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इस नहर पर चार दशक में साढ़े नौ हजार करोड़ खर्च, जानें इसकी क्या है हकीकत

पिछले चार दशक में सरयू नहर परियोजना पर साढ़े नौ करोड़ हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। अभी भी यह परियोजना अधूरी है।

By Edited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 11:09 AM (IST)
इस नहर पर चार दशक में साढ़े नौ हजार करोड़ खर्च, जानें इसकी क्या है हकीकत
इस नहर पर चार दशक में साढ़े नौ हजार करोड़ खर्च, जानें इसकी क्या है हकीकत
गोरखपुर, जेएनएन। एक राष्ट्रीय परियोजना पूर्वांचल में राजनीति की शिकार हो गई। दस साल में यह परियोजना पूरी की जानी थी, इस पर साढ़े नौ करोड़ हजार रुपये खर्च भी हो चुके हैं, लेकिन 41 साल बाद भी अधूरी है। हम बात कर रहे हैं सरयू नहर परियोजना की। ¨सचन क्षमता बढ़ाकर खरीफ और रबी की फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए इस परियोजना की शुरूआत वर्ष 1978 में की गई। 600 किमी लंबी इस नहर पर अब 9500 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन अब तक नहर के अधिकांश हिस्से में पानी नहीं पहुंच पाया है। नहर में जगह-जगह गैप हैं,इसे भरने के लिए किसानों से बाजार दर पर जमीने क्रय करने की कार्यवाही एक बार फिर से शुरू की गई है। पूर्वांचल की इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरा कर योगी सरकार कई निशाने साधने की तैयारी में है। 41 साल में जितनी भी सरकारें आई सबके एजेंडे में किसान थे लेकिन इस परियोजना को पूरा करने की दृढ़ इच्छा शक्ति किसी ने नहीं दिखाई। चुनाव आने पर किसानों को साधने के लिए कुछ बजट जारी किए जाते रहे। इस तरह यह परियोजना राजनीति का शिकार हो गई। बहरहाल समय बढ़ने के साथ जमीन और परियोजना की लागत भी बढ़ती गई। सरकारें बदलती रहीं तो दूसरी तरफ परियोजना में अफसर भी आते जाते रहे। सबने अलग-अलग नजरिये से इसे देखा। नतीजतन अब तक तीन बार संशोधित कर इसकी निर्माण लागत बढ़ाई जा चुकी है। परियोजना का कार्य अंतिम चरण में है लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा। नहर का फैलाव पूर्वांचल के 9 जिलों में है। राष्ट्रीय नहर का दर्जा भी प्राप्त राष्ट्रीय नहर का दर्जा प्राप्त सरयू नहर परियोजना की निगरानी के लिए दो मुख्य अभियंता तैनात किए गए हैं। एक गोंडा में तो दूसरे फैजाबाद में बैठते हैं। अधीक्षण अभियंताओं की संख्या आधा दर्जन तो अधिशासी अभियंता एक दर्जन से अधिक है। इनके दफ्तर कहां चलते हैं,इस बारे में किसानों को भी जानकारी नहीं है। देवेश शुक्ल अधीक्षण अभियंता राप्ती नहर निर्माण मंडल -2 बस्ती यहां पर परियोजना के नोडल अफसर हैं। नहर को पूरी क्षमता के साथ चलाने के लिए दो साल पहले किसानों से बातचीत के जरिए विवाद दूर कर गैप को भरने के लिए योगी सरकार ने मुहिम चलाई। जमीन क्रय कर गैप भरने के लिए धन की पर्याप्त व्यवस्था की गई। मंडलायुक्त को इसकी निरंतर मानीट¨रग करने का निर्देश गया। मंडल के बस्ती और संतकबीरनगर और सिद्धार्थनगर में गैप को भरने के लिए इधर 50 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। बस्ती के अलावा सिद्धार्थनगर, महराजगंज और गोरखपुर में अभी गैप भरे जाने हैं। दिसंबर 2019 में इसे परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है लेकिन राह कठिन दिख रही है। वर्ष 1978 में शुरू हुई थी परियोजना वर्ष 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव ने यूपी के बाढ़ प्रभावित नौ जिलों में बाढ़ के समय बेकार होने वाले जल को संचित कर उसे खेतों की ¨सचाई के उपयोग में लाने के लिए सरयू नहर परियोजना की शुरूआत की थी। दस साल में ही इसे पूरा किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। यूपी की सत्ता कांग्रेस के हाथ से खिसकने के बाद प्रदेश की कमान घूम फिर कर सपा और बसपा के हाथों में ही रही। नतीजतन प्राथमिकताएं बदलीं तो परियोजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। दो वर्ष पूर्व किसानों के हितार्थ जब परियोजना को मूर्त रूप देते हुए नहर का निर्माण कार्य जल्द पूर्ण करने की बात केन्द्र व प्रदेश सरकार की ओर से उठी तो क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। नहर निर्माण में बाधा आ रही कुछ मामलों को किसानों की रजामंदी से ¨सचाई विभाग ने निपटारा भी किया। किसानों ने भी महंगी भूमि के नहर में निकलने की परवाह किये बिना ¨सचाई सुविधा की बात सोचकर सहयोग की तरह हाथ बढ़ाया। नौ जिलों में है नहर का फैलाव बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, महराजगंज और गोरखपुर। इसकी स्वीकृत लंबाई 600 किमी और प्रस्तावित ¨सचन क्षमता 1.27 लाख हेक्टेयर है। मार्च 17 तक 450 किमी ही नहर का निर्माण हो पाया था यानी दिसंबर 2019 तक 233 किमी नहर का निर्माण पूरा कर इसे पूरी क्षमता के साथ चलाए जाने का लक्ष्य निर्धारित है। भूमि खरीद के लिए कोई धन नहीं मिला बस्ती के जिला अधिकारी डा. राजशेखर बताते हैं कि बस्ती जिले में सरयू नहर का गैप भरने के लिए 63 हेक्टेयर भूमि क्रय की जानी थी। अब तक 38 हेक्टेयर भूमि क्रय की जा चुकी है। 21 हेक्टेयर भूमि और क्रय की जानी है लेकिन वर्ष 19-20 में अब तक इस मद में कोई धन आवंटित नहीं किया गया है। दिसंबर तक नहर के चालू होने की उम्मीद बस्ती में नहर निर्माण मंडल के अधीक्षण अभियंता देवेश शुक्ला का कहना है कि सरयू नहर परियोजना नौ जिलों में फैली है। परियोजना के गैप को पूरा करने का कार्य तेजी से चल रहा है। दिसंबर 19 तक नहर को चालू कर दिया जाएगा। वर्ष 1978 में इसकी शुरूआत हुई। अब तक इस पर 9500 करोड़ व्यय हो चुके हैं।

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