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Lok Sabha Election 2019: Shibu की शिकस्त के बाद Babulal का हुआ उदय...अब Sunil के सामने माैका

Dumka बाबूलाल मरांडी ने तीसरी लड़ाई में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को शिकस्त दी थी। संयोग से भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन भी तीसरी बार शिबू सोरेन को चुनाैती दे रहे हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 04:57 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 05:47 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019:  Shibu की शिकस्त के बाद Babulal का हुआ उदय...अब Sunil के सामने माैका
Lok Sabha Election 2019: Shibu की शिकस्त के बाद Babulal का हुआ उदय...अब Sunil के सामने माैका

दुमका, मृत्युंजय पाठक । इतिहास अपने आप को दोहराता है! अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित दुमका लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन के सामने इतिहास दोहराने का माैका है। गर ऐसा करते हैं तो बाबूलाल मरांडी की तरह न सिर्फ झारखंड बल्कि देश में भी एक नए आदिवासी चेहरे का उदय होगा।

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शिबू को परास्त करने के बाद राजनीति में छा गए बाबूलालः 21 साल पहले बाबूलाल मरांडी की देश की राजनीति में कोई पहचान नहीं थी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में 1998 के लोकसभा चुनाव में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को उनके ही गढ़ दुमका में शिकस्त देकर छा गए। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तो वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए। 15 नवंबर 2000 को बिहार को विभाजित कर नए झारखंड राज्य का सृजन हुआ तो भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री बनाया। उनकी गिनती देश के प्रमुख आदिवासी नेताओं में होने लगी। यह अलग बात है कि बाद में ( 2006) बाबूलाल ने भाजपा से अलग होकर झारखंड विकास मोर्चा नामक पार्टी बना ली। और लोकसभा चुनाव- 2019 की लड़ाई में वह दुमका में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन का बेड़ा पार लगाने के लिए उनके साथ खड़े हैं।

तीसरी लड़ाई में बाबूलाल को मिली थी विजयः अगल झारखंड राज्य निर्माण में भाजपा की महती भूमिका रही है। झारखंड इलाके में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए भाजपा ने बिहार के जमाने में ही पार्टी की वनांचल प्रदेश कमेटी गठित कर रखी थी। अध्यक्ष थे बाबूलाल मरांडी। उन्होंने पहली बार 1991 में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के खिलाफ दुमका से चुनाव लड़ा। सफलता नहीं मिली। दूसरी बार 1996 में शिबू को चुनाैती दी। इस बार भी सफलता नहीं मिली। बाबूलाल ने हिम्मत नहीं हारी। तीसरी बार 1998 के लोकसभा चुनाव में बाबूलाल ने शिबू सोरेन को शिकस्त दी। संयोग से भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन भी तीसरी बार शिबू सोरेन को चुनाैती दे रहे हैं। इससे पहले वह दुमका के अखाड़े में शिबू के सामने 2009 और 2014 के चुनाव में भी ताल ठोक चुके हैं। हालांकि सफलता नहीं मिली। थोड़े-थोड़े मतों के अंतर से हारते रहे।

समीकरण शिबू के पक्ष में, सुनील को मोदी के नाम और काम पर भरोसाःलोकसभा चुनाव- 2019 के अंतिम चरण में 19 मई को दुमका में मतदान है। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन 8 बार दुमका लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अबकी जीते तो नाैवीं दफा लोकसभा में प्रवेश करेंगे। समीकरण शिबू के पक्ष में है। पिछले चुनाव यानी 2014 में झाविमो बाबूलाल मरांडी ने दुमका से चुनाव लड़ा था। 1,58, 122 मत प्राप्त कर तीसरे नंबर पर थे। जबकि भाजपा के सुनील सोरेन 2,96,785 मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया था। शिबू सोरेन को 3.35 लाख मत मिले थे और चुनाव जीते थे। अबकी झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी समर्थन कर रहे हैं। इसलिए आकंड़ा शिबू के पक्ष में है। लेकिन, राजनीति गठित का खेल नहीं है। यह क्रिकेट की तरह अनिश्चितताओं का खेल है। इसलिए कुछ भी हो सकता है। सुनील सोरेन झामुमो से ही भाजपा में आए हैं। उन्हें शिबू सोरेन का हर दांव-पेंच मालूम है। जीत के लिए जोर लगा रहे हैं। मोदी के नाम और काम पर भरोसा है। जीते तो न सिर्फ अपना बल्कि भाजपा का भी मान-सम्मान बढ़ाएंगे। हार भी गए तो अपमान नहीं होगा। क्योंकि देश के बड़े आदिवासी नेताओं में शुमार अपने गुरु शिबू सोरेन को चुनाैती दे रहे हैं।

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