केरल के सीएम के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे कांग्रेस सांसद सुधाकरन, इनकार से जानें क्या होगा असर
केरल में कांग्रेस की परेशानियों का सिलसिला थम नहीं रहा। केरल के दिग्गज नेताओं में नाराजगी के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता के. सुधाकरन ने मुख्यमंत्री पी.विजयन के खिलाफ चुनाव लड़ने से इन्कार कर पार्टी को तगड़ा झटका दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। विधान सभा चुनाव के दौरान केरल में वरिष्ठ नेताओं के असंतोष से जूझ रही कांग्रेस की परेशानियों का सिलसिला थम नहीं रहा। प्रदेश के दिग्गज नेताओं में नाराजगी के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता के. सुधाकरन ने मुख्यमंत्री पी.विजयन के खिलाफ चुनाव लड़ने से इन्कार कर पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। केंद्रीय नेतृत्व की मंशा के बावजूद सुधाकरन के इन्कार से पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा हो गया है।
कांग्रेस की जमीनी स्थिति जाहिर
केरल के कन्नूर लोकसभा से सांसद के सुधाकरन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं। उनकी अपने इलाके में तगड़ी पकड़ है। इसके बावजूद विजयन के खिलाफ चुनाव लड़ने से उनके इन्कार से सूबे में कांग्रेस की जमीनी स्थिति और पार्टी नेताओं की मनोदशा साफ पता चल रही है।
बिना तैयारी चुनाव में उतरना ठीक नहीं
केरल में वामदलों की अगुआई वाले एलडीएफ गठबंधन को सत्ता में वापसी से रोकने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने मुख्यमंत्री विजयन को उनके ही चुनाव क्षेत्र धरामोदोम में घेरने की रणनीति बनाई है। इसी रणनीति के मद्देनजर स्थानीय सांसद सुधाकरन को विजयन के खिलाफ उम्मीदवार बनने का प्रस्ताव दिया गया मगर वे राजी नहीं हुए। उनका साफ कहना है कि सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त समय और तैयारी की जरूरत थी। आधी-अधूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतरना ठीक नहीं है।
चला यह दांव
सूत्रों ने बताया कि सुधाकरन के इस रुख के बाद पार्टी नेतृत्व ने सूबे के कुछ वरिष्ठ नेताओं के अलावा कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के जरिए उन्हें समझाने का भी प्रयास किया। दबाव बढ़ते देख सुधाकरन ने भी दांव चलते हुए गुरुवार को केरल में सार्वजनिक रूप से कह दिया कि विजयन के खिलाफ वे उम्मीदवार नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें इस काबिल समझा इसके लिए वे आभारी हैं मगर खुद चुनाव लड़ने की बजाय कन्नूर की पांच सीटों पर कांग्रेस को जिताने के लिए काम करेंगे।
यह पड़ेगा असर
सुधाकरन ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन से साफ कहा कि उन्हें संभावित उम्मीदवार की सूची में शामिल न किया जाए। सुधाकरन ने यह बयान देकर जहां खुद पर चुनाव लड़ने के दबाव को खत्म कर दिया वहीं पार्टी की परेशानी बढ़ा दी। उनका इस तरह मैदान छोड़ना जाहिर तौर पर कांग्रेस के हक में नहीं जाएगा।