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LokSabha Elections 2109 : इस सीट पर सपा ने खोले पत्‍ते, अब भाजपा उम्मीदवार का बेसब्री से इंतजार

गोरखपुर में सपा द्वारा अपने प्रत्‍याशी की घोषणा कर देने के बाद अब हर किसी की निगाह भाजपा की तरफ से घोषित होने वाले प्रत्याशी पर टिकी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 01:27 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 04:13 PM (IST)
LokSabha Elections 2109 : इस सीट पर सपा ने खोले पत्‍ते, अब भाजपा उम्मीदवार का बेसब्री से इंतजार
LokSabha Elections 2109 : इस सीट पर सपा ने खोले पत्‍ते, अब भाजपा उम्मीदवार का बेसब्री से इंतजार

गोरखपुर, रजनीश त्रिपाठी। राजनीतिक दलों के बदलते पैंतरों से गोरखपुर का सियासी तापमान चरम पर पहुंच गया है। निषाद (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) का पहले गठबंधन के साथ रहने का ऐलान और दो दिन बाद ही उपेक्षा के चलते अलग होने की घोषणा ने गठबंधन को जहां असहज कर दिया है वहीं, डा. संजय निषाद की मुख्यमंत्री से मुलाकात ने विपक्ष ही नहीं भाजपाई खेमे में भी हलचल मचा दी है। अब हर किसी की निगाह भाजपा की तरफ से घोषित होने वाले प्रत्याशी पर टिकी है। निषाद वोटों को सहेजने के लिए भाजपा किसी निषाद प्रत्याशी पर दांव लगाएगी या दल में शामिल हुए नये निषाद सहयोगियों की मदद से जीत का बिगुल बजाएगी इसको लेकर चर्चाएं चरम पर हैं।

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भाजपा के लिए प्रतिष्ठित मानी जाने वाली गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरण तेजी से बन-बिगड़ रहे हैं। टिकट के बंटवारे को लेकर निषाद पार्टी का गठबंधन से तालमेल बिगड़ा तो सांसद प्रवीण निषाद ने भी पिता के साथ गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया। निषाद पार्टी के रुख और अपने सांसद के विरोधी स्वर को देखते हुए गठबंधन ने पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को प्रत्याशी घोषित कर निषादों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी।

उधर, उपचुनाव में गठबंधन से हारने के बाद निषाद वोट पाने को सबसे बड़ी चुनौती मानने वाली भाजपा ने पूर्व मंत्री जमुना निषाद के परिवार को अपने में मिलाने के बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय से भी संपर्क साधना शुरू कर दिया। शुक्रवार को ही भाजपा के बड़े नेताओं समेत मुख्यमंत्री से हुई डा. संजय की मुलाकात ने गोरखपुर के सियासी समीकरण को हिलाकर रख दिया है। भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद में शामिल होने वाले अमरेंद्र और उनकी माता राजमति के बाद डा. संजय निषाद की भाजपा के गलियारों में आवाजाही को भी टिकट की दावेदारी से ही जोड़कर देखा जा रहा है। दर्जा प्राप्त पूर्व राज्य मंत्री जयप्रकाश निषाद पहले से ही निष्ठा के साथ पार्टी में अपनी सक्रियता दर्शाते आ रहे हैं। निषाद नेताओं की पार्टी में अचानक बढ़ी गतिविधि ने भाजपा के अंदर भी हलचल मचा दी है। उम्मीदवारी मिलने की उम्मीद लगाकर बैठे कई दावेदार और उनके समर्थक लगातार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक संगठन और पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों से संपर्क साधने में लग गए हैं।

निर्णायक होता है निषादों का वोट

गोरखपुर सदर और बांसगांव लोकसभा सीट पर निषाद मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। अनुमान के मुताबिक सदर सीट पर लगभग तीन लाख से अधिक निषाद मतदाता हैं जबकि बांसगांव में इनकी संख्या डेढ़ लाख से पार है। 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लडऩे वाले संजय निषाद 34 हजार से अधिक वोट पाकर जब तीसरे नंबर आए तभी से निषादों पर उनकी पकड़ साबित हो गई थी। इसके बाद लोकसभा के उपचुनाव में अपने बेटे प्रवीण निषाद को निषाद वोट बैंक के सहारे ही चुनाव जिताकर उन्होंने निषादों की निर्णायक भूमिका को जगजाहिर किया था।

नेताओं ने कहा

भाजपा के महानगर अध्‍यक्ष राहुल श्रीवास्‍तव ने कहा कि राहुल श्रीवास्तव भाजपा सर्वजन समाज की पार्टी है। यह महज नारा नहीं है, इसे धरातल पर अमल में भी लाया जाता है। भाजपा हर वर्ग को लेकर चलती है। शीर्ष नेतृत्व जिस नाम पर मुहर लगाएगा कार्यकर्ता पूरे जोश से उसे विजयी बनाएंगे। सपा के जिलाध्यक्ष प्रहलाद यादव ने कहा कि निषाद समाज समझदार है। वह ऐसे लोगों के झांसे या बहकावे में नहीं आएगा जो उनके सम्मान को कहीं गिरवी रख दे। गठबंधन के साथ पूरा समाज मिलकर चुनाव में सपा की जीत सुनिश्चित करेगा।


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