Kerala Assembly Election: मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे केरल के आदिवासी, नई सरकार से विकास की आस
केरल के पथानमथिट्टा जिले के अवनीपरा के दूरदराज आदिवासी गांवों में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजार रहे हैं। उन्हें मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अचानकोविल नदी को पार करना पड़ता है।
पथानमथिट्टा, एएनआइ। केरल के पथानमथिट्टा जिले के अवनीपरा के दूरदराज आदिवासी गांवों में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजार रहे हैं। कोनी से 50 किलोमीटर दूर अवनीपारा के एक गांव में पक्की सड़क, पीने के लिए पानी और सफाई व्यवस्था न होने के कारण काफी संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अचानकोविल नदी को पार करना पड़ता है। मानसून के मौसम में नदी का जल स्तर बढ़ने पर उनकी समस्या औऱ बढ़ जाती है। बच्चों के लिए पढ़ाई की सुविधा भी अच्छी नहीं है। गांव का निकटतम स्कूल 10 किलोमीटर दूर है। लोग इलाज के लिए 20 किलोमीटर की सफर तय करते हैं और अस्पताल पहुंचते हैं। आजादी के 74 साल बाद भी लाचारी में जीवन गुजार रहे ये लोग उम्मीद कर रहे हैं कि केरल विधानसभा चुनाव के बाद जो सरकार बनेगी, वो उनके विकास के लिए काम करेगी। बता दें कि केरल में छह अप्रैल को चुनाव होने हैं और नतीजे दो मई को आएंगे।
समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए रानी जनजाति की कक्षा 10 की छात्रा प्रवीना ने कहा कि वह अक्सर बारिश के मौसम में स्कूल नहीं जा पाती। इस दौरान वह नदी पार करने में असमर्थ होती है। उसने बताया कि अगर नदी का स्तर बढ़ता है, तो मैं स्कूल नहीं जा पाती। कोई पुल बन जाए तो हम जा सकते हैं। मेरी दादी बीमार हो जाती है, तो उन्हें अस्पताल ले जाना मुश्किल होता है क्योंकि कोई पुल नहीं है। गर्मियों में हम नदी से पीने का पानी इस्तेमाल करते हैं। हमें पानी के लिए पाइप कनेक्शन की आवश्यकता है। कोरोना महामारी के दौरान, मैं ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाई, क्योंकि इस क्षेत्र में नेटवर्क कवरेज बहुत खराब है।
एक अन्य आदिवासी महिला आनंदावल्ली ने बताया कि परिवहन के लिए अपर्याप्त धनराशि के कारण वह अपने बीमार पति का इलाज कराने में असमर्थ है। उन्हें कोट्टायम के एक अस्पताल से इलाज कराने की जरूरत है, लेकिन हम वहां नहीं जा सकते क्योंकि हमारे पास पैसा नहीं है। मैं पिछले दो महीनों से दवा नहीं खरीद पा रही हूं। अगर मैं आने-जाने का बिल देती हूं, तो मुझे ट्राइबल ऑफिस से भी पैसा नहीं मिलेगा।
ट्राइबल विकास सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष मल्लूमाला ने कहा कि केरल के लगभग हर आदिवासी गांवों में यही स्थिति है। जब हमने केरल में आदिवासी कॉलोनियों में यात्रा की, तो हमने केवल वहां लाचारी देखी है। लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने केरल में अब तक शासन किया है, लेकिन आदिवासियों को उनसे कुछ भी हासिल नहीं हुए है। वोट देने के लिए लोगों को 70 किमी तक की दूरी तय करनी पड़ती है।