Loksabha Election: उत्तराखंड में मतदाताओं को नहीं भाया महागठबंधन
प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा व कांग्रेस को छोड़ शेष सभी दलों को नकार दिया। चुनाव के दौरान नजर आने वाली पार्टियों व नेताओं की प्रदेश में कोई जगह नहीं रही।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा व कांग्रेस को छोड़ शेष सभी दलों को नकार दिया। मतदाता ने इससे यह स्पष्ट भी कर दिया कि केवल चुनाव के दौरान नजर आने वाली पार्टियों व नेताओं की प्रदेश में कोई जगह नहीं है।
प्रदेश में कुल मतों में से 92.41 फीसद वोट भाजपा व कांग्रेस को, 4.48 फीसद वोट बसपा को, 1.05 वोट नोटा को और शेष 2.06 फीसद वोट अन्य सभी दलों व निर्दलीय को प्राप्त हुए।
प्रदेश में अभी तक हुए चार लोकसभा चुनावों में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही रहा है। यह अलग बात है कि राज्य गठन के बाद वर्ष 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी ने भी एक सीट पर जीत दर्ज की थी।
यह समाजवादी पार्टी का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन होने के साथ ही उसकी प्रदेश के बड़े चुनावों में एकमात्र जीत भी है। इसके अलावा सपा प्रदेश में खाता भी नहीं खोल पाई है। हालांकि, विधानसभा चुनावों में वर्ष 2017 से पहले बसपा व उक्रांद का प्रदर्शन ठीक रहा था।
लोकसभा चुनावों में बसपा ने प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। दरअसल, देखा जाए तो बसपा खुद को प्रदेश की तीसरी बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित करने में सफल रही। यह बात अलग है कि शुरुआती विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली बसपा का प्रदर्शन अब लगातार गिर रहा है।
राज्य गठन के बाद से बसपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2017 से पहले हुए तीन विधानसभा चुनावों में बसपा ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया। पहले विधानसभा चुनाव यानी वर्ष 2002 में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीटों पर कब्जा जमाया था।
दूसरे विधानसभा यानी वर्ष 2007 के चुनाव में बसपा ने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई। वर्ष 2012 में बसपा का मत प्रतिशत तो बढ़ कर 12.19 प्रतिशत तक पहुंचा लेकिन सीटों की संख्या घट कर तीन तक पहुंच गई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा को केवल 6.98 प्रतिशत मत मिले और उसकी झोली खाली रही।
अहम यह कि बसपा ने 2017 से पहले जो भी सीटें जीतीं वे मैदानी जिलों तक सिमटी रहीं। इस बार सपा के साथ गठबंधन कर बसपा की मैदानी वोटों पर नजर थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हरिद्वार को छोड़ शेष कहीं भी उसके प्रत्याशी अपनी उपस्थिति तक दर्ज कराने में असफल रहे। फिर भी बसपा कुल 4.48 फीसद मत लेकर तीसरे स्थान पर रही। 1.05 फीसद मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। अन्य सभी को 2.06 वोट मिले।
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