अब भाजपा उम्मीदवार ने किया CAB का विरोध, कहा- मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा
Lok Sabha Election 2019 पूर्वोत्तर राज्यों के लिए प्रस्तावित नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पहले भी काफी विरोध हो चुका है। लोकसभा चुनावों में भी विपक्ष ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के पहले चरण के मतदान के दौरान भाजपा उम्मीदवार ने खुलकर पूर्वोत्तर के लिए प्रस्तावित नागरिकता संशोधन बिल (CAB) का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि वह इस बिल को किसी भी सूरत में पास नहीं होने देंगे। अगर बिल पास होता है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लेंगे।
नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने वाले भाजपा उम्मीदवार सनबोर शुलई हैं। वह मेघालय की शिलांग लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। मेघालय में दो लोकसभा सीट हैं, शिलांग और तुरा। शिलांग मेघालय की राजधानी भी है। लोकसभा की दोनों सीटें स्थानीय आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित हैं। मेघालय की इन दोनों सीटों पर गुरुवार, 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान पूरा हो चुका है।
पहले चरण की वोटिंग के दौरान ही मीडिया से बात करते हुए सनबोर शुलई ने कहा था, ‘मैं जब तक जिंदा हूं, नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लागू नहीं होगा। मैं इस बिल को किसी भी सूरत में लागू होने नहीं दूंगा। इसके लिए चाहे मुझे खुद को मारना ही क्यों न पड़े। मैं नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन बिल को लागू नहीं होने दूंगा।’
मालूम हो कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों में पड़ोसी देश से आए शरणार्थियों को स्थाई पहचान देने के लिए नागरिकता संशोधन बिल लाना चाहती है। पिछले सत्र में सरकार ने इस बिल को लोकसभा से पास भी करा लिया, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के काफी हंगामे के बाद मामला अटक गया। सरकार के इस बिल का विरोध पूर्वोत्तर में भाजपा के नेता और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री भी कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के बहुत से संगठन और कुछ स्थानीय नागरिक भी बिल के विरोध में हैं।
वहीं, भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए जारी किए गए अपने घोषणा पत्र में पूर्वोत्तर के लिए प्रस्तावित नागरिकता संशोधन बिल को प्रमुखता से शामिल किया है। भाजपा ने घोषणा पत्र में कहा है कि अगर फिर से केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो नागरिकता संशोधन बिल को दोनों सदनों से पास करा उसे लागू किया जाएगा।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन बिल 2016, के जरिए सरकार नागरिकता कानून 1955 में सुधार करना चाहती है। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम धर्म के अल्पसंख्यकों को भारतीय नगारिकता देने का प्रावधान है। इस बिल के कानून बनने पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लेदश से भारत में शरण लेने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन व ईसाई धर्म के लोगों भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। बिल में इन लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 12 वर्ष के प्रवास की शर्त को कम कर छह वर्ष किया जाना प्रस्तावित है।
नागरिकता अधिनियम 1955
केंद्र सरकार ने लोकसभा में 15 जुलाई 2016 को नागरिकता संशोधन बिल पेश किया था। मौजूदा नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत ऐसे शरणार्थी जो किसी पासपोर्ट, वैध दस्तावेज या वीजा परमिट आदि के बिना ज्यादा दिनों तक भारत में रह रहे हैं, उन्हें अप्रवासी माना जाता है। इसके अलावा शरणार्थियों के लिए उचित दस्तावेजों की अनिवार्यता भी खत्म करने का प्रस्ताव है। स्थानीय लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी सांस्कृति, भाषाई और पारंपरिक विरासत से खिलवाड़ होगा।