Lok Sabha Election 2019: धन-बल-छल की नींव पर बन रहा सियासी किला; हाल-ए-कोडरमा
Lok Sabha Election 2019. - अन्नपूर्णा और मरांडी के बीच जंग में राजकुमार भी लगा रहे पूरा जोर। घात-भितरघात की पटकथा पर आधारित होगी जीत-हार बिरादरी का वोट भी अहम।
कोडरमा से आशीष झा /उत्तमनाथ पाठक। Lok Sabha Election 2019 - अहम सवाल है - कोडरमा में किला किसका बनेगा। भाजपा की अन्नपूर्णा देवी को पूरी चुनौती दे रहे हैं महागठबंधन के बाबूलाल मरांडी तो इन दोनों के बीच से अपना रास्ता निकालने की जुगत में राजकुमार यादव कैडर और बिरादरी के वोटरों को बांधे रखने की कोशिश में हैं। कोडरमा के कुरुक्षेत्र में सभी अपने-अपने दांव लगा रहे हैं।
वैश्य धन लगा रहे हैं, यादवों का बल है और इन दोनों के ऊपर वह होगा जो छल से इन ताकतों को परास्त कर दे। कोई किसी से कम नहीं। बाबूलाल मरांडी कांग्रेस-राजद- झामुमो से लड़ते हुए इन्हीं दलों के महागठबंधन के अभी संयुक्त उम्मीदवार बन बैठे हैं तो अन्नपूर्णा देवी एक लंबी उम्र गुजारकर राजद के घर से चुनाव के वक्त चुपके से निकली हैं।
कार्यकर्ता जो कल तक लालटेन ढो रहे थे उनकी हाथों में अब कमल का फूल है तो वर्षों से कमल का फूल ढोने वाले कार्यकर्ता थोड़े असहज हैं। जिनके खिलाफ वर्षों लड़ाई लड़ी अब उन्हीं के पक्ष में प्रचार करना आसान नहीं है। इन सब के बीच भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी बन रहा है मोदी फैक्टर। पूरा चुनाव उन्हीं के नाम पर समर्पित कर दिया गया है। विपक्षी गठबंधन भी मोदी से ही मुकाबला कर रहा है। ऐसे में कोई दो मत नहीं कि अंतिम समय में मतों का ध्रुवीकरण हो जाए।
घोड़सिम्मर धाम मंदिर में आए बिना नहीं चलता काम
सतगावां स्थित घोड़सिम्मर धाम मंदिर में आए बिना किसी नेता का काम नहीं चल सकता। मान्यता है कि यह मंदिर देश के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल है। मतों के ध्रुवीकरण के लिए सभी दल प्रयासरत हैं। पहली कोशिश है जातिगत मतों के ध्रुवीकरण की। यादव मतदाता अभी दो हिस्सों में बंटे दिख रहे हैं - भाजपा और भाकपा माले के पक्ष में। अंत समय में इनका ध्रुवीकरण किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में हो सकता है और इसी के इंतजार में अन्य पिछड़ी जातियां भी हैं।
सुदूर सतगावां प्रखंड के मोदीडीह में अन्नपूर्णा और मरांडी दोनों के समर्थक हैं। ग्रामीण मोहन प्रसाद कहते हैं देश बचाने के लिए मोदी तो झारखंड के लिए मरांडी पसंद हैं। फिलहाल बात देश की है। चुनाव में सभी पार्टियों के लिए धन जुटा रहे वैश्य अभी मौन साधे हैं लेकिन देर-सबेर उनका मत पुराने ढर्रे पर ही पड़ेगा। वहीं मुस्लिम मतदाता किसी गैर भाजपाई उम्मीदवार की तलाश में हैं। इसमें मरांडी और राजकुमार दोनों की दावेदारी है।
कहीं न कहीं पिछली बार क्षेत्र में दूसरे स्थान पर रहे राजकुमार यादव के सामने वोट बचाने की एक बड़ी चुनौती पैदा हो रही है। हरिजन और आदिवासी बिरादरी का बड़ा हिस्सा मरांडी के साथ दिख रहा है। यहां घात-प्रतिघात की पूरी पटकथा बुनी जा रही है और संघर्ष इतना कड़ा है कि अंतिम समय तक समीकरण बदलते रहेंगे। बासूडीह गांव में मछली बिक्रेता राजू साव बताते हैं कि बिरादरी को वोट कहीं छिटकनेवाला नहीं।
लोगों को इंतजार है जमुआ में पीएम की सभा का
यहां के समीकरण को प्रभावित करनेवाले भूमिहार मतदाता अभी तक तक किसी गुट से जुड़े हुए नहीं दिख रहे हैं। लोगों को इंतजार है जमुआ में प्रधानमंत्री की सभा का और इसमें अगर भाजपा के पूर्व सांसद और भूमिहारों के बीच पैठ रखनेवाले रवींद्र राय पहुंचते हैं तो संदेश पूरे क्षेत्र में जाएगा। हालांकि तीन-चार दिन पहले मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में उनकी अनुपस्थिति की चर्चा सभी क्षेत्रों में रही।
रवींद्र राय के भाई भाजपा से इस्तीफा दे चुके हैं और बताया जा रहा है कि वे बाबूलाल मरांडी के पक्ष में प्रचार में जुटे हुए हैं। ऐसे में कुछ भूमिहार मतदाता इधर-उधर होकर समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे भी यादवों (अन्नपूर्णा और राजकुमार) के पक्ष में उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करना किसी दूसरी बिरादरी के लिए आसान नहीं होगा। क्षेत्र में केंद्रीय योजनाएं भी मतदाताओं को प्रभावित करती दिख रही हैं लेकिन अंतिम समय तक अगर कहीं स्थानीय मुद्दे हावी हुए तो मतदाता का रुख बदलेगा।
जीत का मंत्र
अन्नपूर्णा : क्षेत्र में भाजपा का पुराना जनाधार और मजबूत संगठन है। राजधनवार को छोड़कर पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। अन्नपूर्णा खुद विधायक रह चुकी हैं और राजद की प्रदेश अध्यक्ष भी। इन्हें अपनी और भाजपा की छवि का लाभ लेना है, मोदी फैक्टर को भुनाने के साथ असंतुष्टों को साधकर बिरादरी के वोट का ध्रुवीकरण कर लें तो राह आसान हो सकती है।
मरांडी : क्षेत्र में झाविमो का आधार है। मरांडी खुद इस सीट से सांसद रह चुके हैं। महागठबंधन के तहत झामुमो, कांग्रेस और राजद के कैडर वोट के साथ अल्पसंख्यकों मतों के ध्रुवीकरण के साथ विपक्ष के असंतुष्टों के मतों को अपने पक्ष में कर लेते हैं तो राह आसान हो जाएगी। इनके लिए अपने परंपरागत मतदाताओं को जोड़े रहना भी बहुत जरूरी है जो फिलहाल कई पार्टियों में सक्रिय हैं।
राजकुमार यादव : पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे हैं। कैडर वोट इनसे छिटकेगा नहीं। बिरादरी के मतदाताओं को समेटने की कोशिश करनी होगी। भाजपा एवं महागठबंधन के वोटों में सेंधमारी करें तो अच्छी चुनौती दे सकते हैं। इन्हें केंद्र और राजय सरकार के कार्यों से असंतुष्ट मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की लगातार कोशिश करनी होगी ताकि परिणाम इनके पक्ष में हो।
कुल मतदाता : 17,79,737
महिला मतदाता : 8,38,369
पुरुष मतदाता : 9,41,353