा है। दरअसल उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा गठबंधन की घोषणा और इसी तरह पूरे देश में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशों के बाद अमित शाह ने कहा कि विपक्ष अब भाजपा को 50 फीसदी मतों की राजनीति करने के लिए मजबूर कर रहा है और उन्हें यह चुनौती स्वीकार है। गठबंधन की पूरी रणनीति अलग-अलग पार्टियों को मिले मतों के गणितीय जोड़ पर आधारित था, जो संयुक्त रूप से भाजपा को मिले मतों से अधिक बैठता था।
खासतौर पर उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की चर्चा अधिक थी, क्योंकि संयुक्त रूप से उनका वोट शेयर भाजपा के करीब लगभग 43 फीसदी बैठता था। लेकिन 2019 में भाजपा ने अकेले दम पर 49.55 फीसदी और अपना दल के साथ मिलकर 50 फीसदी के करीब मत हासिल सपा, बसपा, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों की संयुक्त चुनौती की संभावना को खत्म कर दिया।
यही हाल दिल्ली की भी रही। दिल्ली में भाजपा को रोकने के लिए आप और कांग्रेस के गठबंधन की चर्चा जोरों पर रही, लेकिन हालात यह है कि दोनों मिलकर भी भाजपा को रोकने में सफल नहीं हो पाते। भाजपा यहां कुल मत का 56.6 फीसदी हासिल करने में सफल रही।
इसी तरह भाजपा अकेले गोवा में 51.2 फीसदी, चंडीगढ़ में 50.6 फीसदी, झारखंड में 50.7 फीसदी, हिमाचल में 69 फीसदी, उत्तराखंड में 60.8 फीसदी, हरियाणा में 58 फीसदी, कर्नाटक में 51.4 फीसदी, गुजरात में 62.2 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 50.7 फीसदी, मध्यप्रदेश में 58 फीसदी, राजस्थान में 58 फीसदी और अरुणाचल प्रदेश में 57 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही।
जबकि बिहार में जदयू और लोजपा, महाराष्ट्र में शिवसेना और असम में असम गण परिषद के साथ मिलकर संयुक्त रूप से 50 फीसदी से अधिक मत हासिल किया। इसी तरह त्रिपुरा अकेले 49 फीसदी वोटों के साथ दोनों सीटें जीतने में सफल रही।
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