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तटीय क्षेत्रों की सीटों पर भाजपा की निगाह, 2014 में मोदी लहर का नहीं चला था जादू

2014 के आम चुनाव में मोदी लहर में समूचा विपक्ष धराशायी हो गया उसमें तटीय क्षेत्र से भाजपा को बहुत मदद नहीं मिली थी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 11:29 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 11:30 AM (IST)
तटीय क्षेत्रों की सीटों पर भाजपा की निगाह, 2014  में मोदी लहर का नहीं चला था जादू
तटीय क्षेत्रों की सीटों पर भाजपा की निगाह, 2014 में मोदी लहर का नहीं चला था जादू

नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी पैठ बनाने में सफल हुई भाजपा ने दक्षिण तटवर्ती राज्यों में भी अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। संपन्न होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा को इन क्षेत्रों से काफी उम्मीदें हैं। 2014 के आम चुनावों में मोदी लहर इन क्षेत्रों में नहीं पहुंच पाई थी। इस बार भाजपा को यहां से काफी उम्मीदें हैं। यदि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यह कहते हैं कि हम 2014 की तुलना में 2019 में लोकसभा की ज्यादा सीटें जीतेंगे, तो निश्चित ही उनके जेहन में तटवर्ती राज्यों की भी ज्यादातर सीटें होंगी।

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तटवर्ती क्षेत्रों के बिना आई थी मोदी लहर
2014 के आम चुनाव में चली मोदी लहर में जब समूचा विपक्ष धराशायी हो गया, उसमें तटीय क्षेत्र से भाजपा को बहुत मदद नहीं मिली थी। यह वह चुनाव था जिसमें तमाम राज्यों के अभेद्य किले ढह गए थे। हर तरफ की राजनीतिक फिजा भगवामय थी। भाजपा के लिए इस क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ बनाने की कड़ी राजनीतिक चुनौती तभी से खड़ी हो गई थी।

भाजपा को नहीं मिला ज्यादा फायदा
2014 में पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र से भाजपा को ज्यादा फायदा नहीं मिला। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में क्षेत्रीय दल हावी रहे। अन्य तटीय क्षेत्रों में भाजपा ने गुजरात, कर्नाटक और गोवा में, जबकि शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। केवल केरल में क्षेत्रीय दल का वर्चस्व रहा।

भाजपा को मदद नहीं
1998-99 : इन चुनावों में भाजपा सत्ता में आई लेकिन तटीय क्षेत्रों में परिणाम उसके पक्ष में नहीं रहे।

जब लहराया कांग्रेस का परचम
2009 : इस चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई। साथ ही तटीय क्षेत्रों में भी उसने शानदार प्रदर्शन किया। ओडिशा में क्षेत्रीय दल बीजेडी, तमिलनाडु में डीएमके और बंगाल में टीएमसी ने परचम फहराया। जबकि, आंध्र, केरल व महाराष्ट्र में कांग्रेस ने बाजी मारी। गुजरात में भी कांग्रेस ने कड़ी चुनौती दी लेकिन कर्नाटक में मुंहकी खाई। इन चुनावों में कांग्रेस ने सभी तटीय 84 सीटों में से 43 फीसद सीटों पर सफलता पाई। 2004 के लोस चुनाव में कांग्रेस को तटीय क्षेत्रों खासकर आंध्र, गुजरात और महाराष्ट्र से आशातीत बढ़त मिली।

तलाशी राजनीतिक जमीन
दोनों राष्ट्रीय दलों ने गुजरात में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है जबकि ओडिशा, आंध्र और बंगाल में भी राजनीतिक जमीन तलाशी

पुराना गठबंधन बरकरार
2019 चुनाव की बात करें तो महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना से अपना पुराना गठबंधन बरकरार रखा है। भाजपा 25 और शिवसेना 23 पर चुनाव लड़ेंगे। तमिलनाडु में पिछले चुनाव में भाजपा सिर्फ एक सीट जीती थी। इस बार पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी। एआइएडीएमके, डीएमडीके और पीएमके उसके सहयोगी हैं।

कड़ी चुनौती मिलेगी
2014 के चुनाव में कांग्रेस नीत यूडीएफ ने केरल में 20 में से 12 सीटें जीती थीं। 2019 के चुनाव में यहां लेफ्ट ड्रेमोक्रेटिक फ्रंट को इससे कड़ी चुनौती मिलेगी।

बना रहा गठबंधन
कर्नाटक में अंतत: जनता दल एस और कांग्रेस के बीच गठबंधन बना रहा। कांग्रेस 20 और जेडीएस आठ सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।


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