सोलहवीं लोकसभा ने बनाया इतिहास, देश के पांच राज्यों को दिया मुख्यमंत्री
इस तरह हर लोकसभा ने देश को नई सरकार और प्रधानमंत्री देने के साथ कई बार राज्यों को मुख्यमंत्री का चेहरा देने का अपना पुराना रिकार्ड टूटने नहीं दिया है।
नई दिल्ली (संजय मिश्र)। सत्रहवीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव की सरगर्मियों के बीच अब इतिहास बनने जा रही मौजूदा 16वीं लोकसभा ने कई सूबों को मुख्यमंत्री देने की अपनी परिपाटी कायम रखी है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ समेत पांच सूबों को 16वीं लोकसभा ने उसके मौजूदा मुख्यमंत्री दिए हैं।
इस तरह हर लोकसभा ने देश को नई सरकार और प्रधानमंत्री देने के साथ कई बार राज्यों को मुख्यमंत्री का चेहरा देने का अपना पुराना रिकार्ड टूटने नहीं दिया है। 2014 में गठित 16वीं लोकसभा से सबसे पहला मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर को मिला जब महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद के निधन के बाद पीडीपी-भाजपा सरकार की कमान अप्रैल 2016 में थामी।
मुख्यमंत्री बनने के बाद महबूबा ने अनंतनाग की अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पंजाब दूसरा सूबा रहा जिसे कैप्टन अमरिंदर सिंह के रुप में चुनाव के बाद अपना नया मुख्यमंत्री मिला वर्तमान लोकसभा से मिला। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बनाए गए कैप्टन तब अमृतसर से लोकसभा के सांसद थे। पार्टी की जीत के बाद कैप्टन मुख्यमंत्री बने और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया।
2017 में ही भाजपा की उत्तरप्रदेश में बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री की तलाश तत्कालीन लोकसभा सांसद योगी आदित्यनाथ पर जाकर पूरी हुई। योगी ने देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर की अपनी लोकसभा सदस्यता छोड़ दी थी।
नगालैंड चौथा सूबा रहा जिसे विधानसभा चुनाव के बाद नया मुख्यमंत्री वर्तमान लोकसभा से मिला। मार्च 2018 में नेफेरियो रियो ने चुनाव में अपने गठबंधन की जीत के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी दुबारा थाम ली। कई सालों तक सूबे के सीएम रहने के बाद उब चुके रियो ने 2014 में केंद्र की राजनीति में आने का फैसला किया मगर यह उन्हें रास न आयी तो मुख्यमंत्री बनकर लोकसभा छोड़ दी।
मध्यप्रदेश पांचवा और आखिरी सूबा रहे जिसे 16वीं लोकसभा ने कमलनाथ के रुप में उसका नया मुख्यमंत्री दिया। दिसंबर 2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस का 15 सालों का सत्ता का वनवास कमलनाथ की अगुआई में टूटा और वे मुख्यमंत्री बने।
हालांकि कमलनाथ ने लोकसभा की अपनी सदस्यता से अभी इस्तीफा नहीं दिया है क्योंकि अभी वे मध्यप्रदेश की विधानसभा के सदस्य नहीं बने हैं। छह महीने के भीतर उन्हें राज्य विधानसभा का सदस्य बनना है। इसलिए वे अब छिंदवाडा की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश के नये सीएम को लोकसभा से इस्तीफा देने की शायद नौबत ही नहीं आएगी क्योंकि नई लोकसभा के चुनाव परिणाम आते ही मौजूदा लोकसभा भंग हो जाएगी।
दिलचस्प पहलू यह भी है कि 16वीं लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसद होने का रिकार्ड भी कमलनाथ के नाम है। नौवीं बार लोकसभा में पहुंचे कमलनाथ को इसी वरिष्ठता की वजह से 2014 में नई लोकसभा गठन के बाद सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। इस तरह पहले की तरह राज्यों को मुख्यमंत्री चेहरा देने की अपनी परिपाटी मौजूदा लोकसभा ने भी कायम रखी है।
सोलहवीं लोकसभा के पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान गोवा पांचवांं राज्य रहा जिसे चुनाव बाद अपना मुख्यमंत्री केंद्र की सियासत से मिला था। गोवा में चुनाव बाद मार्च 2017 में तत्कालीन रक्षामंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने केंद्र की राजनीति छोड़ गोवा के मुख्यमंत्री की कमान फिर संभाली। पर्रिकर तब राज्यसभा के सदस्य थे। हालांकि दुर्भाग्य से गंभीर बीमारी की वजह से पर्रिकर का पिछले महीने ही मुख्यमंत्री रहते देहांत हो गया था।