चुनाव का बड़ा मंत्र बना चौकीदार, सरकार की बड़ी चौकीदारियों पर भी डालें एक नजर
मैं भी चौकीदार हूं की छेड़ी मुहिम और अब चौकीदारी के सुबूत भी पेश कर रही है मोदी सरकार। पांच सालों में एक लाख दस हजार करोड़ से ज्यादा बचाने का दावा।
नई दिल्ली [अरविंद पांडेय]। चौकीदार अब कोई सामान्य शब्द नहीं रहा। चुनावी सरगर्मी में इसका क्रेज इतना बढ़ गया है कि सोशल मीडिया पर लाखों की संख्या में कई ने अपने नाम के साथ चौकीदार जोड़ लिया है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष का चौकीदार पर हमला तेज है। इसमें भी शक नहीं कि सरकार की ओर से चौकीदारी का सुबूत भी पेश किया जाएगा।
सरकार के चौकीदारी के दावों को मानें तो पिछले पांच सालों में देश का एक लाख दस हजार करोड़ से ज्यादा रुपया सिर्फ निगरानी व्यवस्था दुरुस्त करने से बचा है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी इसका जिक्र कर चुके है। भाजपा इस कोशिश में जुटी हुई है, वह पांच सालों में भ्रष्टाचार को रोकने के अपने कामों को भी जनता के बीच लेकर जाए।
खासकर तब जब यूपीए की पिछली सरकार में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा था। यही वजह है कि पार्टी सरकार की अलग-अलग योजनाओं के जरिए पिछले पांच सालों में रोके गए लीकेज के आंकड़ों को सामने लाने में जुट गई है।
कुछ मंत्रालयों के आंकड़े तो सर्वविदित है। इनमें डीबीटी (डायरेक्ट टू ट्रांसफर) से जुड़ी करीब चार सौ स्कीमें भी शामिल हैं। अकेले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की बात करें, तो साढ़े चार सालों में उन्होंने 541 करोड़ से ज्यादा का लीकेज रोका है।
इसी तरह मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विभागीय पड़ताल में विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पढ़ा रहे करीब डेढ़ लाख फर्जी शिक्षकों को भी पकड़ा है, जो एक नाम से कई जगहों पर नौकरी कर रहे थे और पैसा ले रहे थे। फिलहाल ऐसे मामले लगभग सभी सरकारी विभागों के पास है।
सरकार की कुछ बड़ी चौकीदारियां
पकड़े 1.30 लाख फर्जी शिक्षक
सरकार की पांच सालों में एक बड़ी उपलब्धि यह रही थी, कि उन्होंने विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पढ़ा रहे करीब 1.30 लाख फर्जी शिक्षकों को पकड़ा है। यह तथ्य मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जांच में सामने आया है।
डीबीटी से बचाए 90 हजार करोड़
सरकार ने अलग- अलग मंत्रालयों की संचालित होने वाली करीब चार सौ योजनाओं को डीबीटी ( डायरेक्ट टू ट्रांसफर) स्कीम के जरिए जोड़ा। इसके जरिए लाभार्थियों के खाते में सीधे योजनाओं का पैसा भेजा गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 तक डीबीटी के तहत 90 हजार करोड़ रुपये बचाए गए।
मिड-डे मील का फर्जीवाड़ा
सरकार ने मिड-डे मील में हो रहे फर्जीवाड़े को भी पकड़ा। इसमें छात्रों के फर्जी नाम दर्ज कर राशन लिया जाता था। जबकि बच्चा उस स्कूल में पढ़ता ही नहीं था। लाखों ऐसे फर्जी छात्रों को पकड़ा गया। सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा आंध्र प्रदेश, मणिपुर और झारखंड में पकड़ा गया। अकेले इन राज्यों में करीब साढ़े चार लाख छात्र पकड़े गए थे।
फर्जी गैस कनेक्शन किए गए खत्म
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शनों को आधार से लिंक किया। इसके तहत सब्सिडी को सीधे खाते में देने का काम शुरु किया गया। इस दौरान करीब 3.77 करोड़ फर्जी गैस कनेक्शन भी पकड़े गए। इससे सरकार को सब्सिडी की काफी बचत हुई।