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यहां 15 चुनावों में मात्र दो बार खिला कमल, महज नौ वोटों से जीते थे भाजपा के सोम मरांडी

आजादी के बाद हुए 15 लोस चुनावों में राजमहल में अब तक मात्र दो बार ही कमल खिला है। 1998 में हुए उपचुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को यहां से जीत मिली थी वह भी नौ वोट से।

By Edited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 04:10 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 04:17 PM (IST)
यहां 15 चुनावों में मात्र दो बार खिला कमल, महज नौ वोटों से जीते थे भाजपा के सोम मरांडी
यहां 15 चुनावों में मात्र दो बार खिला कमल, महज नौ वोटों से जीते थे भाजपा के सोम मरांडी

डॉ. प्रणेश, साहिबगंज: पहाड़ी श्रृंखला व स्टोन चिप्स के लिए चर्चित राजमहल लोकसभा क्षेत्र भाजपा के लिए अब तक बंजर ही साबित होती रही है। आजादी के बाद हुए 15 लोकसभा चुनावों में यहां अब तक मात्र दो बार ही कमल खिल पाया है।
1998 में हुए उपचुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को यहां से जीत हासिल हुई थी, वह भी मात्र नौ वोट से। लोकसभा में सबसे कम वोट से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी भाजपा के सोम मरांडी के नाम है। कांग्रेस के रामकृष्ण ने भी इतने ही मतों से जीत दर्ज की थी। भाजपा के सोम मरांडी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता थॉमस हांसदा को 1998 में नौ मतों से हराया था। इसके बाद 2009 में भाजपा के टिकट पर देवीधन बेसरा ने यहां जीत दर्ज की। इन दो बार की जीत के बाद भाजपा तीसरी जीत के लिए मशक्कत कर रही है।
राजमहल सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है। यह कभी कांग्रेस का परंपरागत सीट हुआ करती थी, लेकिन बाद में उसका एकाधिकार इस सीट से समाप्त हो गया। इस लोकसभा क्षेत्र में भी छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें तीन साहिबगंज तो तीन पाकुड़ जिले में है। गोड्डा जिले के दो प्रखंड बोरियो व सुंदरपहाड़ी तथा दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड का कुछ हिस्‍सा भी इस लोकसभा क्षेत्र के अधीन है। राजमहल व बोरियो विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा है। राजमहल से अनंत ओझा तो बोरियो से ताला मरांडी विधायक हैं। बरहेट से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायक हैं। पाकुड़ जिले में आनेवाली तीन विधानसभा सीटों में दो लिट्टीपाड़ा व महेशपुर पर झामुमो तथा पाकुड़ पर कांग्रेस का कब्जा है। लिट्टीपाड़ा से साइमन मरांडी, महेशपुर से स्टीफन मरांडी व पाकुड़ से विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष आलमगीर आलम विधायक हैं। यहां अंतिम चरण में चुनाव होना है, इस वजह से अभी राजनीतिक गतिविधियां तेज नहीं हुई हैं।
टिकट के सभी दावेदार रांची से अपना-अपना नाम दिल्ली भेजवाने के बाद क्षेत्र में लौट आए हैं। अगले सप्ताह तक उम्मीदवारों की घोषणा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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कब कौन जीता
साल           नाम                     पार्टी

1962         ईश्वर मरांडी             झापा
1967         ईश्वर मरांडी             कांग्रेस
1971         ईश्वर मरांडी             कांग्रेस
1977         फादर एंथोनी मुर्मू     जनता पार्टी
1980         सेंट हेम्ब्रम               कांग्रेस
1984         सेंत हेम्ब्रम               कांग्रेस
1989         साइमन मरांडी          झामुमो
1991         साइमन मरांडी          झामुमो
1996         थामस हांसदा            कांग्रेस
1998          सोम मरांडी              भाजपा
1999          थॉमस हांसदा           कांग्रेस
2004          हेमलाल मुर्मू             झामुमो
2009          देवीधन बेसरा            भाजपा
2014          विजय हांसदा             झामुमो


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